Lithium Ion Battery कैसे दुनिया को बचा सकती है?

धरती का तापमान और न बढ़े इसके लिए अंतरराष्ट्रीय जलवायु सम्मेलनों में नए लक्ष्य तय हो रहे हैं. तमाम देशों की इस जद्दोजहद के बीच लिथियम बैटरी एक नई उम्मीद बन कर उभरी है. साल 2019 में लिथियम-आयन बैटरी को रसायनशास्त्र का नोबेल पुरस्कार मिला था. इसे दुनिया को जीवाश्म ईंधन से मुक्ति के औजार के तौर पर देखा गया. साल 1991 में अपनी व्यावसायिक शुरुआत करने वाले के यह बुरा प्रदर्शन नहीं है.

 

लिथियम-आयन बैटरी 1991 में पहली बार एक कैमकॉर्डर के अंदर इस्तेमाल की गई थी. उस वक्त इस कैमरे को बड़ा ही क्रांतिकारी माना गया लेकिन असली गेमचेंजर था इसका बेहद हल्का वजन और इसमें लगी शक्तिशाली और रिचार्जेबल बैटरी. इसके बाद जल्द ही लिथियम-आयन बैटरी का इस्तेमाल कई चीजों में होने लगा. बड़े पावर टूल्स से लेकर टूथब्रश तक में ये लगाए जाने लगे. इन बैटरियों की वजह से स्मार्टफोन से लेकर इलेक्ट्रिक कारों का अस्तित्व संभव हो सका. अब यह बैटरी हमारी मोबाइल जिंदगी को बखूबी आगे बढ़ा रही है. आज इन्हें क्लाइमेट हीरो कहा जा रहा है.

Perfect Energy Storage

2 times battery life, consumes 50% less space, needs no maintenance & takes 60% less recharge time

Lithium Battery

बैटरी का आविष्कार 1800 में हुआ. वास्तव में पहली इलेक्ट्रिक कार तो 1880 बन गई थी लेकिन कंबशन इंजिन के बाजार में छा जाने से इलेक्ट्रिक कार दरकिनार हो गई. लेकिन अब धरती पर कार्बन उत्सर्जन को कम करने की कवायद की वजह से लिथियम बैटरी फिर तेजी से चलन में आ गई है. दुनिया में जितना कार्बन उत्सर्जन होता है, उसके एक चौथाई का जिम्मेदार गाड़ियों का आना-जाना है.

पवन और सौर ऊर्जा स्त्रोतों से बिजली हासिल करने की प्रक्रिया में कम कार्बन का उत्सर्जन होता है. अगर दुनिया लिथियम-आयन बैटरी पर चलने वाली इलेक्ट्रिक गाड़ियों को तेजी से अपनाने लगे तो धरती के वातारण में फैलने वाला अरबों टन कार्बन डाइक्साइड रुक जाएगा.

बायो फ़्यूल की ताकत

आज दुनिया की सड़कों पर एक करोड़ इलेक्ट्रिक कारें हैं. इस दशक के आखिर में यह साढ़े चौदह इलेक्ट्रिक कारें सड़कों पर दौड़ने लगेंगीं. इसके लिए हमें काफी बैटरियों की जरूरत पड़ेगी. लिथियम बैटरी के मैन्यूफैक्चरर दुनिया भर में इसके विशालकाय प्लांट बना रहे हैं. ये बड़ी फैक्टरियां सिर्फ इलेक्ट्रिक कारों के लिए ही मददगार साबित नहीं होंगीं.

टेक बिलिनेयर एलन मस्क ने एक बार कहा था कि अगर दुनिया में इस तरह की एक सौ गीगा फैक्ट्रियां हो जाएं तो हमारे घर से लेकर गाड़ियां तक हर चीज सोलर पावर पर चलने लगेंगीं. ऐसा होते देखने को लिए हमें भले ही अभी इंतजार करना होगा लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि जब सूरज न चमक रहा तो हवा न चल रही तो उस दौर में लिथियम आयन बैटरी क्लीन एनर्जी स्टोर करके रख सकती हैं. इससे इसकी प्रतिद्वंद्वी जैव ईंधनों की ताकत और विश्वसनीयता को बड़ा खतरा पैदा हो सकता.

क्लीन एनर्जी की हार्वेस्टिंग

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को चलाने में पहले से ही लिथियम आयन बैटरी का इस्तेमाल हो रहा है. यह सूरज की रोशनी से चार्ज होता है. बिहार के एक गांव में पहली बार 2014 में बिजली इस टेक्नोलॉजी की वजह से आई. लोग ईंधन के लिए लकड़ी, केरोसिन और डीजल का इस्तेमाल करते थे.

लेकिन लिथियम आयन बैटरी से जुड़े सोलर पैनलों की वजह से गांव वाले क्लीन एनर्जी का आनंद ले रहे हैं. न्यूयॉर्क के ब्रुकलिन शहर में लिथियम आयरन बैटरी, सोलर पैनल, कन्वर्टर और स्मार्ट मीटर के नेटवर्क के जरिये लोग अपने आसपास के इलाके में ही माइक्रो ग्रिड क्लीन एनर्जी की हार्वेस्टिंग, स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूट करते हैं. भविष्य में हम सभी सोलर बिजली पैदा कर दीवार पर लगे अपने पावर बैंक में स्टोर कर सकते हैं.

नए इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत

हालांकि बड़े पैमाने पर क्लीन एनर्जी के इस्तेमाल के लिए हमें काफी बड़े पैमाने पर नए इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत है. हमें लाखों नए बड़ी, मझोली और छोटी इलेक्ट्रिकल गाड़ियों के लिए चार्जिंग प्वाइंट की जरूरत होगी. कुछ दूसरी तरह की चुनौतियां भी हैं. लिथियम निकालने के लिए बड़े पैमाने पर भूमिगत पानी को बाहर निकालना पड़ता है. फिर इस खारे पानी को वाष्पीकृत करने के लिए छोड़ दिया जाता है. इससे पानी की किल्लत होने लगती है. साथ ही इससे विषाक्त कचरा भी पैदा होता है.

दूसरी चुनौती कोबाल्ट की है. लथियम आयन बैटरी इसी एक धातु पर निर्भर है. दुनिया का 70 फीसदी कोबाल्ट अफ्रीका देश कोंगो में मिलता है. लेकिन वहां कोबाल्ट की माइनिंग में खतरा है. कोबाल्ट की कीमत बहुत अधिक है इसके बावजूद कोंगो दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक है. लिथियम आयन बैटरी हमेशा के लिए नहीं होती. इसके अलावा पांच फीसदी बैटरी ही री-साइकिल होती है.

Top Lithium Battery Manufacturers in World, 2022

टनों बैटरियां लैंडफील में डाल दी जाती हैं. अगर इनमें टूट-फूट होती है तो जमीन के अंदर आग भी लग सकती है. अगली कुछ सदियों के लिए बैटरी विकसित करने के लिए इन चुनौतियों को समझना होगा. आज बैटरी रिसर्च एक रोमांचक क्षेत्र बन कर उभरा है. जैसे-जैसे नए धातुओं के नए विकल्प आ रहे हैं वैसे-वैसे कोबाल्ट के विकल्प सामने आ रहे हैं लिथियम आयन के लिए इस धातु पर निर्भरता कम होती जा रही है.

हालांकि अभी यह बहुत ज्यादा नहीं हो रहा लेकिन री-साइकिलिंग भी जोर पकड़ सकती है. सिंगापुर का एक री-साइकिलिंग प्लांट दो लाख अस्सी हजार बैटरियों को एक दिन में 99 फीसदी तक तांबा, निकेल, लिथियम और कोबाल्ट के पाउडर में बदल सकता है. इसमें 90 फीसदी तक रिकवरी रेट होता है. तेजी से चार्ज होने वाली ठोस लिथियम बैटरी भविष्य की संभावना है. ऐसी बैटरी, जिनमें ज्यादा ऊर्जा हो और हजारों चार्ज साइकिल हों.

अभी हम यहां तक नहीं पहुंचे हैं लेकिन लिथियम आयन टेक्नोलॉजी को बेहतर करने की दिशा में कड़ी वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा चल रही है उससे ऐसा लगता है कि कई अरबों के डॉलर वाली धरती को बचाने में मददगागर ये बैटरी क्रांति की तो अभी शुरुआत ही हुई है.

Source: bbc.com

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Narendra Soni

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Lithium battery lane h

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