क्या है Microgrid?

आज के समय में देश के केरल, महाराष्ट्र जैसे कई हिस्सों में माइक्रोग्रिड (Microgrid In India) लगाने का चलन काफी बढ़ गया है। बता दें कि यह एक ऐसा सिस्टम होता है, जिसे लगा कर आप सरकार से मिलने वाली बिजली पर अपनी निर्भरता को पूरी तरह से खत्म कर सकते हैं।बता दें कि माइक्रोग्रिड (Microgrid) अपने नाम के अनुसार, अपने आप में एक पूरा का पूरा ग्रिड ही होता है। यहाँ बिजली का उत्पादन सौलर पैनल (Solar Panel) के जरिए होती है।

 

कहाँ लगाते हैं माइक्रोग्रिड

बता दें कि माइक्रोग्रिड को अक्सर ऐसे स्थानों पर लगाया जाता है, जहाँ पर कि बिजली की सुविधा अच्छी नहीं हो या हो ही नहीं। जैसे कि कोई Coastal Area, गाँव, आदि। बता दें कि इस सिस्टम के जरिए आप Energy Independence को पूरी तरह से हासिल कर सकते हैं। 

क्या हैं माइक्रोग्रिड के फायदे

बता दें कि माइक्रोग्रिड के जरिए आप सरकारी बिजली के साथ ही, जनरेटर पर अपनी निर्भरता को पूरी तरह से खत्म कर सकते हैं। यहाँ सोलर पैनल से जो बिजली बनेगी, उसे आप लिथियम ऑयन बैटरी में स्टोर कर सकते हैं और जरूरत पड़ने पर उसका इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे पूरी दुनिया में Carbon Footprint को कम करने को लेकर हो रहे प्रयासों को भी काफी मजबूती मिलेगी।माइक्रोग्रिड से मिलने वाली बिजली का इस्तेमाल आप अपने घर, बिजनेस में कर, अपने बिजली बिल को जीरो कर सकते हैं। इसके अलावा, यदि आपके पास अतिरिक्त बिजली बचती है, तो इसे आप अपने कम्यूनिटी या सरकार को बेच अतिरिक्त कमाई भी कर सकते हैं। 

माइक्रोग्रिड के क्या - क्या कंपोनेंट्स होते हैं?

बता दें कि किसी भी माइक्रोग्रिड के मुख्य कंपोनेंट्स Solar Panel, Solar Inverter Battery, Solar Inverter, Balancing of System, Solar Panel Cleaning System, आदि होते हैं। इसमें इंवर्टर ऐसा होता है, जो सोलर पैनल, जनरेटर, बैटरी सभी को सपोर्ट करे।

कैसे करें कैलकुलेशन

किसी भी सोलर सिस्टम को लगाने के दौरान यह पहलू काफी मायने रखता है। आपके यहाँ कितने किलोवाट का सोलर सिस्टम लगेगा, इसे निर्धारित करने के लिए कई Parameters होते हैं। जैसे कि आपके यहाँ जगह कितनी है। आपको बिजली की जरूरत कितनी है। आपको पावर बैकअप सॉल्यूशन कितना चाहिए। आपका बजट कितना है, आदि।

बता दें कि सामान्य रूप से, माइक्रोग्रिड में Maximum Load से 30 प्रतिशत अतिरिक्त के Solar System Installation का लक्ष्य लेकर चला जाता है। यहाँ Average पर आगे नहीं बढ़ा जाता है। इससे आप बिजली के मामले में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बन सकते हैं।यहाँ Backup और Capacity को उसके Load Distribution के आधार पर कैलकुलेट किया जाता है।बता दें कि इस प्रकार के एरिया में सामान्य रूप से 3 Phase Connection होता है और हर फेज पर लोड को डिस्ट्रीब्यूट किया जाता है।एक बार कैलकुलेशन हो जाने के बाद, Final Solution दिया जाता है। 

माइक्रोग्रिड लगाने में कितना खर्च आता है?

बता दें कि यदि आप अपने यहाँ 100 किलोवाट का सोलर प्लांट लगा रहे हैं, तो इस पर आपको करीब 1 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। हालांकि, खर्च के विषय में आपको एक इंजीनियर विजिट के बाद ही कोई ठोस जानकारी हासिल हो पाएगी।Loom Solar द्वारा आपको इंजीनियर विजिट की सुविधा, देश के हर जिले में दी जाती है। हम देश के नंबर 1 सोलर कंपनी हैं और हमारे अत्याधुनिक सोलर पैनल, लिथियम ऑयन बैटरी और सोलर इंवर्टर की लोकप्रियता पूरी दुनिया में है। यदि आपने हमारे साइट सर्वे सुविधा की बुकिंग की है, तो हमारे इंजीनियर यथाशीघ्र आपकी साइट पर जाएंगे और आपकी जगह और जरूरतों को ध्यान में रखते हुए आपके लिए एक Solar Quotation बनाएंगे, जिसमें इस पर आने वाले खर्च के साथ ही इससे मिलने वाले फायदों के बारे में भी पूरी जानकारी होगी।

निष्कर्ष 

हमें उम्मीद है कि यह लेख आपके लिए मददगार साबित होगा। यदि आप ऐसे ही विषयों के बारे में और अधिक जानकारी हासिल कर, अपना जीवन बेहद आसान बनाना चाहते हैं, तो नियमित रूप से हमारे साथ बने रहें।वहीं, यदि अपने घर और बिजनेस में सोलर सिस्टम लगा कर खुद को बिजली के मामले में आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं, तो अभी हमसे संपर्क करें।

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