आज बिजली के बिना कोई घर ठीक से नहीं चलता, फिर चाहे वह घर गांव में हो या शहर में। लाइट, पंखे, मोबाईल और लैपटॉप का चार्जिंग, टी.वी., फ्रिज इत्यादि की अपेक्षा लगभग हरेक घर में होती ही है। मगर बिजली की सप्लाय तो दूर से किसी बड़ी कम्पनी की ओर से की जाती है और दुर्भाग्य से ग्रामीण और शहरी इलाकों की बिजली सप्लाय में ज़मीन आमान का फ़रक होता है।
ऐसा क्यों होता है? क्योंकि कारखाने, सरकारी व निजी दफ़तर, कोर्ट, कचहरी, बड़े बाज़ार, शिक्षा स्थल इत्यादि ज्यादातर शहरों में पाये जाते हैं तो जब भी बिजली की सप्लाय की कुछ कमी होती है, तब सबसे पहले बिजली कटती है ग्रामीण इलाकों की। जिन राज्यों में बिजली की कमी अक्सर रहती ही है, वहाँ के ग्रामीण इलाकों में बिजली बड़ी नियमितता से कटती ही रहती है।
इस हालत में गांव के लोगों को काफ़ी असुविधा और परेशानी होती है। तब वहाँ के किसी भी समझदार व्यक्ति को इसी निष्कर्ष पर आना पड़ता है कि वह खुद ही कुछ करे। हाथ जोड़कर बिजली कम्पनी की राह देखने का कोई मतलब नहीं है।
घर में सोलर सिस्टम लगा कर अपनी बिजली का उत्पादन खुद करना आज संभव है। ऐसे अपनी परेशानी दूर करने का एक नया और बहुत अच्छा विकल्प अब गाँव के लोगों के पास आया है।
अब प्रश्न आता है कि कैसी सोलर सिस्टम गाँव में लगानी चाहिए?
#1. आधुनिक टेक्नोलोजी
ऐसी सिस्टम जो टेक्नोलोजी में सब से आगे हो, और जो कई सालों तक ग्रामीण ग्राहक को विश्वसनीय रूप से सेवा दे। ग्राहक को सिर्फ यह नहीं देखना है कि कौन सी सिस्टम कम भाव में मिल रही है। उसे यह देखना है कि कौन सी सिस्टम कई सालों तक उसके परिवार को सुख-सुविधा देगी।
इस द्रष्टि से आधुनिक मोनो-क्रिस्टलाईन (mono-crystalline) पैनल वाली सिस्टम लगवाना ग्राहक के लिए ज़्यादा हितावह है। यह सिस्टम कई सालों तक ग्राहक को विश्वसनीय सेवा देती है, और बिजली का उत्पादन भी ज़्यादा देती है।
#2. बिजली का व्यय और उत्पादन
१ kW की सोलर सिस्टम मौसम के अनुसार एक दिन में 3-5 यूनिट या उससे कुछ कम-ज़्यादा बिजली पैदा करती है। ज़ाहिर है कि परिवार एक दिन में इससे ज़्यादा बिजली की खपत नहीं कर सकता। मगर सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय के पहिले भी तो घर में बिजली चाहिए, वह बिजली कहाँ से आएगी? इस अहम प्रश्न का उत्तर बिलकुल कठिन नहीं है। उत्तर है सोलर बैटरी।
इनवर्टर तो सिस्टम के साथ लगता ही है, मगर ग्रामीण इलाकों में सोलर बैटरी भी सिस्टम के साथ ज़रूर लगवानी चाहिए। बेशक इससे ग्राहक की कुल लागत बढ़ेगी, मगर इससे परिवार को दैनिक जीवन में जो सुख-सुविधा मिलेगी वह उस लागत को पूरा न्याय देगी। घर में 24 घंटों में लगभग 3 - 6 यूनिट बिजली की खपत होगी इस हिसाब से बैटरी लगानी चाहिए।
#3. दीर्घ द्रष्टि और मौसम के अनुसार सही उपयोग
सोलर सिस्टम इस दीर्घ द्रष्टि से लगाई जाती है कि वह कम से कम पच्चीस साल तक ग्राहक को विश्वसनीय सेवा दे। ज़ाहिर है गर्मी, ठंडी और बारिश इन सभी महिनों में सिस्टम की सेवा हमें मिलनी चाहिए। इनमें सबसे बड़ा प्रश्न होता है बारिश के महिनों का, क्योंकि बादलों के कारण बिजली का उत्पादन ज़रूर कुछ कम हो जाता है।
तो यहाँ इस प्रश्न का उत्तर यह है कि बारिश के दिनों में पंखों की ज़रूरत भी तो कुछ कम होती है। ठीक वैसे ही, ठंड के महिनों में पंखों की जगह पानी गरम करने का २५० watt का छोटा हीटर चलाया जा सकता है। इसी प्रकार देश के अलग-अलग ग्रामीण विस्तारों में सोलर सिस्टम का वहाँ के मौसम के अनुसार सही उपयोग किया जा सकता है।
#4. ग्रामीण इलाकों का एक बड़ा फ़ायदा
शहरी इलाकों की बराबरी में ग्रामीण इलाकों में सोलर सिस्टम लगाने का एक बहुत बड़ा फ़ायदा है। गाँव में घर की छत पर या तो फिर घर के पास ही सिस्टम के लिए जगह बनाना बिलकुल मुश्किल काम नहीं होता। खुली हवा और हरियाली के साथ-साथ सौर्य ऊर्जा की यह प्राकृतिक भेंट गाँव में मिलती है।
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इन सभी बातों से हमें यह निष्कर्ष मिलता है कि गाँव में भी आज आप अपने परिवार के लिए खुद अपनी समझदारी से बिजली की अच्छी व्यवस्था कर सकते हैं। दूर की बिजली सप्लाय कम्पनी यह करेगी ऐसी आशा करना व्यर्थ है।
ज़रूरी सिर्फ यह है कि आप आधुनिक टेक्नोलोजी देने वाली सोलर सिस्टम की एक अच्छी कम्पनी का चयन करें, उनसे सोलर सिस्टम और उसकी देख-रेख के बारे में पूरी माहिती लें, और उनसे यह काम अच्छी तरह करवा लें।
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