सोलर पैनल कितने प्रकार के होते हैं?

आज हम समझेंगे कि सोलर पैनल के दो मुख्य प्रकार कौन से हैं, और उनमें से चयन कैसे करें?

 

दुनिया में सबसे ज़्यादा सोलर पैनल बनते हैं सिलिकॉन (Silicon) नाम के तत्त्व से। सिलिकॉन बहुत ज़्यादा मात्रा में सामान्य बालू याने कि रेती में तो होता ही है। पृथ्वी पर इस तत्त्व की कोई कमी नहीं है। लेकिन इसे बालू में से अलग करके इसका शुद्धिकरण करने की प्रक्रिया काफ़ी कठिन और महँगी होती है। सिलिकॉन का शुद्धिकरण करना अति-आवश्यक है, क्योंकि सिर्फ शुद्ध सिलिकॉन ही सौर ऊर्जा के ग्रहण के लिए उपयोगी होता है।

 

मुख्य प्रकार

 

सिलिकॉन सोलर पैनलों के दो मुख्य प्रकार आज भारत के मार्केट में प्रचलित हैं।

 

 

एक प्रकार है जिसमें शुद्ध सिलिकॉन के एक ही क्रिस्टल की पतली स्लाइस से सोलर सेल बनता है। याने कि उस सोलर सेल के अंदर छोटी सी भी खामी नहीं होती। जैसे हीरे की छोटी सी भी खामी जौहरी पकड़ लेता है, ठीक वैसे ही सिलिकॉन क्रिस्टल की छोटी सी भी खामी से सौर्य ऊर्जा के ग्रहण में कुछ कमी आ जाती है। पर ऐसे अतिशय खामी-रहित सोलर सेल बनाने की प्रक्रिया भी अतिशय महँगी होती है। ऐसी सोलर सेल से बनी हुई सोलर पैनल को मोनोक्रिस्टलाईन सोलर पैनल कहते हैं।

 

दूसरा प्रकार वह है जिसमें सोलर सेल के अंदर एक नहीं पर अनेक क्रिस्टल होते हैं। ऐसे सोलर सेल बनाने की प्रक्रिया औसतन कुछ कम महँगी होती है। ऐसी पैनल को पॉलीक्रिस्टलाईन सोलर पैनल कहते हैं। एक सोलर सेल में अनेक क्रिस्टल होना एक प्रकार की खामी ही है, और इसके कारण सौर्य ऊर्जा का ग्रहण कुछ कम होता है।

 

मोनोक्रिस्टलाईन सोलर पैनल के सोलर सेल बिलकुल शुद्ध और खामी-रहित सिलिकॉन क्रिस्टल से बनते हैं। इस कारण से इनकी सौर्य ऊर्जा ग्रहण करने की क्षमता पॉलीक्रिस्टलाईन सोलर पैनल से अधिक होती है। एक ही माप की मोनोक्रिस्टलाईन पैनल पॉलीक्रिस्टलाईन पैनल की बराबरी में काफ़ी अधिक ऊर्जा देती है।

 

ग्राहक के लिए मोनोक्रिस्टलाईन पैनल वाली सिस्टम लगाने के मुख्य फ़ायदे यह हैं:

 

  • क्योंकि ये पैनलें ज़्यादा करंट देती हैं, इनसे बैटरी चार्ज करने में कम समय लगता है।
  • इन पैनलों को छत पर बिठाने का खर्च कुछ कम होता है।
  • कम रोशनी में ये पैनलें प्रमाण में बेहतर परिणाम देती हैं।
  • गर्मी के मौसम की इन पैनलों पर कुछ कम असर होती है।

 

पर मोनोक्रिस्टलाईन सोलर पैनल की कीमत पॉलीक्रिस्टलाईन सोलर पैनल से अवश्य ज़्यादा होती है, क्योंकि यह पैनल ज़्यादा अध्यतन और महँगी तकनीक से बनती हैं।

 

तो ग्राहक के लिए एक प्रश्न खड़ा होता है, कि इन दोनों में से कौन सी पैनल वाली सिस्टम खरीदें? वैसे देखा जाय तो मोनोक्रिस्टलाईन सोलर पैनल के काफ़ी फ़ायदे तो हैं, मगर वह कुछ महँगी भी है।

 

आज के मार्केट में इस प्रश्न का जवाब कुछ ऐसा बैठता है:

 

अगर आपके बजट में मोनोक्रिस्टलाईन सोलर पैनल वाली सोलर सिस्टम बैठ रही है, तो जरूर इसी सिस्टम का आप चयन करें। इसके जो फ़ायदे आपको मिलेंगे, उनके सामने कुछ ज़्यादा खर्च करने लायक है।

 

अगर आपके बजट में मोनोक्रिस्टलाईन सोलर पैनल वाली सोलर सिस्टम नहीं बैठ रही है, तो बिलकुल निश्चिंत हो के आप पॉलीक्रिस्टलाईन सोलर पैनल वाली सिस्टम लगवाइए। वह भी आपको सालों तक अच्छी सेवा देगी।

 

पर साथ में यह भी अवश्य देखें कि आप किस कंपनी से सिस्टम ले रहे हैं। कंपनी पूरी तरह से विश्वसनीय होनी चाहिए। यह देखें कि आप की सिस्टम सही तरह से लगाई जाय, आप की हरेक शंका का समाधान हो, आवश्यक्ता होने पर अच्छी सर्विस मिल सके, और सालों तक आपको अपनी सिस्टम से अच्छा परिणाम मिल सके।

 

जैसे कोई परिवार तीन कमरे वाला घर लेता है, तो कोई परिवार चार कमरे वाला। पर दोनों का हेतु तो एक ही है, कि सारा परिवार हँसी-खुशी से घर में रहे। ठीक उसी तरह, चाहे आप किसी भी सोलर सिस्टम का चयन करें, हम आशा करेंगे कि सालों तक आपके परिवार की हँसी-खुशी मैं सोलर सिस्टम बहुत अच्छा योगदान देगी।

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