अपने Villa में लगाना चाहते हैं सोलर पैनल? यहाँ जानिए पूरा तरीका

भारत में बीते कुछ वर्षों में सोलर एनर्जी के फिल्ड में काफी तेजी आई है और सिर्फ 7 वर्षों में ही देश की सौर ऊर्जा क्षमता 17 गुना बढ़ कर 45 हजार मेगावाट हो गई है। वहीं, देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे लेकर कहा है कि 2030 तक, भारत जितनी ऊर्जा का उत्पादन करता है, उसमें से आधा ग्रीन एनर्जी से होगा। 

इस लिहाज से यह अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है कि आने वाले कुछ वर्षों में सोलर एनर्जी के सेक्टर में कितना विकास होने वाला है। इसी को ध्यान में रखते हुए, आज हम वैसे लोगों को सोलर अपनाने में मदद करने जा रहे हैं, जो विला में रहते हैं और उन्हें सोलर सिस्टम अपनाने की इच्छा के बावजूद यह नहीं पता है कि वे अपना अगला कदम कैसे बढ़ाएं।

दायरा

हाउसिंग सोसायटी दो तरह की होती है। एक अपार्टमेंट होता है, तो दूसरा विला।

विला का मालिक कोई व्यक्तिगत तौर पर होता है। जिसका अपना छत होता है। भारत में विला को सोसायटी के निश्चित गाइडलाइन के तहत बनाया जाता है, जिसे खरीदने के बाद कोई भी व्यक्ति उसमें अपने हिसाब से री-कंस्ट्रक्शन का काम करवा सकते हैं।

एक विला की कीमत सामान्य तौर पर 2 से 4 करोड़ के बीच में होती है और उसमें री-कंस्ट्रक्शन का काम करवाने में 15 से 20 लाख का खर्च आना कोई बड़ी बात नहीं है।

ऐसे में सवाल उठता है कि लोग किसी अपार्टमेंट या फार्म हाउस के बजाय, विला को ही क्यों प्राथमिकता देते हैं। तो इसकी सबसे बड़ी वजह होती है कि विला को खरीदने वाले अधिकांशतः कोई कारोबारी होते हैं या कोई बड़े अधिकारी या राजनेता। उन्हें अपनी स्वतंत्रता चाहिए होती है। इसलिए वे विला को ज्यादा तवज्जो देते हैं।

महंगी मिलती है बिजली

यदि किसी राज्य में सामान्य बिजली दर, 6 से 8 रुपये के बीच है, तो किसी विला के लिए वही बिजली 15 से 20 रुपये प्रति यूनिट मिलती है। वहीं, बिजली कटौती की स्थिति में उन्हें निर्बाध बिजली के लिए एक पावर बैकअप सॉल्यूशन की जरूरत पड़ती है।

यदि वे सोसायटी से जेनरेटर की सुविधा लेते हैं, तो उन्हें हर महीने इसका खर्च अलग से देना पड़ता है। वहीं, अब अधिकांश लोग पावर बैकअप के लिए अपने पास इन्वर्टर रखते हैं। इस तरह, उनके पास हर महीने करीब 15 से 20 हजार का बिजली बिल आता है। 

Off Grid Solar System से मिलेगी राहत

भारत में किसी भी सोसायटी में ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम को लगाने की अनुमति नहीं दी जाती है, यानी आप सोलर पैनल से बिजली उत्पादित करके उसे सरकार को नहीं बेच सकते हैं।

हालांकि, जब सोसायटी के सभी बोर्ड मेंबर्स इसके लिए राजी हो जाते हैं, तो इसे लगा सकते हैं। 

लेकिन, कोई भी मकान मालिक, अपने घर में ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम आसानी से लगा सकते हैं और खुद को बिजली के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही, पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी निभा सकते हैं।

कितने वाट के सोलर पैनल की पड़ेगी जरूरत? 

किसी भी विला में आम तौर पर करीब 150 वर्ग फीट की जगह होती है। इतने जगह में आप 5 किलोवाट से लेकर 7 किलोवाट तक के, सोलर पैनल को आसानी से लगा सकते हैं।

इससे आपको दिन में सोलर पैनल से पूरी बिजली मिलेगी और रात में बैटरी से। बीच में यदि कहीं बैटरी डिस्चार्ज हो जाती है, तो वैसी स्थिति में आप सोसायटी की बिजली का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस तरह, आपको हर महीने भारी खर्च से राहत मिलेगी।

किस तरह के सोलर पैनल का करें चुनाव

चूंकि, किसी भी विला में जगह काफी सीमित होती है, तो लोगों को सोलर पैनल की जरूरत पड़ेगी, जो कम जगह में अधिक से अधिक बिजली बना कर दे। यदि कोई ग्राहक विला को खरीदने में 2 करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं, तो उनके लिए सोलर सिस्टम पर 5 से 7 लाख खर्च करना कोई चिन्ता की बात नहीं होगी। 

ऐसे में, हम ग्राहकों को Bi Facial Solar Panels की सलाह देते हैं। यह पैनल दोनों साइड से बिजली का उत्पादन करता है और फिलहाल सबसे उन्नत प्रोडक्ट है।

2x1 मीटर जगह में सामान्य पैनल जहाँ, सिर्फ 440 वाट बिजली का उत्पादन करते है, वहीं Bi Facial Solar Panels कम से कम 530 वाट बिजली बनाते हैं। इस तरह, यह सामान्य पैनल के मुकाबले 25 फीसदी अधिक बिजली बनाता है।

आज किसी भी सोलर पैनल पर, कंपनी की ओर से 25 साल की वारंटी मिलती है। इस लिहाज से 25 फीसदी अधिक बिजली उत्पादन से 25 वर्षों में काफी अधिक फर्क पैदा हो जाता है।

वहीं, एक बार सोलर पैनल लगाने के बाद, आपको अगले 25 वर्षों में कम से कम 50 लाख की बिजली बिल बचती है और इतनी बड़ी राशि किसी भी इंसान के जीवन में एक खास मायने रखता है।

लेकिन, Bi Facial सोलर पैनल की अपनी सीमाएं हैं। इस पैनल को सिर्फ वैसे ही छत पर लगाया जा सकता है, जो आरसीसी की बनी है। क्योंकि, इसे काफी ऊंचाई पर लगाना पड़ता है। यदि आपकी छत आरसीसी से नहीं बनी है, तो आप 540 वाट के सामान्य शार्क सोलर पैनल्स को खरीद सकते हैं।

कैसा इन्वर्टर खरीदें?

पहले बाजार में लीड एसिड बैटरी का चलन था। जिसमें काफी मेंटेनेंस की जरूरत पड़ती है और आज के दौर में यह ज्यादा कारगर नहीं है। इसी वजह से हम आपको लूम सोलर के CAML बैटरी को खरीदने की सलाह देते हैं।

यह बैटरी लिथियम फास्फेट सेल से बनी होती है और चार बैटरी के बराबर अकेले है। इस लिथियम आयन बैटरी को खरीदने के पाँच फायदे निम्न हैं -

  1. इसमें फास्ट चार्जिंग की सुविधा है। 
  1. इसे रखने के लिए ज्यादा जगह की जरूरत नहीं पड़ती है।
  1. इसे लीड एसिड बैटरी की तरह, कोई मेंटेनेंस की जरूरत नहीं पड़ती है।
  1. यह IOT पर आधारित है, यानी इसे आप अपने मोबाइल या लैपटॉप से कहीं से, कभी भी कंट्रोल कर सकते हैं।
  1. इसकी इफिशयंसी रेट 100 फीसदी है। 

किस तरह के इन्वर्टर का करें इस्तेमाल? 

आज के दौर में बाजार में काफी हाई इफिशियंसी इन्वर्टर आ चुके हैं। लूम सोलर के Fusion सीरीज के इन्वर्टर इन्हीं में से एक है। इसकी खासियत यह है कि अभी तक भारत में जितने भी इन्वर्टर आए हैं, वे पुरानी टेक्नोलॉजी वाले हैं। 

क्योंकि, उनकी क्षमता जितने किलोवाट की होती है, आप उस पर कुछ क्षमता का 70 से 80 फीसदी ही भार दे सकते हैं। लेकिन लूम सोलर के फ्यूजन इन्वर्टर में आप पूरे 100 फीसदी लोड दे सकते हैं और यह इसमें कभी ओवरलोडिंग की दिक्कत नहीं आएगी।

साथ ही, यह Wall Mounted रहता है और इसके लिए ज्यादा जगह की जरूरत नहीं पड़ती है। इसके अलावा, यह इन्वर्टर MPPT टेक्नोलॉजी से लैस है। इसका फायदा यह है कि मान लीजिए कि आपने घर में बैटरी लगा लिया है और आपका बैटरी चार्ज हो गया है।

तो, इस इन्वर्टर में एक प्रोफाइल सेट करने का सिस्टम होता है, ताकि आपकी बैटरी सोलर पैनल से चार्ज हो और लाइट चली जाए, तो बैटरी ऑटोमेटिकली इस्तेमाल हो और यदि रात में बैटरी भी डिस्चार्ज हो जाए, तो वह ग्रिड को अपने-आप बायपास कर दे और आपको सोसायटी की बिजली मिलने लगे। फिर, सुबह होने के बाद वह सोलर पर शिफ्ट हो जाए।

वहीं, यदि आपने यदि शुरुआती दिनों में सिर्फ 5 किलोवाट का इन्वर्टर लिया है और आगे आपकी जरूरत बढ़ने पर इसे और बढ़ाना चाहते हैं, तो इसे आप अपनी इच्छानुसार आसानी से बढ़ा भी सकते हैं 

सोलर स्टैंड को लगाने में बरतें सावधानी

सोलर स्टैंड, सोलर सिस्टम का एक खास हिस्सा है। यदि आपने इसका चयन ठीक से नहीं किया, तो सोलर का लुक एंड फील, कभी अच्छा नहीं आएगा। यदि आप पैसे खर्च करने के लिए तैयार हैं, तो आजकल Solar Roof का एक नया कांसेप्ट है। 

यह सॉल्यूशन पूरी तरह से वाटर प्रूफ है और इसकी कीमत सामान्य स्टैंड के मुकाबले तीन गुना अधिक होती है। इसमें आप पूरे जगह का इस्तेमाल एक छत के रूप में, अलग-अलग कामों के लिए कर सकते हैं। यदि इस पर पानी भी पड़ती है, तो नीचे एक बूंद पानी नहीं गिरेगा।

अनुभवी इंस्टालर को दें प्राथमिकता

यदि आप सोलर सिस्टम लगाना चाहते हैं, तो आपको एक इंस्टालर की जरूरत पड़ेगी। दूसरे देशों में तो किसी कंपनी से ज्यादा इंस्टालर की वैरिफिकेशन होती है।

इसलिए यदि आप किसी इंस्टालर से संपर्क कर रहे हैं, तो आप उसके पोर्टफोलियो को जरूर चेक करें कि उसके पास पहले से इसका कोई अनुभव है या नहीं। यदि नहीं है, तो आप किसी ऐसे इंस्टालर की मदद लें, जो पहले यह काम कर चुका है। इससे आपको कोई रिस्क नहीं रहेगा।

बैंक से ले सकते हैं लोन

यदि आप कोई नया विला खरीद रहे हैं, तो आप इसे बैंक से लोन लेकर खरीद सकते हैं। इसके साथ ही, आप सोलर सिस्टम का कोटेशन भी उसी में जोड़ सकते हैं। इससे आपको होम लोन के रेट पर, सोलर सिस्टम के लिए लोन मिल जाएगा। जो फिलहाल करीब 6 फीसदी है।

निष्कर्ष

यदि आप सोलर सिस्टम के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं या इंजीनियर विजिट चाहते हैं, तो विजिट करें https://www.loomsolar.com/ पर या हमें कस्टमर केयर नंबर पर कॉल करें। हमारे प्रतिनिधि आपकी पूरी मदद करेंगे।

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