कितनी बिजली खाता है ChatGPT?

आज के समय में पूरी दुनिया में कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी Artificial Intelligence का दायरा काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। इसके लेकर माइक्रोसॉफ्ट हो या गूगल, सभी दिग्गज कंपनियां अपने टूल्स को लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं। इसी कड़ी में बीते साल नवंबर में OpenAI द्वारा ChatGPT (चैटजीपीटी) को लॉन्च किया गया, जिसे लेकर पूरी दुनिया में काफी चर्चा है। 

क्या काम में आता है ChatGPT

बता दें कि ChatGPT एक ऐसा AI Tool है, जहाँ आप अपना होम वर्क करने से लेकर मुश्किल भाषाओं को बेहद आसान बनाने तक का काम कर सकते हैं। बता दें कि यह टूल इतना पावरफुल है कि यदि आप इस पर कविता लिखना चाहें, या किसी मार्केटिंग कैम्पेन को अंजाम देना चाहें, तो यह भी संभव है।

दिलचस्प जानकारी

लेकिन, पूरी दुनिया में यह बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि इसे चलाने में आपको खर्च कितना होता है या इसमें ऊर्जा की खपत कितनी होती है।बता दें कि इसे लेकर विशेषज्ञों का अनुमान है कि - AI क्या है? इंटरनेट पर केवल इतना सर्च करने में ही करीब 2 सेंट का खर्च आता है और यह खर्च आने वाले समय में बढ़ भी सकता है।

कितनी होती है ऊर्जा की खपत

बता दें कि आज के समय में Chatbot को ही ट्रेन करने में प्रति घंटे करीब 936 मेगा वाट बिजली की खपत होती है। यह पूरे यूरोप के 1 लाख घरों की बिजली की खपत के बराबर है। 

लगातार बढ़ रही है ऊर्जा की खपत

बता दें कि आज के समय में ऑनलाइन सेवाओं में बिजली की खपत लगातार बढ़ रही है। आँकड़े बताते हैं कि आज पूरी दुनिया में करीब 5 अरब लोग अपने मोबाइल, लैपटॉप, टैब और कंप्यूटर जैसे उपकरणों पर इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। ये इंटरनेट यूजर हर दिन करीब 7 घंटे तक इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। साथ ही, आँकड़े यह भी बताते हैं कि 80 प्रतिशत लोग इंटरनेट पर गाने सुनने या फिल्म देखने का काम करते हैं। यह पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से काफी नकारात्मक तथ्य है।

बता दें कि आज के समय में करीब 1 घंटे तक HD Video देखने के बाद, करीब 3 जीबी डेटा की खपत होती है, जो सही मायनों में 3.2 किलो CO2 के उत्सर्जन के बराबर है। यह आँकड़ा करीब 20 किलोमीटर कार चलाने के बराबर है।

कितना बड़ा है मुद्दा?

आँकड़ों से साफ है कि यदि इंटरनेट एक देश होता, तो यह Data Consumption के मामले में पूरे दुनिया में छठे स्थान पर होता और 2.8 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन के साथ यह अमेरिका, चीन, भारत, रूस और जापान जैसे देशों के बाद होता। अनुमान है कि अगले 10 वर्षों के दौरान इंटरनेट की ऊर्जा माँग में 60 प्रतिशत की वृद्धि होगी और इसके लिए ChatGPT जैसे टूल्स ही जिम्मेदार होंगे।

क्या है उपाय

चूंकि, आज किसी भी कंपनी, बिजनेस या देश को चलाने के लिए इंटरनेट एक अनिवार्य साधन है। आज इसके बिना पूरी दुनिया थम जाएगी। इसलिए इंटरनेट के इस्तेमाल को कम नहीं किया जा सकता है। 

लेकिन हमें Energy Crisis और Climate Change से संबंधित चुनौतियों को देखते हुए, बिजली की जरूरतों को पूरा करने और कार्बन फूट प्रिंट को कम करने के लिए बड़े पैमाने पर सोलर सिस्टम (Solar System) को अपनाने की आवश्यकता है। आज दुनिया में कई देश अपनी बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए सोलर एनर्जी को अपनाया जा रहा है। भारत में भी इसकी अपार संभावनाएं हैं और अगले कुछ वर्षों में देश में Solar Energy की माँग को कई गुना बढ़ावा देने के लिए आज सरकार द्वारा कई तरह की योजनाएं शुरू की जा रही है।

निष्कर्ष

हमें उम्मीद है कि यह लेख आपके लिए मददगार साबित होगा। यदि आप ऐसे ही और विषयों के बारे में पढ़ कर अपना जीवन बेहद आसान बनाना चाहते हैं, तो नियमित रूप से हमारे साथ जुड़े रहें। वहीं, यदि आप अपने घर में सोलर सिस्टम अपनाते हुए खुद को बिजली के मामले में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं, तो अभी हमसे संपर्क करें। हमारे विशेषज्ञ आपकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। आपकी जरूरतों को देखते हुए, वे आपकी साइट पर जाएंगे और आपको आगे की राह दिखाएंगे।

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