इस लेख में हम आपको बताएंगे कि यदि आप अपने घर या बिजनेस के लिए सोलर पैनल (Solar Panels For Home And Business) लगाना चाहते हैं, तो आप इसे कैसे चुनें और आपके लिए कौन से मैन्युफैक्चर सबसे बेस्ट होंगे।
बता दें कि Rooftop Solar की कैटेगरी में वैसे सोलर पैनल आते हैं, जिन्हें घर में छतों के ऊपर लगाया जाता है। बता दें कि आज के समय में रूफटॉप सोलर पैनल घरों के अलावा सरकारी आवासों या Commercial Buildings में भी लगाए जाते हैं।
आज के समय में रूफटॉप सोलर पैनल को तेजी से बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाओं को शुरू किया गया है, जिसके अंतर्गत उन्हें लोन के साथ सब्सिडी जैसी सुविधाएं भी मिल जाती हैं। बता दें कि भारत ने 2030 के अंत तक 500 गीगावाट के Renewable energy का लक्ष्य रखा है, जिसमें करीब 300 गीगा वाट का लक्ष्य सोलर एनर्जी का है।
बता दें कि बाजार में आज 10 वाट से लेकर 550 वाट तक के सोलर पैनल उपलब्ध हैं। वहीं, अगर इसकी कैटेगरी की बात की जाए, तो ये - Mono Perc, Polycrystalline और Bi-facial जैसे तीन कैटेगरी में आते हैं। इनमें Bi-facial और Mono Perc Solar Panel को Efficiency and Technology के मामले में सबसे बढ़िया माना जाता है। इसलिए इसकी कीमत ब्रांड और क्वॉलिटी के अनुसार अलग अलग होती है। आम तौर पर एक सोलर पैनल की कीमत 1000 रुपये से लेकर 25000 रुपये तक होती है। वहीं, प्रति वाट सोलर पैनल की कीमत 45.45 रुपये से लेकर 100 रुपये तक होती है। यहाँ ध्यान रखने वाली बात यह है कि आप जितना छोटा सोलर पैनल लेंगे, आपको Per Watt Price उतना ज्यादा देना पड़ेगा और जितना बड़ा सोलर पैनल होगा, उसकी प्रति वाट लागत उतनी कम होगी।
वहीं, आज के समय में आपको 1 किलोवाट के सोलर सिस्टम को लगाने में औसत रूप से 50 हजार रुपये से लेकर 1 लाख रुपये का खर्च आसानी से आता है। यह पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि आप Off Grid Solar System लगा रहे हैं या On Grid Solar System। यदि आप Off Grid Solar System लगाते हैं, तो आपको इस पर प्रति किलोवाट करीब 1 लाख रुपये का खर्च आता है। वहीं, On Grid Solar System पर 50 से 60 हजार रुपये का।
Manufacturer | Products Range | Cost of Single Solar Panel |
Loom Solar | 10W - 550W | Rs. 1,000 to Rs. 25,000 |
Waaree | 350W - 400W | Rs. 13,000 - Rs. 21,000 |
Vikram | 450W | Rs. 17,930 |
Adani | 545W | Rs. 21,000 |
Renesys | 445W | Rs. 21,375 |
Goldi | 445W | Rs. 21,450 |
Emmvee | 445W | Rs. 21,498 |
Premier | 445W | Rs. 21,500 |
Tata | 445W | Rs. 22,000 |
Rayzon | 445W | Rs. 21,500 |
नहीं। आपको Off Grid Solar System पर कोई सब्सिडी नहीं मिलेगी। यदि आपको सोलर सब्सिडी का लाभ उठाना है, तो आपको On Grid Solar System लेना होगा, जिसमें नेट मीटर लगा कर आप अपने महीने के बिजली बिल को 80 प्रतिशत से भी अधिक तक कम कर सकते हैं।
बता दें कि आज के समय में हरियाणा के फरीदाबाद स्थित लूम सोलर (Loom Solar) देश की सबसे टॉप सोलर कंपनी है। यह कंपनी अत्याधुनिक तकनीकों से लैश सोलर पैनल, सोलर इंवर्टर, लिथियम बैटरी, आदि जैसे सभी सोलर प्रोडक्ट्स को बनाने के लिए जानी जाती है। इसके अलावा, Loom Solar द्वारा पूरे भारत में सबसे कम निवेश पर डीलर और डिस्ट्रीब्यूटर बनने का अवसर प्रदान किया जाता है। बता दें कि लूम सोलर द्वारा आपको देश के हर हिस्से में साइट सर्वे की सुविधा दी जाती है। यदि आप अपने यहां सोलर सिस्टम लगा कर खुद को बिजली के मामले में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं, तो अभी हमसे संपर्क करें। हमारे विशेषज्ञ आपकी जरूरतों को समझते हुए, आपकी साइट पर जाएंगे और आपको आगे की राह दिखाएंगे।
Headquarter: Faridabad, Haryana (India)
Manufacturing Capacity: 100MW Per Year
Product Range: Solar Panel (10W-550W), Lithium Battery (6Ah-100Ah), Solar Inverter (3kW-100kW)
Business Model: B2C & B2B both
लूम सोलर का बिजनेस मॉडल B2C है। यानी ग्राहक कंपनी के पोर्टल पर जाकर सीधे अपने सोलर प्रोडक्ट्स को ऑर्डर कर सकते हैं। इसके अलावा कंपनी के साथ देश के हर हिस्से में हजारों डीलर और डिस्ट्रीब्यूटर भी जुड़े हुए हैं, जिनकी मदद से ग्राहक अपने घरों में सोलर पैनल इंस्टाल करवा सकते हैं।
अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें - https://www.loomsolar.com/
यह भी देश की सबसे अग्रणी सोलर कंपनियों में से एक है। इस कंपनी का मुख्यालय मुंबई में है और इसके प्लांट गुजरात के सूरत और उमरग्राम में है। इस कंपनी की अधिकतम उत्पादन क्षमता 2 गीगा वाट है।
Headquarter: NA, Gujarat (India)
Manufacturing Capacity: 2GW Per Year
Product Range: Solar Panel (10W-550W), Lithium Battery (6Ah-100Ah), Solar Inverter (3kW-100kW)
Business Model: B2B & Export both
अधिक जानकारी के लिए जाएं - https://www.loomsolar.com/blogs/pricelist/waaree-solar-panel-price-list-in-india
इस कंपनी का मुख्यालय कोलकाता में है। इस कंपनी ने भी बाजार में कई high efficiency PV module को लॉन्च किया है। इसकी अधिकतम उत्पादन क्षमता प्रति वर्ष 2.5 गीगा वाट है।
Headquarter: Kolkata, West Bengal (India)
Manufacturing Capacity: 2GW Per Year
Product Range: Solar Panel (10W-550W)
Business Model: B2B & Export both
इसके बारे में अधिक जानने के लिए जाएं - https://www.loomsolar.com/blogs/pricelist/vikram-solar-panel-price-list-in-india
इस कंपनी के मालिक गौतम अडानी हैं, जिनकी गिनती आज के समय में दुनिया के सबसे अमीर लोगों में होती है। इस कंपनी का मुख्यालय गुजरात के अहमदाबाद में है। अडानी ने अपने Renewable Energy प्रोजेक्ट के अंतर्गत एक ही स्थान पर 648 मेगा वाट का सोलर प्लांट लगाया है, जो एक विश्व रिकॉर्ड है। यह कंपनी अधिकांश रूप से सरकारी परियोजनाओं को अंजाम देती है।
Headquarter: NA, Gujarat (India)
Manufacturing Capacity: 2GW Per Year
Product Range: Solar Panel (10W-550W)
Business Model: B2B, Goverment Scheme & Export both
अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें - https://www.loomsolar.com/blogs/pricelist/adani-solar-panel-price-list-in-india
इस कंपनी का मुख्यालय भी गुजरात के अहमदाबाद में है। इस कंपनी को भी बड़े सोलर परियोजनाओं को अंजाम देने के लिए जाना जाता है। यह कंपनी ग्राहकों को सोलर एनर्जी के अलावा विंड एनर्जी की सुविधा प्रदान करने के लिए जानी जाती है।
Headquarter: NA (India)
Manufacturing Capacity: 2GW Per Year
Product Range: Solar Panel (10W-550W)
Business Model: B2B & Goverment Scheme both
कंपनी के बारे में अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें - https://renesys.in/about-us/
इस कंपनी का मुख्यालय गुजरात के सूरत में है और सोलर एनर्जी के फिल्ड में बीते 10 वर्षों से अधिक समय से काम कर रही है। इस कंपनी की अधिकतम उत्पादन क्षमता 2.5 गीगा वाट है।
Headquarter: Gujarat (India)
Manufacturing Capacity: 2GW Per Year
Product Range: Solar Panel (10W-550W)
Business Model: B2B
इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें - https://goldisolar.com/about/#overview
इस कंपनी का मुख्यालय कर्नाटक के बंगलौर में है। इस कंपनी की शुरुआत साल 2007 में हुई थी और इसकी अधिकतम उत्पादन क्षमता 1 गीगा वाट है।
Headquarter: Bangalore, Karnataka (India)
Manufacturing Capacity: 2GW Per Year
Product Range: Solar Panel (10W-550W)
Business Model: B2B
इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें - https://emmvee.com/about-us/
इस कंपनी का मुख्यालय तेलंगाना के सिकंदराबाद में है। यह कंपनी बीते 25 वर्षों से बाजार में बनी हुई है। इस कंपनी की अधिकतम उत्पादन क्षमता 1.25 गीगा वाट है।
Headquarter: Hyderabad, Telegana (India)
Manufacturing Capacity: 2GW Per Year
Product Range: Solar Panel (330W-545W)
Business Model: B2B
इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें - https://premierenergies.com/about-premier-energies
टाटा दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित कंपनियों में से एक है। इस कंपनी का मुख्यालय मुंबई में है और इसकी वार्षिक उत्पादन क्षमता 2.5 गीगा वाट से भी अधिक है।
Headquarter: Mumbai, Maharastra (India)
Manufacturing Capacity: 2GW Per Year
Product Range: Solar Panel (330W-445W)
Business Model: B2B, C&I
इस विषय में अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें - https://www.loomsolar.com/blogs/pricelist/tata-solar-panel-price-list-in-india
यह कंपनी भी गुजरात की है। इस कंपनी की आधिकारिक शुरुआत साल 2016 में हुई थी और इसकी वार्षिक उत्पादन क्षमता 1.5 गीगा वाट तक है।
Headquarter: NA (India)
Manufacturing Capacity: 2GW Per Year
Product Range: Solar Panel (10W-550W)
Business Model: B2B
इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें - https://www.rayzonsolar.com/
बता दें कि आज के समय में देश में लूम सोलर को छोड़ कर जितनी भी सोलर मैन्युफैक्चरर कंपनियां है, सभी का बिजनेस मॉडल B2B है। यानी वे North, East, West, South के आधार पर जोन को निर्धारित करते हैं और वहाँ डिस्ट्रीब्यूटर को नियुक्त कर, अपने प्रोडक्ट को Solar Installer को बेच देते हैं और फिर सोलर इंस्टालर घरों में सोलर सिस्टम लगाने का काम करते हैं। लेकिन लूम सोलर एक ऐसी कंपनी है, जहाँ ग्राहक सीधे अपने पसंद के उत्पादों को खरीद सकते हैं।
बता दें कि आज बाजार में Bifacial solar panel और Mono Perc Solar Panel, सबसे आधुनिक तकनीकों से लेकर सोलर पैनल हैं।
1. Bifacial solar panel - यह एक ऐसा पैनल है, जिसमें आप पैनल के दोनों साइड से बिजली बना सकते हैं। यदि आप अपने घर में एक High Rise Structure लगाना चाहते हैं और आपके पास जगह की कमी है, तो आप इसे लगा सकते हैं। इससे घर की खूबसूरती भी बढ़ती है।
2. Mono Perc Solar Panel - इस सोलर पैनल की खासियत यह होती है कि यह आपको मौसम खराब होने या आसमान में बादल छाए होने के बावजूद पूरी बिजली बना कर देगा। यदि आप सबसे ज्यादा क्षमता के सोलर पैनल को लगाना चाहते हैं, तो आप इसे चुन सकते हैं। इस कैटेगरी में भारत में 550 वाट तक के सोलर पैनल बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं।
बता दें कि आज के समय में भारत में औसत रूप से 445 वाट और 550 वाट के सोलर पैनल सबसे अधिक बिकते हैं। वहीं, ध्यान देने वाली बात यह कि 550 वाट के सोलर पैनल को वैसे लोग खरीदते हैं, जिन्हें कम जगह में ज्यादा बिजली चाहिए।
यदि आप अपने घर में सोलर सिस्टम लगाना चाहते हैं और आपको नहीं पता है कि आपको कितनी क्षमता का सोलर पैनल लेना है, तो इसका सबसे आसान उपाय यह है कि आपके यहाँ हर महीने जितने हजार की बिजली बिल आ रही है और सोलर पैनल उतने किलो वाट का ले लीजिए। इससे आपकी राह काफी आसान हो जाएगी।
जैसे यदि आपके यहाँ हर महीने 1000 रुपये का बिजली बिल आ रहा है, तो आप 1 किलो वाट का सोलर पैनल ले लें। यदि 2000 रुपये का आ रहा है, तो 2 किलो वाट। इस प्रकार आप अपने घर में On Grid Solar System को लगा कर अपने बिजली बिल को 80 से 90 प्रतिशत तक आसानी से कम कर सकते हैं।
इस डायग्राम से समझें -
Electricity Bill |
Solar Panels |
1,000 |
1kW |
2,000 |
2kW |
3,000 |
3kW |
5,000 |
5kW |
10,000 |
10kW |
बता दें कि आज के समय में लोग सोलर पैनल को कहीं से भी खरीद लेते हैं और उसे लगाने के लिए स्थानीय कारीगरों की तलाश करते हैं। ऐसे में यदि आप अपने घर में सोलर पैनल इंस्टाल करवाना चाहते हैं, तो आपको प्रति किलो वाट करीब 5000 रुपये से लेकर 7000 रुपये तक का खर्च आसानी से आता है। हालांकि, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप सोलर पैनल लगवा कहाँ रहे हैं, जैसे - यदि आप अपने घर की छत पर लगवा रहे हैं, तो यह काफी आसान काम है। इसलिए इसमें खर्च भी कम होता है। वहीं, यदि आप इसे टीन के शेड पर या पानी की टंकी की ऊपर लगवाना चाह रहे हैं, तो यह थोड़ा रिस्की होता है। ऐसे में आपको इसके इंस्टालेशन पर अपेक्षाकृत अधिक खर्च होगा। वहीं, इस खर्च में प्रोडक्ट के खर्च को नहीं जोड़ा जाता है।
यदि आप अपने घर में सोलर सिस्टम लगाना चाहते हैं और आपके पास इतने पैसे नहीं हैं, तो परेशान होने की कोई बात नहीं है। आज के समय में सोलर लोन, कार लोन (Car Loan) और होम लोन (Home Loan) लेने जितना ही आसान हो गया है। यदि आप सोलर लोन लेते हैं, तो आपको हर साल 8.25 प्रतिशत से लेकर 15 प्रतिशत तक का ब्याज देना होगा।इस विषय में अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें - https://loan.loomsolar.com/
बता दें कि आज के समय में देश में लूम सोलर को छोड़ कर जितनी भी सोलर मैन्युफैक्चरर कंपनियां है, सभी का बिजनेस मॉडल B2B है। यानी वे North, East, West, South के आधार पर जोन को निर्धारित करते हैं और वहाँ डिस्ट्रीब्यूटर को नियुक्त कर, अपने प्रोडक्ट को Solar Installer को बेच देते हैं और फिर सोलर इंस्टालर घरों में सोलर सिस्टम लगाने का काम करते हैं। लेकिन लूम सोलर एक ऐसी कंपनी है, जहाँ ग्राहक सीधे अपने पसंद के उत्पादों को खरीद सकते हैं।
हमें उम्मीद है कि Top 10 Solar Panel Manufacturers in India विषय पर आधारित यह लेख आपको पसंद आएगा। यदि आप अपने घर में सोलर सिस्टम लगा कर खुद को बिजली के मामले में आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं, तो अभी हमसे संपर्क करें। हमारे विशेषज्ञ आपकी मदद के लिए हमेशा ही तैयार रहते हैं। आपकी जरूरतों को समझते हुए वे आपकी साइट पर जाएंगे और आपको आगे की राह दिखाएंगे।
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बता दें कि यदि आपके पास पहल से कोई सिंगल इंवर्टर बैटरी है, तो उसके लिए आपको 12 वोल्ट या 24 वोल्ट के सोलर पैनल के साथ ही, सोलर चार्ज कंट्रोलर (Solar Charge Controller) भी लगवाना पड़ेगा। इस पर आपको लगभग 35 हजार से 40 हजार रुपये तक का खर्च आ सकता है।
वहीं, यदि आपके पास 2 बैटरी वाला इंवर्टर बैटरी है, तो उसके लिए आपको 24 वोल्ट का सोलर पैनल लगवाना पड़ेगा और इस पर आपको करीब 50 हजार से लेकर 70 हजार रुपये तक का खर्च आता है। वहीं, यदि आप अपने यहाँ बिल्कुल नयी बैटरी के साथ सोलर सिस्टम लगवाना चाहते हैं, तो आपको प्रति किलोवाट कम से कम 1 लाख रुपये तक का खर्च आराम से आता है। इस सोलर सिस्टम पर आप अपने घर में पानी का मोटर और एसी को छोड़ कर, फ्रीज, पंखा, लाइट जैसी सभी अन्य जरूरी चीजों को आराम से चला सकते हैं।
लेकिन, यदि आप किसी ऐसे जगह पर हैं, जहाँ पावर कट की समस्या अधिक होती है, तो ऐसे में आपको अपने यहाँ कम से कम 2 किलोवाट का सोलर सिस्टम लगाने की सलाह दी जाती है। इससे आप बिजली के मामले में काफी हद तक आत्मनिर्भर हो जाएंगे। इस पर आप पानी का मोटर भी चला सकते हैं।
बता दें कि 2 किलोवाट के सोलर सिस्टम को लगाने में आपको 1.5 से 2 लाख रुपये तक का खर्च आएगा। यदि आपके लिए इतना पैसा एक बार में इंवेस्ट करना मुश्किल हो रहा है, तो परेशान होने की कोई बात नहीं है। आप इसे सोलर लोन के जरिए, EMI पर भी लगा सकते हैं। इसके लिए आपको केवल 20 प्रतिशत डाउन पेमेंट करना होगा।अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें - https://loan.loomsolar.com/
बता दें कि पीएम सुर्योदय स्कीम के द्वारा भारत सरकार का लक्ष्य देश के 1 करोड़ घरों में रूफटॉप सोलर सिस्टम (Rooftop Solar System) लगाना है। इस स्कीम का फायदा उठाने के लिए, आपको यह जानना जरूरी है कि आप कौन सा सिस्टम लगवा रहें है, कहाँ लगवा रहें है, कितने किलोवाट सोलर सिस्टम लगवा रहें है, क्या बिजली जाने के बाद यह सोलर सिस्टम काम करेगा, आदि।
बता दें कि यदि आप 1 किलोवाट का ग्रिड - कनेक्टेड सोलर सिस्टम लगाते हैं, तो आपको 60 हजार रुपये का खर्च आएगा। इससे आपको हर दिन 5 यूनिट बिजली मिलेगी। इस सिस्टम को लगाने के लिए सरकार द्वारा आपको 18 हजार रुपये तक की सब्सिडी मिलेगी। हालांकि, भारत के कई राज्यों में आपको इस पर 30 हजार रुपये तक की सब्सिडी भी आराम से मिल जाती है।
वहीं, यदि आप अपने यहाँ 2 किलोवाट सोलर पैनल लगवाते हैं, तो आपको लगभग 1.2 लाख रुपये का खर्च आता है और सरकार द्वारा आपको 36 हजार रुपये तक की सब्सिडी मिल जाती है।
बता दें कि जब से पीएम मोदी द्वारा पीएम सुर्योदय योजना की घोषणा की गई है, तब से बाजार में 3 किलोवाट और 5 किलोवाट के सोलर सिस्टम की माँग काफी बढ़ गई है। क्योंकि, आज देश में 25 प्रतिशत घरों में बिजली मीटर 3 किलोवाट से लेकर 10 किलोवाट तक का है। ऐसे में, यदि आप 3 किलोवाट का सोलर सिस्टम लगवाते हैं, तो आपको 1.8 लाख रुपये और यदि 5 किलोवाट का लगवाते हैं, तो आपको करीब 3 लाख रुपये का खर्च पड़ता है। सरकार द्वारा आपको इस पर 54 से 72 हजार रुपये की सब्सिडी मिल जाती है।
हमारे द्वारा कई लोगों से बात करने के बाद यह पता चला है कि सरकार के सब्सिडी स्कीम लाने के बाद भी बहुत से लोग इसमें रुचि नहीं दिखा रहें है, क्योंकि सोलर लगाने की स्टार्टिंग कीमत बहुत ज्यादा है। ऐसे में आप 20 प्रतिशत डाउन पेमेंट कर, सोलर सिस्टम लगवा सकते हैं और आपको इसका आरओआई 3 से 5 साल में मिल जाएगा। बता दें कि आपको एक किलोवाट सोलर पैनल लगाने के लिए कम से कम 60 square फ़ीट जगह की जरुरत पड़ती है।
हमें उम्मीद है कि यह लेख आपके लिए मददगार साबित होगा। यदि आप अपने यहाँ सोलर सिस्टम लगाते हुए, खुद को बिजली के मामले में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं, तो अभी हमसे संपर्क करें। हमारी इंजीनियर आपकी मदद के लिए हमेशा ही तैयार रहते हैं। आपकी जरूरतों को देखते हुए, वे आपकी साइट पर जाएंगे और आपको सोलर इंस्टालेशन के हर मोड़ पर मदद करेंगे।
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किए गए प्रमुख संशोधन इस प्रकार हैं :-
उपभोक्ताओं के परिसर में रूफटॉप सोलर पीवी सिस्टम स्थापित करने में आसानी बढ़ाने और तेजी से स्थापना की सुविधा के लिए नियमों में संशोधन किए गए हैं।
10 किलोवाट क्षमता तक की प्रणालियों के लिए तकनीकी व्यवहार्यता अध्ययन की आवश्यकता से छूट दी गई है। 10 किलोवाट से अधिक क्षमता की प्रणालियों के लिए, व्यवहार्यता अध्ययन को पूरा करने की समयसीमा को बीस दिन से घटाकर पंद्रह दिन कर दिया गया है। इसके अलावा, यदि अध्ययन निर्धारित समय में पूरा नहीं होता है, तो अनुमोदन प्रदान किया गया, माना जाएगा।
इसके अतिरिक्त, अब यह अनिवार्य कर दिया गया है कि 5 किलोवाट क्षमता तक की छत पर सौर पीवी प्रणालियों के लिए आवश्यक वितरण प्रणाली को मजबूत करने का काम वितरण कंपनी द्वारा अपनी लागत पर किया जाएगा। इसके अलावा, वितरण लाइसेंसधारकों के लिए रूफटॉप सोलर पीवी सिस्टम चालू करने की समयसीमा 30 दिन से घटाकर 15 दिन कर दी गई है।
उपभोक्ता अब अपने इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को चार्ज करने के लिए अलग से बिजली कनेक्शन प्राप्त कर सकेंगे।यह देश के कार्बन उत्सर्जन को कम करने और वर्ष 2070 तक नेट ज़ीरो के लक्ष्य को हासिल करने के अनुरूप है।
नियमों के तहत नया बिजली कनेक्शन प्राप्त करने में लगने वाली समयावधि महानगरीय क्षेत्रों में सात दिन से घटाकर तीन दिन, अन्य नगर निगम क्षेत्रों में पंद्रह दिन से घटाकर सात दिन और ग्रामीण क्षेत्रों में तीस दिन से घटाकर पंद्रह दिन कर दी गई है। हालांकि, पहाड़ी इलाकों वाले ग्रामीण क्षेत्रों में नए कनेक्शन या मौजूदा कनेक्शन में संशोधन के लिए समयावधि तीस दिन ही रहेगी।
उपभोक्ताओं को चुनने की सुविधा देने और मीटरिंग एवं बिलिंग में अधिक पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए नियमों में प्रावधान पेश किए गए हैं।
सहकारी समूह हाउसिंग सोसाइटियों, बहुमंजिला इमारतों, आवासीय कॉलोनियों आदि में रहने वाले मालिकों के पास अब वितरण लाइसेंसधारकों के पास या तो सभी के लिए व्यक्तिगत कनेक्शन या पूरे परिसर के लिए एकल-बिंदु कनेक्शन चुनने का विकल्प होगा। इस विकल्प का प्रयोग वितरण कंपनी द्वारा किए जाने वाले पारदर्शी मतदान पर आधारित होगा। एकल-बिंदु कनेक्शन के माध्यम से बिजली की आपूर्ति पाने वाले उपभोक्ताओं और व्यक्तिगत कनेक्शन का लाभ उठाने वाले उपभोक्ताओं से लिए जाने वाले टैरिफ में भी समानता लाई गई है।
मीटरिंग, बिलिंग और संग्रहण अलग से किया जाएगा: (i) वितरण लाइसेंसधारक से प्राप्त व्यक्तिगत बिजली की खपत, (ii) आवासीय संघ द्वारा आपूर्ति की गई बैकअप बिजली की व्यक्तिगत खपत, और (iii) ऐसे आवासीय संघों के कॉमन एरिया के लिए बिजली की खपत, जो वितरण लाइसेंसधारक से प्राप्त की जाती है।
शिकायतों के मामलों में अतिरिक्त मीटर की आवश्यक सुविधा ऐसे मामलों में जहां उपभोक्ता मीटर रीडिंग के उनकी वास्तविक बिजली खपत के अनुरूप नहीं होने की शिकायत करते हैं और वितरण लाइसेंसधारक को अब शिकायत मिलने की तिथि से पांच दिनों के भीतर एक अतिरिक्त मीटर स्थापित करना आवश्यक है। इस अतिरिक्त मीटर का उपयोग न्यूनतम तीन महीने की अवधि के लिए खपत को जांचने के लिए किया जाएगा, इस प्रकार उपभोक्ताओं को आश्वस्त किया जाएगा और बिलिंग में सटीकता सुनिश्चित की जाएगी।
विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने कहा कि सरकार के लिए उपभोक्ताओं का हित सर्वोपरि है। इसी उद्देश्य से सरकार ने 31 दिसंबर, 2020 को बिजली (उपभोक्ता अधिकार) नियम, 2020 जारी किए, इस प्रकार पूरे भारत में विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के लिए मानक निर्धारित किए गए। इन नियमों में बिलिंग, शिकायतें, मुआवजा और नए कनेक्शन की समयसीमा जैसे पहलू शामिल हैं। ये नियम प्रोज्यूमर (ऐसे व्यक्ति जो उपभोग और उत्पादन दोनों करते हैं) द्वारा नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के लिए भी सहायता प्रदान करते हैं। विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने कहा कि वर्तमान संशोधन उपभोक्ताओं को और सशक्त बनाएंगे।
दिसंबर 2020 में नियमों की अधिसूचनाएं और 22 फरवरी, 2024 को जारी वर्तमान संशोधनों समेत सभी संशोधनों को नीचे देखा जा सकता है।
]]>सोलर सेक्टर को दो भाग में बांटा हुआ है - रूफटाप सोलर और ग्राउंड माउंट। इंडिया के बाहर ज्यादातर ग्राउंड माउंट ही ज्यादा लगाए जाते हैं और इससे पूरे शहर को बिजली उपलब्ध कराया जाता है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इंडिया में रूफटॉप सोलर की माह बहुत ही तेज़ी से बढ़ी है। गूगल के फ्री टूल्स - Keywords Planner & Google Trend के अनुसार रूफटाप सोलर टर्म की सर्च लगभग 500% (पिछले साल - 2023) तक बढ़ी है, जिसका सीधा इम्पैक्ट सोलर कम्पनी को देखने को मिल रहा है। इंडिया एक डेवलपिंग कंट्री है, जहाँ पर बिजली की सुविधा लगभग फ्री में दी जाती है। लेकिन नेचुरल रिसोर्स कोयले खत्म होने के कारण सोलर एनर्जी का इस्तेमाल करना जरूरी हो गया है। सूर्य की रोशनी पूरे दुनिया में लगभग 300 दिनों तक प्रतिदिन 8-10 घंटे मिलती है जिससे आप अपने जरुरत के अनुसार बिजली बनाकर अपनी जरूरत पूरा कर सकते हैं।बता दें कि रूफटाप सोलर का सीधा मतलब है कि वैसे सोलर पैनल्स, जो कि आपके छत पर इंस्टाल हो सकते हैं।
बता दें कि आज के समय में सोलर रूफटॉप कंपनियों को लेकर ग्राहकों के मन में कई तरह के सवाल होते हैं, जैसे कि कौन सी कंपनी के प्रोडक्ट अच्छे हैं? किसकी सर्विंसिंग अच्छी है? आदि। तो, ऐसे में बता दें कि आप अपने घर में सोलर सिस्टम इंस्टाल (Solar System Installation) करने के लिए हमेशा वैसी कंपनियों को चुनें, जो आपको A to Z सोलर सॉल्यूशन प्रोवाइड करे। यानी, प्रोडक्ट मैन्युफैक्चरिंग से लेकर सर्विसिंग तक। बता दें कि आज के समय में कई ऐसी कंपनियां हैं, जो केवल प्रोडक्ट मैन्युफैक्चरिंग करती है, तो कई ऐसी कंपनियां भी हैं, जो ग्राहकों को केवल सर्विसिंग देती है।
बता दें कि आज के समय में लूम सोलर (Loom Solar), रूफटॉप सोलर के मामले में देश की सबसे टॉप सोलर कंपनी है। हमारे कंपनी का मुख्यालय हरियाणा के फरीदाबाद में स्थित है और 2018 में अपनी स्थापना के बाद से, अब तक हम पूरे भारत के 50 हजार से भी अधिक घरों में सोलर सिस्टम को लगा चुके हैं। बता दें कि हमारे सोलर सिस्टम की माँग, शहरों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी काफी बड़े पैमाने पर है
बता दें कि सोलर प्रोडक्ट को चुनने का सबसे सही तरीका यह है कि यदि हम अमेरिका, जर्मनी जैसे देशों को रिफरेंस मान कर चलें, तो ऐसे देशों में मैन्युफैक्चरर कम हैं और इंस्टालर ज्यादा हैं। लेकिन, भारत में स्थिति ठीक इसके उलट है। यहाँ इंस्टालर कम हैं और मैन्युफैक्चरर ज्यादा हैं।
ऐसे में, किसी भी ग्राहक के लिए एक Reliable Solar Solution Provider होना काफी जरूरी है, जो अपने ग्राहकों की हर एक समस्या को ध्यान से सुने और उसे सॉल्व करने की कोशिश करे। जरूरत पड़ने पर बैक आउट नहीं करे। ऐसे में, आपके लिए अपने Nearby Rooftop Solar Company होना बेहद जरूरी है।
जैसे कि यदि कोई कंपनी अपने प्रोडक्ट्स को दिल्ली में बेचती है, तो बिहार के किसी ग्राहक के लिए उनके प्रोडक्ट्स को लगाना काफी चैलेंजिंग होगा, यदि किसी तरह लगा भी लिया, तो उन्हें जरूरत पड़ने पर सर्विसिंग नहीं मिल पाएगी। ऐसे में, सोलर कंपनियों को आपके आस-पास होना जरूरी है। साथ ही, यह भी ध्यान रखें कि किसी भी ग्राहक के साथ सोलर कंपनियों का Past Experience अच्छा हो।
बता दें कि आज के समय में लूम सोलर के उत्पादों की माँग देश के हर राज्य के हर जिले में है। आज के समय में हमारे साथ देश में 3500 से भी ज्यादा सोलर डीलर और डिस्ट्रीब्यूटर जुड़े हुए हैं।
यदि आप अपने घर में सोलर सिस्टम लगाते हुए, खुद को बिजली के मामले में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं, तो अभी हमसे संपर्क करें। बता दें कि हमारे द्वारा आपकी सुविधा के लिए देश के हर हिस्से में Site Survey की सुविधा भी दी जाती है। आप जैसे ही, हमारे इस सर्विस के लिए अपनी बुकिंग करते हैं, हमारे एक्सपर्ट इंजीनियर आपकी साइट पर जाते हैं और आपकी लोकेशन और जरूरतों को देखते हुए, सोलर इंस्टालेशन के हर मोड़ पर आपकी मदद करते हैं।
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बता दें कि आज के समय में गुजरात के लगभग 85 प्रतिशत घरों में रूफटॉप सोलर सिस्टम (Rooftop Solar System) लगे हैं। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं, यहाँ सोलर एनर्जी की माँग कितनी अधिक है। ऐसे में, यदि भारत को अपने नेट जीरो कार्बन एमिशन (Net Zero Carbon Emission) के टारगेट को पूरा करना है, तो पूरे देश में गुजरात के सोलर मॉडल को लागू करने की जरूरत है।
बता दें कि आज के समय में भारत में सोलर सिस्टम इंस्टालेशन (Solar System Installation) को लेकर 3 बड़ी समस्याएँ हैं, जो निम्न हैं -
बता दें कि गुजरात में सरकार द्वारा सोलर एनर्जी (Solar Energy In Gujarat) को बढ़ावा देने के लिए, सोलर फाइनेंस (Solar Finance) की बेहद आसान सुविधा दी जाती है और इस मॉडल को पूरे देश में लागू होना चाहिए। क्योंकि, कई ग्राहकों के लिए सोलर में इंवेस्ट करना काफी मुश्किल काम होता है। ऐसे में, उन्हें अगर समय पर लोन की सुविधा मिल जाए, तो उनके लिए सोलर लगाना काफी आसान हो जाएगा।
बता दें कि आज के समय में सोलर एनर्जी के सेक्टर में हर लेवल पर टेक्नोलॉजी की जरूरत है। चाहे वह सोलर पैनल हो, इंवर्टर हो, बैटरी हो या सोलन सब्सिडी के लिए सरकारी पोर्टल पर आवेदन की बात हो।
बता दें कि आज लोगों को सस्ता यानी ऑनग्रिड सोलर सिस्टम (On Grid Solar System) की तलाश अधिक होती है। लेकिन, यह वैसे जगहों के लिए उपयुक्त नहीं है, जहाँ कि बिजली कटौती की समस्या (Power Cut) अधिक होती है। बता दें कि यदि आप किसी बड़े शहर में रहते हैं, तो आपको पावर कट की ज्यादा समस्या नहीं होती है। लेकिन, जैसे ही आप ग्रामीण क्षेत्रों में जाते हैं, आपको यह समस्या बड़े स्केल पर नजर आने लगती है। खास कर गर्मी के दिनों में।
ऐसे में, लोगों को ऐसा सिस्टम चाहिए, जो पावर कट की स्थिति में भी आपको बिजली दे और यदि आपके यहाँ एक्स्ट्रा बिजली बन रही है, तो आप उसे सरकार को बेच कर, अपने महीने के अंत में आने वाले बिजली बिल को काफी हद तक कम कर सकें। ऐसे में, आपके लिए हाइब्रिड सोलर सिस्टम (Hybrid Solar System) बेहद फायदेमंद साबित होगा।
बता दें कि यह एक ऐसा सोलर सिस्टम होता है, जिसे आप बिजली के साथ ही, पावर बैकअप सॉल्यूशन यानी बैटरी पर भी काफी आसानी से चला सकते हैं। बता दें कि यदि हम सोलर टेक्नोलॉजी की बात करें, तो इसमें Top Con Solar Panel, Lithium Ion Battery, Wall Mounted Battery, Wall Mounted Inverter जैसे कई नाम सामने आते हैं।
बता दें कि आज के समय में ग्राहकों के बीच सरकार द्वारा लागू किए गये सोलर सब्सिडी योजनाओं (Solar Subsidy Schemes) पर ज्यादा भरोसा नहीं है। इसकी वजह यह है कि इसमें लोगों को योजनाओं का लाभ उठाने के लिए काफी समय लगता है और यह भी निश्चित नहीं होता है कि उन्हें इसका लाभ मिलेगा या नहीं। साथ ही, नेट मीटर, आदि लगाना भी एक बेहद मुश्किल काम होता है। ऐसे में, इन पहलों को लेकर एक Clearity होना बेहद जरूरी है।
यदि ऊपर के तीनों बिन्दुओं को लेकर सरकार द्वारा कोई ठोस प्रयास किया जाए, तो यह कहा जा सकता है कि भारत आने वाले समय में अपने नेट जीरो कार्बन एमिशन (Net Zero Carbon Emission) के टारगेट को काफी आसानी से पूरा कर सकता है। वहीं, यहाँ हमें Generative AI के इस्तेमाल को भी काफी बढ़ावा देने की जरूरत है। क्योंकि, मान लीजिए कि आज के समय में लोग डीजल और पेट्रोल से चलने वाले वाहनों के बजाय, इलेक्ट्रिक व्हीकल (Electric Vehicle) पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। ऐसे में, इन वाहनों में 30 किलोवाट से लेकर 500 किलोवाट तक की बैटरी काफी आराम से लगी होती है। ऐसे में, हमें इसके लिए सोलर एनर्जी को इस प्रकार से Establish करना होगा कि वे इन वाहनों को काफी आराम से चार्ज कर सकें और इसमें Generative AI की भूमिका काफी बड़ी हो सकती है।
]]>दिल्ली की नई सोलर पॉलिसी के तहत सोलर पैनल लगाने वालों का 400+ यूनिट बिजली का बिल भी ज़ीरो हो जाएगा।दिल्ली की नई सोलर पॉलिसी के तहत अगर आप सोलर पैनल लगवाते हैं तो आपको कैसे और कितना फ़ायदा होगा, इस उदाहरण से समझिए..
0-200 यूनिट : जीरो
200-400 यूनिट : बिजली बिल आधा
400+ यूनिट : पूरा बिजली का बिल आता है
- इस पॉलिसी के तहत सोलर पैनल लगाने वालों का 400+ यूनिट बिजली का बिल भी जीरो हो जाएगा।
- इस पॉलिसी के लागू होने के बाद दिल्ली के सभी रेजीडेंशियल का बिल जीरो हो सकता है।
- कमर्शियल और इंडस्ट्रियल सेक्टर का भी बिजली बिल आधा होगा
- इसमें कमर्शियल और इंडस्ट्रियल को भी ₹1/Unit का मिलेगा इंसेंटिव
केजरीवाल सरकार ने बताया कि दिल्ली की नई सोलर पॉलिसी से कैसे फायदा होगा, कितनी सब्सिडी मिलेगी जानिए।
1. अपने घरों में प्लांट लगाने पर 10 हजार तक सब्सिडी, हर किलोवॉट पर दो हजार रुपये मिलेंगे।
2. सौर ऊर्जा से दिल्ली के हर अमीर या गरीब परिवार को अब फ्री बिजली मिलेगी।
3. रूफटॉप सोलर प्लांट लगाने पर दिल्ली सरकार देशभर सर्वाधिक इंसेंटिव देगी।
4. कमर्शियल या इंडस्ट्रियल कंज्यूमर्स की बिजली का बिल 50 फीसदी कम होगा।
अयोध्या से लौटने पर पीएम मोदी ने की प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना की घोषणा, 1 करोड़ घरों पर लगेगा रूफटॉप सोलर। पीएम नरेंद्र मोदी ने सोमवार (22 जनवरी) को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम से लौटने के बाद प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना की घोषणा की है. इसमें एक करोड़ घरों रूफटॉप सोलर लगाए जाएंगे.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) द्वारा हाल ही में अयोध्य में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दिन "प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना" (PM Suryodaya Scheme) का ऐलान किया। बता दें कि इस योजना का उद्देश्य देश के 1 करोड़ घरों में रूफटॉप सोलर सिस्टम (Rooftop Solar System) को लगाना है।
बता दें कि इस योजना से पूरे देश में सोलर एनर्जी (Solar Energy) को तेजी से बढ़ावा मिलेगा और इसका लाभ अधिक से अधिक ग्राहक उठा सकते हैं और अपने महीने के बिजली बिल को कम करने के साथ ही, पर्यावरण संरक्षण (Climate Conservation) के वैश्विक प्रयासों को बढ़ावा दे सकते हैं।
बता दें कि "प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना" (PM Suryodaya Scheme) का उद्देश्य कम और मध्यम आमदनी वाले परिवारों को रूफटॉप सोलर सिस्टम (Rooftop Solar System) से बिजली उपलब्ध कराना और साथ ही एक्स्ट्रा जेनरेट हुई बिजली को सरकार को बेच कर एक्स्ट्रा इनकम का अवसर उपलब्ध कराना है।
बता दें कि जब से पीएम मोदी ने "प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना" (PM Suryodaya Scheme) का ऐलान किया है, तब से लोगों ने सोलर एनर्जी को लेकर काफी रिसर्च करना शुरू कर दिया है। बता दें कि रूफटॉप सोलर का अर्थ यह है कि इसमें आप अपनी घर की छतों पर सोलर लगा सकते हैं।इससे आपको बिजली तो मिल ही जाएगी। साथ ही, आपके बेकार पड़े छत का भी काफी बेहतर इस्तेमाल हो जाएगा।
बता दें कि आज देश की आबादी लगभग 140 करोड़ है और देश में अनुमानित रूप से लगभग 34 करोड़ घर हैं। बता दें कि सरकार की योजना देश में सब्सिडी के माध्यम से 1 करोड़ घरों में रूफटॉप सोलर (Rooftop Solar) लगाने की है। इसके जरिए Solar Energy Consumer को 50 हजार रुपये तक की सब्सिडी मिल सकती है।
]]>आज के इस लेख में हम आपको Gujarat Solar Model के बारे में ही 3 खास बातें बताने जा रहे हैं, जिसे देश के हर एक DISCOM’s को फॉलो करनी चाहिए।
पहला - यदि DISCOM’s अपने कंज्यूमर को सोलर सिस्टम से एक्स्ट्रा इलेक्ट्रिसिटी बनाने पर पेमेंट करती है, विशेष रूप से रेजीडेंसियल सेक्टर में, तो इससे ग्राहक सोलर सिस्टम लगाने के प्रति काफी ज्यादा इंटरेस्ट दिखाएंगे। क्योंकि, एक्स्ट्रा इलेक्ट्रिसिटी बनने पर नेट मीटर (Net Meter) से जो बिलिंग साइकिल होती है, उसके हिसाब से 2.5 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से कंज्यूमर को डायरेक्ट बैंक अकाउंट में जाता है।
दूसरा - यदि किसी कंज्यूमर के पास 3 किलोवाट का Sanctioned Load है और वह 3 किलोवाट से ज्यादा का सोलर सिस्टम लगवाना चाहता है, तो ऐसे स्थिति में ग्राहकों को आसानी से Net Meter लगाने का अप्रूवल मिलना चाहिए। इससे लोगों का डर खत्म हो जाएगा।
तीसरा - आज के समय में पूरे देश में सोलर सिस्टम लगाने की प्रक्रिया काफी आसान होनी चाहिए। कम से कम डॉक्यूमेंटेशन का काम हो और ज्यादा टाइम न लगे। जैसे कि आप अपने बीते 3 साल के आईटीआर, आधार कार्ड, पैन कार्ड, बिजली बिल, आदि के आधार पर सोलर सिस्टम को अपने यहाँ आसानी से इंस्टाल कर सकते हैं।
बता दें कि यह मॉडल गुजरात में लागू हो चुका है और इससे लोगों को काफी मदद मिल रही है। ऐसे में, इस मॉडल को पूरे देश में लागू होना चाहिए।
हमें विश्वास है कि गुजरात में सोलर मॉडल पर आधारित यह लेख आपको पसंद आएगा। यदि आप अपने यहाँ सोलर सिस्टम लगाते हुए, खुद को बिजली के मामले में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं, तो अभी हमसे संपर्क करें। हमारे विशेषज्ञ आपकी मदद के लिए हमेशा तैयार करते हैं। आपकी जरूरतों को समझते हुए, वे आपकी साइट पर जाएंगे और आपको आगे की राह दिखाएंगे।
]]>सोलर सिस्टम तीन प्रकार के होते हैं ऑफ ग्रिड, ऑन ग्रिड और हाइब्रिड। जिसकी वजह से लोग अक्सर यह समझ नहीं पाते हैं कि उनके घर के लिए कौन सा सोलर सिस्टम सही रहेगा।
इस आर्टिकल के माध्यम से आज हम ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम के बारे में बात करने जा रहे हैं। ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम क्या होता है? यह कैसे बनता है? कैसे काम करता है? इसके क्या फायदे हैं? इसकी कीमत कितनी है? ऐसे सभी सवालों के जवाब आपको मिलने वाले हैं। ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी हासिल करने के लिए आर्टिकल को अंत तक पढ़े।
सबसे पहले यह जान लेते हैं कि ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम क्या होता है? यह सोलर सिस्टम ऑफ ग्रिड यानी बिना सरकारी बिजली के प्रयोग के काम करता है। यह सिस्टम ऐसे स्थानों पर लगाया जाता है जहां बिजली उपलब्ध नहीं है या फिर बहुत ही कम समय के लिए बिजली आती है। यह सिस्टम ऐसे लोगों के लिए फायदेमंद है जो बिना बिजली का कनेक्शन लिए अपने घर के सभी उपकरणों का सारा लोड चलाना चाहते हैं।
ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम में सोलर पैनल के साथ सोलर इनवर्टर और बैटरी भी लगाई जाती है। यह सिस्टम पूरी तरह सोलर और बैटरी पर आधारित सिस्टम है। इस सिस्टम में इस्तेमाल होने वाले सोलर पैनल DC करंट बनाते हैं। जिस से बैटरी चार्ज हो जाती है। दिन के समय जब सूर्य की रोशनी होती है यह सोलर पैनल से बनने वाली बिजली से लोड को चलाता है और बाकी बची सूर्य ऊर्जा की मदद से बैटरी को चार्ज करता है। जिससे रात के समय में भी आप बिजली का इस्तेमाल कर पाते हैं। ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम मैन्स यानी मीटर से आ रही बिजली चले जाने पर इन्वर्टर और बैटरी की मदद से बिजली उपलब्ध करवाता है।
यह सिस्टम जितना बड़ा होगा उतने ही ज्यादा समय तक बैकअप भी देगा। अगर सोलर सिस्टम छोटा और लोड ज्यादा होंगे तो वह सोलर से बन रही बिजली और बैटरी में इकट्ठा हुई बिजली को भी दिन में ही इस्तेमाल कर लेगा, जिससे आपको रात के समय बैकअप की समस्या आ सकती है।
यह है बाकी सोलर सिस्टम की तरह सरकारी बिजली पर निर्भर नहीं रहता है। यह सूरज से आने वाली रोशनी को इस्तेमाल करके घर का सारा लोड चलाता है और साथ ही साथ बैटरी को भी चार्ज करने की क्षमता रखता है।
1. घरेलू उपकरणों जैसे पंखा, कूलर, टीवी, मोबाइल चार्जिंग आदि के लिए ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम अच्छा होता है।
2. इसकी कीमत भी बाकी सोलर पैनल के मुकाबले कम होती है।
3. हर बजट रेंज में ये सोलर सिस्टम बाजार में उपलब्ध है।
4. अधिक मेंटेनेंस या देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती है।
5. सरकारी बिजली पर कोई निर्भरता नहीं।
भारतीय सोलर बाजारों में ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम की औसत कीमत 70 से ₹90 प्रति वाट है। आमतौर स्टैंडर्ड एक्सेसरीज के साथ 1 किलोवाट ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम की कीमत 70 से 75 हजार रुपये तक हो सकती है।
वैसे तो भारत के अंदर सोलर सिस्टम के अनेक मैन्युफैक्चरर है जिनमें से टॉप ब्रांड्स के नाम नीचे दिए गए हैं :-
1. LOOM SOLARउम्मीद है कि हम आपको ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम से जुड़ी सभी जानकारियां उपलब्ध कराने में सक्षम रहे हैं सोलर से जुड़ी किसी भी जानकारी के लिए नीचे दिए गए कमेंट सेक्शन में कमेंट कर सोलर से जुड़े सभी सवालों के जवाब पा सकते हैं।
]]>बता दें कि आज के समय में पूरी दुनिया में Top Con Solar Panel सबसे ज्यादा बिकने वाले सोलर पैनलों में से एक है। इसका पूरा नाम Tunnel Oxide Passivated Contact Solar Panel होता है। बता दें कि यह सोलर पैनल निर्माण के क्षेत्र में एक बिल्कुल नई टेक्नोलॉजी है। यह पैनल P-type और N-type सोलर सेल से जुड़ा हुआ है, जिसे बनाने में Silicon wafer का इस्तेमाल किया जाता है। बता दें कि यह पैनल 575 वाट (SHARK 575W-700W N-type, 144 Cells) क्षमता तक में आता है।
बता दें कि कोई भी सोलर पैनल, Solar Cell से बनता है। पहले इस कैटेगरी में Mono Perc Solar Panel बनता थ। लेकिन अब Top Con Solar Panel ने उसकी जगह लेनी शुरू कर दी है। इसकी वाट और Efficiency Rate पहले से अधिक होती है और आने वाले 1-2 वर्षों में यह बाजार में पूरी तरह से छाने वाला है।
बता दें कि Top Con Solar Panel को Residential, Commercial, Industrial और Ground Mounted Utility Scale जैसे सभी सुविधाओं के लिए बनाया जाता है और इसे आप कहीं भी काफी आसानी से लगा सकते हैं।
बता दें कि आज के समय में भारत में लूम सोलर Top Con Solar Panel बनाने वाली सबसे अग्रणी कंपनी है।
बता दें कि वैसे तो आज के समय में भारत में कई सोलर मैन्यूफैक्चरर कंपनियाँ हैं। लेकिन इनमें लूम सोलर (Loom Solar) सबसे प्रतिष्ठित और अग्रणी सोलर कंपनी है। लूम सोलर को अपने बेहतरीन Product Innovation के लिए जाना जाता है। इसका मुख्यालय हरियाणा के फरीदाबाद में है और इसकी स्थापना वर्ष 2018 में हुई थी। लूम सोलर को भारत में सबसे पहले Mono Perc Solar Panel लॉन्च करने के लिए जाना जाता है। इस कंपनी के पास 10 वाट से लेकर 575 वाट तक के पैनल्स उपलब्ध हैं और इसके पास Mono Perc, Top Con, Bi-facial Solar Panel की एक कंप्लीट रेंज है। यह कंपनी सोलर पैनल्स के साथ - साथ, Enegry Storage System के तौर पर अत्याधुनिक तकनीकों से लैस लिथियम ऑयन बैटरी और सोलर इंवर्टर को भी बनाने के लिए जानी जाती है।
इस सोलर पैनल को सोलर डीलर, डिस्ट्रीब्यूटर से लेकर End Consumer तक भी काफी आसानी से खरीद सकते हैं। यदि आप इस सोलर पैनल को खरीदना चाहते हैं, तो आप इसके लिए https://www.loomsolar.com/ पर विजिट कर सकते हैं।
बता दें कि इस टेक्नोलॉजी के सोलर पैनल को खरीदने में आपको 1 वाट में 25 से 35 रुपये का खर्च आता है। वहीं, यहाँ आपको जीएसटी और ट्रांसपोर्टेशन का खर्च अलग से देना पड़ता है।
हमें उम्मीद है कि यह लेख आपको पसंद आएगा। यदि आप ऐसे ही विषयों के बारे में और अधिक जानकारी हासिल करते हुए, अपना जीवन बेहद आसाना बनाना चाहते हैं, तो नियमित रूप से हमारे साथ बने रहें।वहीं, यदि अपने घर में सोलर सिस्टम लगाते हुए, खुद को बिजली के मामले में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं, तो अभी हमसे संपर्क करें। हमारे विशेषज्ञ आपकी मदद के लिए हमेशा ही तैयार रहते हैं। आपकी जरूरतों को देखते हुए, वे आपकी साइट पर जाएंगे और आपको आगे की राह दिखाएंगे।
]]>तो इसका जवाब सिर्फ एक ही है “बाईफेशियल सोलर पैनल”।
इस आर्टिकल के अंदर बाईफेशियल सोलर पैनल क्या होता है? यह काम कैसे करता है? इसको लगवाने के फायदे कितने हैं? इसकी एफिशिएंसी कितने हैं? इसको लगाने में कितना खर्च आएगा? और अन्य अहम जानकारी के बारे में विस्तार से बताया गया है। बाईफेशियल सोलर पैनल से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी प्राप्त करने के लिए आर्टिकल को अंत तक पढ़े।
बाईफेशियल सोलर पैनल सोलर (Bifacial solar panel) की दुनिया में एक लेटेस्ट टेक्नोलॉजी है। यह पैनल भारत के अंदर एकमात्र ऐसा सोलर पैनल है जो कि आगे और पीछे दोनों तरफ से बिजली बनाता है। सामान्य सोलर पैनल के मुकाबले यह पैनल 25% अधिक बिजली बनाता है। यह सोलर पैनल 440 watt तक का होता है जो कि 500 से 550 watt तक बिजली बनाने की क्षमता रखता है।
बाईफेशियल सोलर पैनल को बनाने में खास सोलर सेल का इस्तेमाल किया जाता है जो कि पारदर्शी होने के कारण आगे और पीछे दोनों तरफ से बिजली बनाती है। सोलर पैनल में सेल की सुरक्षा के लिए सेल के ऊपर और नीचे टेंपर्ड ग्लास (EVA फिल्म) लगा होता है। बाईफेशियल सोलर पैनल की बाहरी सुरक्षा के लिए आगे की तरफ ग्लास लगाया जाता है।
बाईफेशियल सोलर पैनल अन्य पैनल की तरह ऊपर की ओर से आने वाली सूरज की किरणों से तो बिजली बनाता ही है, परंतु इस सोलर पैनल में खास पारदर्शी सोलर सेल लगे होते है| जिसकी मदद से सूरज से आने वाली किरणें इस पैनल के आर-पार निकल जाती है और जब वह किरणें पैनल के पीछे की सतह से टकराकर या रिफ्लेक्ट होकर वापस सोलर पैनल पर पड़ती है तो यह सोलर पैनल पिछली तरफ से भी बिजली बनाता है|
यह सोलर पैनल दोनों तरफ से बराबर मात्रा में बिजली नहीं बनाता है| यह सोलर पैनल आगे की तरफ से 90 से 100% बिजली बनाता है और पीछे की ओर से यह 25% से 30% तक बिजली बनाता है|
बाईफेशियल सोलर पैनल की एफिशिएंसी यानी कार्य क्षमता भारतीय बाजारों में मिल रहे अन्य सोलर पैनल के मुकाबले काफी ज्यादा है। इस सोलर पैनल की एफिशिएंसी लगभग 27% होती है। दोनों तरफ से बिजली बनाने की क्षमता होने की वजह से यह पैनल 5 से 30% तक अधिक बिजली बना सकता है। जबकि मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल की एफिशिएंसी 20 से 22% होती है और पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल की एफिशिएंसी 15 से 17% होती है।
- पानी के ऊपर लगाते हैं तो यह 7% अधिक बिजली यानी 470 वाट तक बिजली बनाता है
- घास के ऊपर लगाते हैं तो 10% अधिक यानी 485 वाट तक
- कंक्रीट ग्राउंड के ऊपर लगाते हैं तो 13% अधिक यानी 495 वाट तक
- रेत के ऊपर लगाते हैं तो 15% अधिक यानी 505 वाट तक और
- यदि आप इस पैनल को वाइट कोटिड ग्राउंड के ऊपर लगाते हैं तो यह पैनल सबसे ज्यादा 20% यानी 530 वाट तक बिजली बनाता है। जिससे आप इस पैनल का पूरा फायदा उठा सकते हैं।
बाईफेशियल सोलर पैनल एक नई और ऐडवांस टेक्नोलॉजी है इसीलिए भारतीय बाजार में बाईफेशियल सोलर पैनल की औसत कीमत 28 रुपये से 30 रुपये प्रति वाट है।
जिन लोगों के घर में एक बैटरी और एक इनवर्टर लगा हुआ है और वह उस बैटरी पर अपने घर के सभी उपकरणों से जैसे पंखा, टीवी, लाइट, फोन चार्ज करना और अन्य घरेलू उपकरण चलाते हैं तो ऐसे लोगों के लिए बाईफेशियल का एक पैनल ही काफी है। बाईफेशियल सोलर का एक पैनल 500 वाट से भी ज्यादा बिजली बनाता है। जिसकी वजह से यह 150 ए.एच. की बैटरी को से पूरी तरह चार्ज कर देता है। तो जिन लोगों के घर में एक इनवर्टर और एक बैटरी का सिस्टम लगा हुआ है और वह इतना कारगर है के घर के सभी उपकरणों को आसानी से चला लेता है तो ऐसे घरों के लिए बाईफेशियल सोलर पैनल लगवाना फायदेमंद साबित होगा।
उम्मीद है इस आर्टिकल से आपको अपने सभी सवालों के जवाब मिल गए होंगे।
]]>पहले सही जानकारी ना होने के कारण लोग सोलर पैनल के साथ साधारण बैटरी लगवा लेते थे। जिसके कारण उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। आज भी काफी लोगों के साथ ऐसा होता है जिसकी वजह से बैटरी बहुत ही जल्द खराब हो जाती है। सोलर बैटरी के मुकाबले एक साधारण बैटरी की वारंटी भी काफी कम होती है।
यदि आप भी एक सोलर लवर हैं और सोलर बैटरी खरीदना चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़ें। क्योंकि इस आर्टिकल के माध्यम से आपको अपने सोलर बैटरी से जुड़े सभी सवालों के जवाब मिल जाएंगे। जिससे आपको अपने लिए सही बैटरी खरीदने में आसानी होगी।
2 times battery life, consumes 50% less space, needs no maintenance & takes 60% less recharge time
सोलर बैटरी का इस्तेमाल सोलर पैनल के साथ किया जाता है। जिसमें सोलर पैनल से आ रहे चार्ज को इकट्ठा किया जाता है जिसके इस्तेमाल से बिजली ना होने पर लोड को चलाया जाता है।
सोलर बैटरी के अंदर चार्ज कंट्रोलर पहले से ही इनबिल्ट होता है। जबकि साधारण बैटरी में ऐसा नहीं है यदि आप सोलर पैनल का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो आपको साधारण बैटरी के साथ चार्ज कंट्रोलर लगाने की जरूरत पड़ेगी अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपकी बैटरी खराब हो जाएगी। साधारण बैटरी के मुकाबले सोलर बैटरी की प्लेट अधिक मोटी होती हैं।
1. एक साधारण बैटरी के मुकाबले सोलर बैटरी में अधिक मोटी प्लेट होती हैं जिसकी वजह से बैटरी जल्दी चार्ज हो जाती है। जबकि साधारण बैटरी में ऐसा नहीं होता है साधारण बैटरी में प्लेट थोड़ी पतली होती है इसके कारण बैटरी धीरे-धीरे चार्ज होती है।
2. साधारण बैटरी के मुकाबले सोलर बैटरी की डिस्चार्ज स्पीड अधिक होती है। अधिक लोड पड़ने पर सोलर बैटरी आराम से लोड उठा लेती है जबकि डिस्चार्ज रेट कम होने के कारण साधारण बैटरी ऐसा करने में सक्षम नहीं है।
3. एक साधारण बैटरी की लाइफ केवल 5 वर्ष होती है। जबकि एक सोलर बैटरी की लाइफ 10 साल तक देखने को मिलती है।
4. यदि आप भविष्य में कभी सोलर पैनल लगवाना चाहते हैं तो आपको अलग से बैटरी खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी आपकी पुरानी सोलर बैटरी से ही आपका काम बन जाएगा।
भारतीय सोलर बाजारो में सोलर बैटरी की औसत कीमत ₹30, 000 से लेकर ₹1,50,000 तक है।
नीचे भारत की टॉप कंपनियों के नाम दिए गए हैं:-
ऊपर आपको सोलर के सभी फायदे व कीमत के बारे में विस्तार से बताया गया है। सोलर बैटरी के बारे में ऊपर बताई गई सभी जानकारियों को ध्यान में रखकर ही सोलर बैटरी खरीदें। सोलर बैटरी हमेशा अपनी आवश्यकता अनुसार व एक भरोसेमंद कंपनी से ही खरीदें। लूम सोलर जैसी कंपनियां अच्छे प्रोडक्ट के साथ साथ इंस्टॉलेशन फैसिलिटी भी देती है।
साधारण बैटरी के मुकाबले सोलर बैटरी खरीदना ही फायदेमंद साबित होगा। इससे आपकी इनवर्टर बैटरी लाइट भी बढ़ती है और आने वाले समय में आप इसका इस्तेमाल सोलर पैनल के साथ आसानी से कर सकते हैं। उम्मीद है हमारे आर्टिकल के माध्यम से आपको सोलर बैटरी से जुड़ी सभी जानकारियां मिल गई होगी। सोलर से जुड़े सवालों का जवाब पाने के लिए कमेंट बॉक्स में कमेंट जरूर करें। ]]>सबसे पहले जान लेते हैं कि सोलर सिस्टम होता है।
सोलर सिस्टम एक ऐसा उपकरण है जो सौर ऊर्जा पर काम करता है। यह सूर्य से आने वाली किरणों को समेटता है और उनका इस्तेमाल कर बिजली उत्पन्न करता है। जिसका इस्तेमाल हम अपने घर, मकान, दुकान के उपकरणों को चलाने में आसानी से कर पाते हैं।
एक सोलर सिस्टम को बनाने में सोलर पैनल, चार्ज कंट्रोलर, सोलर इनवर्टर व बैटरी, और कनेक्टिंग वायर की आवश्यकता पड़ती है।
सोलर सिस्टम का काम बड़ा ही सरल है। सोलर सिस्टम में लगे सोलर पैनल पर जब सूर्य की किरणें पड़ती है तो वह सोलर पैनल किरणों को इकट्ठा कर उनसे बिजली उत्पन्न करता है। उत्पन्न हुई बिजली सोलर बैटरी में इकट्ठा होती हैं। जिसका इस्तेमाल घर के उपकरण जैसे पंखा, टीवी, लाइट इत्यादि को चलाने में किया जाता है।
सोलर सिस्टम लगवाने के बाद आपको सरकारी बिजली पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है। आप केवल मात्र सोलर सिस्टम की मदद से सोर ऊर्जा का इस्तेमाल कर अपने घर का पूरा लोड चला सकते हैं।
ग्रामीण इलाकों में बिजली की समस्या से हम सभी अच्छी तरह वाकिफ हैं। बेवक्त बिजली का जाना और लंबे समय तक नहीं आना, अकसर लोगों की परेशानियां बढ़ाता है। रात में बिजली ना आने के कारण घर में अंधेरा हो जाता है और बच्चों को भी पढ़ाई में दिक्कतें आती है साथ ही बिजली से होने वाले अन्य जरूरी काम भी रुक जाते हैं। इतनी समस्या के बावजूद भी बिजली बिल खर्चा कम नहीं आता। ऐसे में सोलर सिस्टम लगवाना एकमात्र उपाय बचता है।
सोलर सिस्टम तीन प्रकार के होते हैं-
वर्तमान मार्केट में कम कीमत से लेकर अधिक कीमत हर बजट रेंज में सोलर सिस्टम मौजूद है। जो घर का सारा लोड जैसे कि लाइट, पंखा और अन्य उपकरणों को आसानी से चला सकता है।
यदि आपके घर का लोड 800 वाट है। तो आपके लिए 1KW का सोलर सिस्टम लगाना उपयुक्त रहेगा। जिसको लगाने के लिए 100 sq. ft जगह की आवश्यकता पड़ती है।
एक सोलर सिस्टम में बैटरी, इनवर्टर, चार्ज कंट्रोलर, कनेक्टिंग वायर का भी इस्तेमाल होता है। जिसके कारण भारतीय सोलर बाजारों में 1KW सोलर सिस्टम की औसत कीमत 60,000 से लेकर 80,000 रुपए है।
भारत में कई कंपनियां सोलर सिस्टम मैन्युफैक्चरर करती हैं जिसमें से कुछ खास कंपनियों के नाम नीचे दिए गए हैं-
जब कभी भी आप अपने घर में सोलर सिस्टम लगवाने जा रहे हो तो इन बातों का रखें खास ख्याल-
आजकल आप सोलर सिस्टम ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं। LOOM SOLAR जैसी कंपनियां सोलर इंस्टॉलेशन की सुविधा भी देती है।
]]>सोलर सिस्टम का मतलब होता है सोलर प्लेट (Solar Panel), सोलर इन्वर्टर (Solar Inverter), सोलर बैटरी (Solar Battery) और उसके साथ लगने वाले उपकरण जैसे कि सोलर स्टैंड (Solar Stand), वायर (Wire), कनेक्टर (Connector), AC / DC बॉक्स, Earthing Arrester सभी को जब मिलाते है तो सोलर सिस्टम (Solar System) बनता है.
हमारे देश में घरों, स्कूल, हॉस्पिटल, दूकान, फैक्ट्री, इत्यादि के जरूरत के देखते हुए सोलर सिस्टम 3 प्रकार के मार्केट में उपलब्ध है.
हमारे देश में अब 90% स्थानों पर बिजली पहुंच चुकी है और यहाँ पर बिजली का पावर कट लगातार नहीं रहता है, यहाँ के लिए ऐसा सोलर सिस्टम डिज़ाइन किया है जो बिजली के साथ चलता है उसे हम ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम (On Grid Solar System ) या ग्रिड कनेक्टेड सोलर सिस्टम (Grid Connected Solar System) या ग्रिड टाई सोलर सिस्टम (Grid-Tie Solar System) कहते है.
सोलर पैनल (Solar Panel), सोलर सेल (Solar Cell) का कलेक्शन होता है जो सन लाइट (Sun light) को इलेक्ट्रिसिटी (Electricity) में कन्वर्ट (Convert) करता है. सोलर पैनल से जेनेरेट होने वाला करंट DC Current होता है. इस DC Current को चार्ज कंट्रोलर (Charge Controller) का यूज़ करके बैटरी (Battery) या ग्रिड (Power Grid) में स्टोर करते है.
ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम वैसा सिस्टम जो बिना ग्रिड पावर (Without Grid Power) चले यानि सन लाइट से बैटरी चार्ज (Charging Battery) होता है और इन्वर्टर (Normal Inverter / Solar Inverter ) के मदद से घर के सभी AC Appliances चलता है.
यदि कोई कंजूमर (Consumer) DC Appliances चलना चाहते है तो उन्हें इन्वर्टर की जरूरत नहीं होता है. उन्हें सिर्फ सोलर पैनल (Solar Panel) और बैटरी (Battery) रखना होता है. बैटरी की लाइफ (Life of Battery) बना रहे उसके लिए चार्ज कंट्रोलर (PWM / MPPT Charge Controller) का उसे करना जरुरी होता है.
वैसा सोलर सिस्टम (Solar System) जो बैटरी (Off Grid) और ग्रिड (On Grid) दोनों के साथ चलता है. आज के दिन में ह्यब्रीड सोलर सिस्टम मार्केट में बहुत ही कम उपलब्ध है.
सोलर पैनल की क्षमता को वाट (Watt) में मापते है. यानि कि 1000 Watts = 1kW होता है. यदि हम 1 kW सोलर सिस्टम अपने घर लगाते है तो
12V सोलर पैनल
24V सोलर पैनल
1kW ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम जो 2 - 3 BHK घरों के लिए बनाया गया है जहाँ पानी के मोटर (Surface Pump / Submersible Pumps) और एयर कंडीशनर (Air Conditioner) छोड़कर सारे उपकरण जैसे कि पंखा, कूलर, टीवी, फ्रिज, लाइट्स, कम्प्यूटर, लैपटॉप, वाशिंग मशीन, इत्यादि (Fans, Cooler, Lights, TV, Fridge, Laptop, Mobile Charging, Internet Router) लगभग 3-4 घंटे तक चल सकता है. इसमें 375Watt का 3 सोलर पैनल (No. of Solar Panels = 3), 150Ah की 2 सोलर बैटरी (No. of Solar Battery = 2), 1100VA का सोलर इन्वर्टर (Capacity of Solar Inverter = 1100VA), 3 पैनल स्टैंड (Mounting Structure = 1kW) और 15 मीटर 6 mm. 2 फेज DC Wire मिलता है.
1kW सोलर सिस्टम का प्राइस (Price of 1kW Solar System) लगभग Rs. 95,000 है. इस प्राइस में सोलर प्रोडक्ट्स आपके घर पर पंहुचा कर इनस्टॉल (Solar Panel Installation) भी किया जाता है.
1kW ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम में 150Ah का 2 सोलर बैटरी दिया जाता है जिसका प्राइस लगभग Rs. 37,000 होता है. सोलर बैटरी की वारंटी 5 साल की होती है. ये बैटरी C10 टेक्नोलॉजी (C10 Technology) से बना होती है। C10 टेक्नोलॉजी से बने बैटरी कम से कम 10 घंटे में चार्ज होता है और इसका बैकअप टाइम (Backup Time) इन्वर्टर बैटरी (Inverter Battery) से 30% ज्यादा होता है.
1kW ऑन ग्रिड या ग्रिड कनेक्टेड सोलर सिस्टम (Grid Connected Solar System) उनके लिए बनाया गया है जिनका बिजली बिल Rs.1000 या 150 - 200 यूनिट प्रति माह आता है. वो लोग ये सिस्टम लगाकर अपने बिजली बिल को शून्य (0) कर सकते है.
इस सिस्टम में सोलर पैनल (Solar Panel) और ग्रिड कनेक्टेड इन्वर्टर (Grid Connected Inverter) आता है. यहाँ सोलर पैनल की परफॉरमेंस वारंटी (Performance Warranty of Solar Panel) 25 साल और इन्वर्टर की 3 साल, 5 साल, 10 साल, 12 साल और 25 साल की होती है.
इंडिया में रूफटॉप सोलर सिस्टम (Rooftop Solar System in India) को प्रमोट करने के लिए सरकार सब्सिडी (Solar Subsidy) भी दिया जा रहा है. इस सिस्टम लगाने के लिए इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट (DISCOM) से परमिशन लेना पड़ता है.
1kW ऑन ग्रिड या ग्रिड कनेक्टेड सोलर सिस्टम का प्राइस Rs. 54,000 से 80,000 तक मार्केट में उपलब्ध है. सोलर सिस्टम पर सरकार द्वारा 30 - 40% की सब्सिडी दिया जा रहा है. इसकी पूरी जानकारी यहाँ से ले सकते है.
लूम सोलर (Loom Solar) फरीदाबाद की इंडियन मोनो पैनल मैन्युफैक्चरर (Mono Panel Manufacturer) है जो 10 वाट से 375 वाट तक का सोलर पैनल बनती है. यह कंपनी इनोवेशन के लिए प्रसिद् है. इस कंपनी से सोलर पैनल की नई टेक्नोलॉजी वाला सोलर पैनल बनाया है - मोनो पैनल (Mono Panel) और ऐसी मॉडुल (AC Module)। 1kW सोलर पैनल खरीदने पर लूम सोलर का 375 वाट का 3 पैनल आता है जिसकी प्राइस Rs. 36,000 का पड़ता है. यह कंपनी एक पैनल (375 वाट) से लेकर 10 किलो वाट (kW) तक सोलर पैनल आपके घर तक पहुँचती है और जरुरत के अनुसार इनस्टॉल भी करबाती है. लूम सोलर का प्रोडक्ट लूम सोलर वेबसाइट (www.loomsolar.com), अमेज़न (Amazon), फ्लिपकार्ट (Flipkart), और लूम सोलर रिटेल शॉप (Local Shop) पर उपलब्ध है.
मइक्रोटेक इन्वर्टर (Inverter) और स्टॅब्लिज़ेर (Stabilizer) के लिए बहुत जनि - मानी कंपनी है. यह कंपनी भी नार्मल इन्वर्टर (Normal Inverter) और सोलर इन्वर्टर (Solar Inverter) दोनों बनाती है. इनके पास 1kW ऑफ ग्रिड इन्वर्टर का प्राइस 6,700 है. इस कंपनी के इन्वर्टर की खाश बात यह है कि ये इन्वर्टर में डिजिटल डिस्प्ले (Digital Display) दिए है जो सोलर पावर जनरेशन (Solar Power Generation), DC वोल्टेज (DC Voltage), ग्रिड चार्जिंग (Grid Charging), सोलर चार्जिंग (Solar Charging), इत्यादि दिखाता रहता है. ये कंस्यूमर (Home Owners) को इनका ये फीचर बहुत पसंद आता है।
ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम (On Grid Solar System) सामान्य रूप से 3kW से स्टार्ट होता है, लेकिन हमारे देश (India) में 75% घरो में महीने का बिजली का बिल 1000 के लगभग है. इसलिए 1kW का ऑन ग्रिड इन्वर्टर कुछ ही कंपनी के पास उपलब्ध है. जैसे कि माईक्रोटेक (Microtek)। यदि 1kW ऑन इन्वर्टर की प्राइस की बात करेंगे तो इसकी प्राइस है 27000 है. इसका इंस्टालेशन नार्मल इन्वर्टर नहीं होता है. इसको इनस्टॉल करने के लिए नेट मीटर (Net Meter) की जरुरत होती है जो गवर्नमेंट की अप्रूवल (Government Approval) की जरुरत होती है.
ऑन ग्रिड की मार्किट को देखते हुए फरीदाबाद की कंपनी लूम सोलर ने लांच किया है AC Module जो ग्रिड कनेक्टेड सोलर सिस्टम (Grid Connected Solar System) है. इसकी खाश बात यह है कि ये 375Watt से स्टार्ट होता है और जरुरत के अनुसार 1kW, 2kW, 3kW, 5kW, 7kW, 10kW और इसके ऊपर का सिस्टम बना सकते है और ये बिना गोवेर्मेंट के अप्रूवल (Without Government Approval) बिना लगा सकते है. इसकी अप्रूवल की जरुरत तब है जब आप ये बिजली बेचने के पर्पस से नहीं लगाते है.
पैनल स्टैंड (Panel Stand) या मॉउंटिंग स्ट्रक्चर (Mounting Structure) या बैलेंसिंग सिस्टम (Balancing System) सोलर सिस्टम का एक महत्वपूर्ण कॉम्पोनेन्ट होता है. ये Galvanized Iron का बना होता है जिस पर जंग नहीं लगता है. ये सोलर पैनल की सुरक्षा प्रदान करती है. 1kW सोलर पैनल स्टैंड का प्राइस 5500 रूपया है जिसमे 2 छोटा लेग्स (आगे का लेग्स: Small Legs – Front Legs), 2 बड़ा लेग्स (पीछे का लेग्स: Big Legs – Back Legs) और 2 चैनल्स (जॉइंटर: Channels - Jointer) मिलता है और इसके साथ 12 नट – वोल्टस (Nut & Bolts) दिया जाता है जो सोलर पैनल को स्ट्रक्चर (Solar Panel Structure) के साथ टाइट करने के काम आता है.
सोलर पैनल को आपस में कनेक्ट करने के लिए MC4 कनेक्टर (MC4 Connector) का प्रयोग करते है जिसका प्राइस लगभग 500 रुपये का होता है. MC4 कनेक्टर 1 इन 1 आउट (1-in-1-out), 2 इन 1 आउट (2-in-1-out), 3 इन 1 आउट (3-in-1-out) और 4 इन 1 आउट (4-in-1-out) रेंज में आता है. इन्ही सबको प्रयोग करके 1kW सोलर सिस्टम बनाया जाता है.
सोलर पैनल (Solar Panels) और इन्वर्टर (Solar Inverter) के कनेक्शन के लिए DC वायर (DC Wire) का प्रयोग करते है. DC वायर में करंट का फ्लो AC वायर के मुकाबले जयादा होता है. 1kW सोलर सिस्टम में 6 mm - 2 core DC वायर दिया जाता है जिसका प्राइस 150 per sq. meter रहता है.
#1. एक पंखा और एक कंप्यूटर चलाना है, सौर ऊर्जा कितने की पड़ेगी?
जवाब: एक पंखा और एक कंप्यूटर का पॉवर कंसम्पशन लगभग 400 वाट होता है, तो इसके लिए 500 वाट का सोलर सिस्टम लगा सकते है जिसमे 380 वाट का सोलर पैनल, 1435 VA का सोलर इन्वर्टर और 1000 Watt Hour का लिथियम बैटरी मिलता है. इस सोलर सिस्टम पर एक पंखा और एक कम्प्यूटर लगातार 2 घंटे 30 मिनट चल सकता है. इस सोलर सिस्टम की कुल खर्च Rs. 50,000 है. इसमें कोई अलग से कुछ खर्च नहीं करना है. इस सोलर सिस्टम को 4500 रुपये के Monthly EMI पर खरीद सकते है. खरीदे.
आपके घर को ग्रीन हाउस (Eco-friendly) बनाने के लिए सरकार के द्वारा बहुत सारी योजना चलाया जा रहा है और इसी के साथ बहुत सारी प्राइवेट कंपनी भी काम कर रही है. सभी का एक ही उदेश है - अपने घर हो अपनी बिजली
]]>क्रेडिट कार्ड का अर्थ है - उधारी खाता। बता दें कि यह एक प्लास्टिक का छोटा सा कार्ड होता है। जो एक स्पेशल पेमेंट सिस्टम के मकसद के साथ बैंक ग्राहकों को जारी किये जाते हैं।
इस कार्ड की मदद से कोई भी ग्राहक वस्तुओं या सेवाओं को खरीद सकते हैं और उसका भुगतान बाद में कर सकते हैं। बता दें कि इस कार्ड के जरिए आप एक सीमित दायरे तक, अपनी जरूरतों को पूरा कर सकते हैं। यहाँ तक कि विषम परिस्थिति आने पर इससे नकद भी निकाल सकते हैं।
इस तरह, जिनके पास क्रेडिट कार्ड (Credit Card) होता है, वे बिना किसी खास परेशानी के बैंक बैलेंस न होने के बावजूद अपनी जरूरतों को पूरी कर सकते हैं। हालांकि, क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल हमेशा विषम से विषम परिस्थितियों में ही करनी चाहिए। नहीं तो इससे भविष्य में आपके लिए तनाव काफी बढ़ सकता है।
क्रेडिट कार्ड निम्न प्रकार के होते हैं -
क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड के बीच सबसे बड़ा फर्क यही है कि जब आप डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं, तो पैसे सीधे आपके बैंक अकाउंट से कटते हैं। वहीं यदि आप क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं, तो ये पैसे आपके प्री-अप्रूव्ड लिमिट से काटे जाते हैं।
क्रेडिट कार्ड से आपके लिए कम बैंक बैलेंस की स्थिति में भी पेमेंट की सुविधा आसान हो जाती है। यहाँ आपको कई ब्याज मुक्त क्रेडिट का भी फायदा मिलता है। इसके अलावा आप कई कैशबैक एंड डिस्काउंट्स का भी लाभ उठा सकते हैं।
क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने पर आपको अपने बैंक को एक ब्याज शुल्क भरना पड़ता है। जबकि डेबिट कार्ड के साथ ऐसी बाध्यता नहीं है, क्योंक वहाँ बैंक से कोई उधार नहीं ली जाती है।
बता दें कि आज लोगों के पास कई बैंक के क्रेडिट कार्ड्स होते हैं। इस वजह से आपके लिये सभी की पेमेंट की आखिरी तारीख को याद रखना थोड़ा चुनौतीपूर्ण होता है और आपकी गिनती डिफॉल्टर के रूप में हो सकती है।
ऐसे में क्रेडिट कार्ड आपको कर्ज के भारी जाल में फंसा सकता है और इससे आपका सिबिल स्कोर (CIBIL Score) भी काफी प्रभावित होता है। बता दें कि क्रेडिट कार्ड का बिल चुकाने के लिए आपको करीब 60 दिन का समय मिलता है।
बता दें कि क्रेडिट कार्ड पर सामान्य तौ पर 2.5 प्रतिशत से 3.5 प्रतिशत ब्याज दर प्रति माह लगता है। लेकिन यह बैंक दर बैंक के अनुसार अलग होता है।
क्रेडिट कार्ड बनवाने लिए आपको अपने बैंक खाते के साथ ही, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, मतदाता पहचान पत्र, पासपोर्ट जैसी कई कागजातों की जरूरत पड़ती है।
यदि आप क्रेडिट कार्ड लेने की योजना बना रहे हैं, तो इसके लिए आपकी उम्र कम से कम 18 साल होनी चाहिए। बता दें कि क्रेडिट कार्ड लेने के लिए आपके लिए आय का एक नियमित साधन होना अनिवार्य है और आपकी कोई बुरी Credit History नहीं होनी चाहिए।
1. Axis Bank Credit Card
2. Amazon Pay Later
3. ICICI bank lifetime free credit card
4. HDFC Bank Credit Card
5. BPCL SBI Credit Card OCTANE
6. SBI Simply Click Credit Card
7. Citi Premier Miles Credit Card
8. SBI Elite Credit Card
9. YES FIRST Preferred Credit Card
आपके पास जिस बैंक का भी खाता है। आप क्रेडिट कार्ड के लिए उसके बेवसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। अप्लाई करने के बाद, आपको बैंक के प्रतिनिधि कॉल करेंगे और कुछ जरूरी जानकारी माँगेंगे। इसके बाद आपका बैंक आपका आवेदन स्वीकार कर लेगी और कुछ दिनों के बाद आपको सूचित करेगी। अगर आपके आवेदन को अस्वीकार किया जाता है, तो बैंक द्वारा इसके कारण को भी बताया जाएगा। यदि आप ऑनलाइन बैंकिंग इस्तेमाल करते हैं, तो फिर आसानी से क्रेडिट कार्ड के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
एचडीएफसी भारत के सबसे बड़े निजी बैंकों में से एक है। यह बैंक HDFC Regalia Card, HDFC Diners Club Black Card, HDFC Platinum Times Card, HDFC Titanium Times Card, HDFC Teacher’s Platinum Credit Card जैसे कई प्रकार के क्रेडिट कार्ड को जारी करती है और अपने ग्राहकों को कई आकर्षक छूट देती है।
इसके लिए आवेदन करने का तरीका निम्न है -
1. सबसे पहले https://www.hdfcbank.com/ पर जाएंएसबीआई भारत की सबसे बड़ी बैंक है और इसका क्रेडिट कार्ड भी हासिल करना बेहद आसान है। बता दें कि यह बैंक एसबीआई सिम्पलीसेव क्रेडिट कार्ड, एसबीआई सिंपलीक्लिक क्रेडिट कार्ड, एसबीआई कार्ड प्राइम, एसबीआई कार्ड एलीट, BPCL एसबीआई कार्ड, पेटीएम एसबीआई कार्ड सलेक्ट, Yatra एसबीआई कार्ड जैसे कई प्रकार के क्रेडिट कार्ड को जारी करती है।
आइये जानते हैं इसे बनवाने के बारे में -
1. सबसे पहले https://www.sbicard.com/ पर क्लिक करेंइसके लिए आपको अपने अकाउंट में लॉगिन करना होगा और बैंक से अपने क्रेडिट कार्ड को बंद करने के लिए आवेदन देना होगा। इसके लिए आपको क्रेडिट कार्ड विवरण और नाम, पता और जन्म तिथि जैसे व्यक्तिगत विवरण देने होंगे। इसके अलावा आप customercare@sbicard.com पर भी अपनी क्रेडिट कार्ड बंद कराने की अपील भेज सकते हैं।
बता दें कि आप क्रेडिट कार्ड का बिल NEFT, नेशनल ऑटोमेटेड क्लीयरिंग हाउस (NACH), वीजा-क्रेडिट कार्ड पे, डेबिट कार्ड और इलेक्ट्रॉनिक बिल पेमेंट आदि की मदद से आसानी से कर सकते हैं।
बता दें कि आम तौर पर बिल 20-25 दिनों के बीच जनरेट होता है। इस दौरान आपके क्रेडिट कार्ड का उपयोग करके किए गए सभी ट्रांज़ैक्शन बिल जनरेशन की तिथि पर आपके बिल में जोड़ दिए जाते हैं और आप भुगतान कर सकते हैं।
इसके लिए आप अपने एचडीएफसी बैंक वेबसाइट अकाउंट में लॉगिन करें और डेबिट कार्ड सेक्शन में 'इनक्वाइरी' टैब पर क्लिक करें। फिर अगले पेज पर 'कैशबैक इनक्वाइरी और रिडम्पशन' टैब पर क्लिक करें। उस अकाउंट नंबर का चयन करें जिसके लिए आप पॉइंट्स को रिडीम करना चाहते हैं। इस तरह आप अपना इनाम अंक रिडीम कर सकते हैं।
हमें यकीन है कि यह लेख आपके लिए मददगार साबित होगा। यदि आप अपनी रोजमर्रा की जिंदगी के बारे में ऐसी ही जानकारियों को हासिल करना चाहते हैं और अपनी जिंदगी बेहद आसान बनाना चाहते हैं, तो हमारे साथ नियमित रूप से बने रहें।
इसके अलावा, यदि आप अपने घर में सोलर पैनल लगाना चाहते हैं और खुद के बिजली के मामले में आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं, तो अभी हमसे संपर्क करें। हमारे विशेषज्ञ आपकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।
]]>क्या आप जानना चाहते है कि पंखा, बल्ब और टीवी चलाने के लिए कितने वाट का पैनल और कितने का खर्च आएगा? ये आपके लिए जरुरी है और इसे आगे पढ़े…
Step 1: Purpose of Installation [जरुरत क्या है]
सोलर सिस्टम लगाने का कई जरूरत होती है पर घर की बात करें तो यहाँ दो जरुरत ज्यादा देखने को मिलेगा. बिजली बिल की बचत. हर आदमी ये सोच कर अपना सोलर सिस्टम लगाबते है कि उनको सरकरी बिजली की जरुरत ना के बराबर पढ़े.
यदि मेरे घर का बिजली बिल 2000 महीने का देता हु तो मेरा पहला कोशिश रहेगा कि कैसे 2000 बिजली बिल को कम करें.
और दूसरा वैसे एरिया जहाँ आज भी बिजली 4 घंटे से ज्यादा है जिसके कारण वहां बैटरी चार्ज नहीं हो पाती है. ये दो मुख्य कारण है सोलर पैनल लगाने का.
सोलर पैनल लगाते समय फ्यूचर के बढ़ने वाले उपकरण को भी सोचकर सोलर पैनल का चयन करते है ताकि उनको अलग से कोई खर्च ना करना परे.
Step 2: Types of Solar System [कौन–सा सोलर सिस्टम लगाये?]
इंडिया में सोलर सिस्टम तीन प्रकार के उपलब्ध है –
ऑफ़ ग्रिड सोलर सिस्टम – यह सोलर सिस्टम बिना ग्रिड पॉवर के चलता है, जिसके कारण यह किसी भी एरिया के लिए उपयुक्त है.
ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम – यह सोलर सिस्टम ग्रिड पॉवर के साथ चलता है, जिसके कारण यह वैसे एरिया के उपयुक्त है जहाँ बिजली लगभग 23 घंटे आता हो. जैसे कि मेट्रो सिटी, पोपुलर सिटी, इत्यादि.
हाइब्रिड सोलर सिस्टम – यह ऑन ग्रिड और ऑफ ग्रिड इन्वर्टर का मिलाकर हाइब्रिड सोलर सिस्टम बनाया गया है. ये बैटरी के साथ प्रयोग कर सकते है और जब आप नेट मीटर लगा कर बचे हुए बिजली को ग्रिड में बचा सकते है.
मान लीजिये, आप अपने घर में 3 किलोवाट सोलर सिस्टम लगाये जो प्रति दिन 15 यूनिट बनता है लेकिन आपके घर के एक दिन का खपत 8 यूनिट है तो इस प्रस्थिति में आपका बचा हुए 7 यूनिट बिजली विभाग को चला गया. इसी तरह आप महीने का पूरा सोलर सिस्टम का जनरेशन और बिजली का खपत घटा कर आपका बिजली बिल आयेगा.
Step 3: How to Plan Solar System [सोलर सिस्टम का प्लान कैसे करें]
सोलर सिस्टम खरीदने से पहले 3 उपकरण का सिलेक्शन बहुत ही जरुरी है –
इन्वर्टर, बैटरी और सोलर पैनल. सबसे पहले जानते है कि इन्वर्टर कैसे चयन करते है? इसके लिए हमने अपने घर का पूरी उकरण का लिस्ट उसके consumption power के साथ बनाये है.
अब हम ये निर्णय करेगे कि एक समय में क्या क्या चलायेगे, जैसा कि नीचे टेबल में बताया गया है.
यहाँ मेरे घर में एक साथ 1200 वाट से 2000 वाट तक का लोड चलेगा और सभी उकरण एक साथ नहीं चलेगे. नीचे दिए गए फार्मूला अपना कर इन्वर्टर का चयन करते है.
1. Inverter Selection Golden Rule:
इन्वर्टर = बिजली जाने के रेगुलर लोड क्षमता * 2
= 2000W * 2
= 4000W (4KW)
Inverter Capacity: Double Capacity of Regular Loads, i.e. 2 * 2000W = 4000W (4KW)
Two Advantages:
2. Battery Selection Golden Rule:
जब बैटरी की चयन करते है तो सबसे पहले ये जानते है कि नाईट के समय में कितना यूनिट पॉवर की जरूरत है. मेरे घर में रात के समय में लगभग 4 से 5 यूनिट की जरुरत है और ये जानगे कि इन्वर्टर कितने वोल्टेज सपोर्ट करेगा. यहाँ हमने 150A के चार बैटरी C10 टेक्नोलॉजी का चयन किये है.
3. Solar Panel Selection Golden Rule:
इन्वर्टर और बैटरी सिलेक्शन के बाद अब सोलर पैनल का सिलेक्शन करेगे. यहाँ पर सोलर पैनल की मदद से घर के पूरी लोड चलाना है तो इसके लिए बैटरी के क्षमता से चार गुना सोलर पैनल का चयन किये है.
बैटरी क्षमता = 150 * 4 = 600Ah
सोलर पैनल क्षमता = 375 * 8 = 3000Watt
4. Solar Charge Controller Selection Golden Rule:
मार्केट में 4 किलोवाट का सोलर इन्वर्टर नहीं आता है. सोलर इन्वर्टर का रेंज हमेशा 1KW, 2KW, 3KW, 5KW, 7.5KW और 10KW में आता है. इन्वर्टर के रेंज के हिशाब से इसके साथ बैटरी की क्षमता बढ़ता है. इसलिए यहाँ पर 4 किलोवाट का नार्मल इन्वर्टर और उसके साथ अलग से MPPT Solar Charge Controller लगाया गया है.
MPPT Solar Charge Controller का सबसे बढ़ा फायदा यह है कि सबसे पहले बैटरी को चार्ज करता है और जो बिजली ज्यादा रहता है उसको घर के लोड चलाता है. जिससे बिजली बिल पर सीधा फायदा दिखता है.
यदि बैटरी फूल चार्ज हो और दिन के समय घर के कोई भी लोड नहीं चल रहा हो तो इस केस में सोलर पैनल से बिजली नहीं बनायेगा.
5. Panel Stand Selection Golden Rule:
सोलर सिस्टम का मुख्य उपकरण है सोलर पैनल स्टैंड. यह सोलर पैनल की मजबूती देता है. सोलर पैनल ज्यादा से ज्यादा बिजली बनाये इसके लिए जरुरी है घर के अनुसार सोलर पैनल स्टैंड का चयन करना. यहाँ पर हमने RCC Customized Panel Stand का चयन किये है.
पूरी जानकरी के लिए ये विडियो देखें:
सोलर पैनल लगाने के पहले आपको ऊपर दिए हुए जानकारी जानना बहुत ही जरुरी है. यदि आप अपने घर, हॉस्पिटल, स्कूल, ऑफिस, पेट्रोल पंप, फैक्ट्री पर सोलर सिस्टम लगाने का प्लान कर रहें है तो आप बेसिक होम वर्क कर सकते है. यदि आप चाहते है कि आपके पास कोई सोलर इंजिनियर आकर आपको इसकी पूरी जानकारी दे तो लूम सोलर से आप प्रोफेशनल सोलर इंजिनियर विजिट करबा सकते है.
]]>बता दें कि माल एवं सेवा कर, एक अप्रत्यक्ष कर है, जिसे भारत में एक एकीकृत बाजार के निर्माण के लिए लागू किया गया है। इसमें वैट, एंट्री टैक्स, मनोरंजन कर, सेंट्रल सेल्स टैक्स, विज्ञापन कर, लग्जरी टैक्स आदि जैसे कई टैक्स समाहित हैं। वहीं पेट्रोलियम और आबकारी टैक्स को इसके दायरे से बाहर रखा गया है।
भारत गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (Good and Service Tax) को लागू करने वाला दुनिया का 166वां देश है। इसके तहत 5 प्रतिशत से लेकर 28 प्रतिशत तक दर निर्धारित हैं। इस कर व्यवस्था के लागू होने से देश में बिजनेस करना काफी आसान हो गया है और उद्योग इससे रसद और आपूर्ति श्रृंखला में काफी बचत कर सकते हैं।
देश में जीएसटी को लागू करने का विचार सबसे पहले साल 2000 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रखा था। उस दौरान राज्य के वित्त मंत्रियों का एक एम्पावर्ड ग्रुप गठित किया गया था।
बता दें कि जीएसटी को कनाडा में साल 1991 में ही अपना लिया गया था, जिसे मैन्यूफैक्चर्स सेल्स टैक्स के स्थान पर लाया गया था। वहीं, न्यूजीलैंड में 1986, सिंगापुर में 1994 और आस्ट्रेलिया में 2000 में ही इसे अपना लिया गया था।
बता दें कि भारत में जीएसटी को संचालित करने के लिए ‘वस्तु एवं सेवा कर परिषद’ का गठन किया गया है। इसके अध्यक्ष भारत के वित्त मंक्षी होते हैं।
गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के तहत 5 तरह के टैक्स लगाए जाते हैं। इसके तहत 0%, 5%, 12%, 18% और, 28% की दरें निर्धारित हैं।
बता दें कि जीएसटी एक वैल्यू एडेड टैक्स सिस्टम है, जो उत्पाद बनाने वाली कंपनी से लेकर उपभोक्ताओं तक की आपूर्ति व्यवस्था पर आधारित है। हर चरण पर भुगतान किये गए इनपुट टैक्स का लाभ वैल्यू एडिशन पर गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स को एक जरूरी रूप से एक टैक्स बना देता है। इसके तहत, अंतिम ग्राहक को अंतिम डीलर द्वारा लगाया गया जीएसटी भरना पड़ता है। नतीजन, बीते चरणों के सभी मुनाफे यहाँ समाप्त हो जाते हैं।
बता दें कि हाल ही में सरकार द्वारा जीएसटी (GST) की दरों में बदलाव किया गया है। जिसके तहत मछली, दही, पनीर, लस्सी, शहद, सूखा मखाना, सूखा सोयाबीन, मटर जैसे उत्पाद, गेहूं और अन्य अनाज जैसे 14 फूड आईटम्स पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगाया गया। वहीं, इन उत्पादों को यदि खुले में बेचा जाए, तो इस पर भी टैक्स नहीं लगेगा।
इसके अलावा पैकेट बंद और लेवल्ड प्रोडक्ट पर 18 प्रतिशत का जीएसटी लगेगा। बता दें कि इस पर पहले सिर्फ 5 प्रतिशत की दर से टैक्स लगता था। वहीं, नारियल पानी पर 12 प्रतिशत और फुटवेयर के कच्चे माल पर भी 12 प्रतिशत का टैक्स लगाया जाएगा।
जीएसटी (GST) के नये नियम के मुताबिक रोजाना एक हजार रुपये से कम कीमत वाले होटल कमरों पर 12 प्रतिशत का टैक्स लगेगा और 5 हजार रुपये प्रति दिन (आईसीयू के अलावा) से अधिक के अस्पताल के कमरों पर भी 5 प्रतिशत का टैक्स लगाया जाएगा।
वहीं, सड़क, पुल, रेलवे, मेट्रो, जैसे कार्य अनुबंधों पर अब 18 प्रतिशत और लक्जरी और सिन गुड्स पर अधिकतम 28 प्रतिशत का जीएसटी लगेगा।
बता दें कि जीएसटी के CGST (केंद्रीय माल एवं सेवा कर), SGST (राज्य वस्तु एवं सेवा कर), UTGST (केंद्र शासित प्रदेश माल एवं सेवा कर) जैसे तीन प्रकार हैं।
जीएसटी (GST) की वजह से टैक्स कैलकुलेश और संग्रह प्रक्रिया काफी आसान हो गई है और इससे टैक्स जमा करने की प्रक्रिया में भी पारदर्शिता सुनिश्चित हुई है। बता दें कि 20 लाख से कम कमाई करने वाले कंपनियों को जीएसटी (GST) भरने की जरूरत नहीं है और उत्तर पूर्वी राज्यों में यह 10 लाख रुपये निर्धारित है। इससे छोटे उद्योगों को काफी लाभ हो रहा है। पहले सरकार को अप्रत्यक्ष करों को हासिल करन में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। लेकिन अब जीएसटी ने सब कुछ काफी आसान बना दिया है। और यदि कर संग्रह आसान हो गई है, तो इसका सीधा फायदा देश की जीडीपी को होता है।
बता दें कि जीएसटी एक आईटी आधारित नियम है और इससे देश के आम लोगों को जोड़ने के लिए आधारभूत संरचनाओं को काफी मजबूत करने की जरूरत है। क्योंकि कई राज्यों में इसके जरूरी ढांचे की काफी कमी है। वहीं, इस नियम के तहत अब छोटे और मध्यम आकार के उद्योगों को भी पंजीकरण कराना अनिवार्य है। बता दें कि पहले उनके लिए ऐसी कोई बाध्यता नहीं थी। इसके अलावा, जिन लोगों का कारोबार कई राज्यों में है, उन्हें उन सभी राज्यों में पंजीकरण कराना होगा। जो एक जटिलता की स्थिति पैदा करती है।
यदि आप जीएसटी नंबर हासिल करना चाहते हैं, तो इसके लिए आप सबसे पहले www.gst.gov.in पर विजिट करें। इसके बाद मेनू पर आपको ‘सेवा’ टैब पर क्लिक करना होगा। इस पर क्लिक करने के बाद, आपके सामने पंजीकरण, भुगतान, और उपयोगकर्ता सेवाएं जैसे तीन विकल्प आएंगे। आप पंजीकरण पर क्लिक करें, जो आपको नये पेज पर रीडायरेक्ट करेगा। यहाँ क्लिक करने के बाद आपको बताना होगा कि आप करदाता हैं या जीएसटी व्यवसायी। इसके बाद आपको स्थायी खाता संख्या, ईमेल पता और मोबाइल नंबर जैसी जानकारियां दर्ज करनी होगी। आपके द्वारा दर्ज की गई जानकारियां पोर्टल द्वारा सत्यापित होगी, इसलिए आपको अपने ईमेल पर ओटीपी आएगा।
इसके लिए प्रक्रिया निम्न है -
स्टेप 1: https://reg.gst.gov.in/registration/ पर विजिट करें।
स्टेप 2: ‘Register Now’ पर क्लिक करें जो।
स्टेप 3: ‘Taxpayers’ का विकल्प चुनने के बाद ‘New Registration’ पर क्लिक करे्ं।
निम्न जानकारियों को भरें -
स्टेप 5: अगले पेज पर ओटीपी को दर्ज करें।
स्टेप 6: फिर, ‘Proceed’ पर क्लिक करें।
स्टेप 7: इसके बाद आपको अस्थायी रेफरेंस नंबर (TRN) हासिल होगा। इसे नोट कर लें।
स्टेप 8: अब एक बार फिर जीएसटी पोर्टल पर जाएं और ‘Taxpayers’ मेनू के अंतर्गत ‘Register’ पर क्लिक करें।
स्टेप 9: ‘अस्थायी रेफरेंस नंबर’ भरें।
स्टेप 10: कैप्चा भरें और ‘Proceed’ पर क्लिक करें।
स्टेप 11: आपको अपनी पंजीकृत ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी हासिल होगा। इसे दर्ज करें और ‘Proceed’ पर क्लिक करें।
स्टेप 12: आपकी आवेदन का स्टेटस अगले पेज पर दिखाया जाएगा। अगर आप कोई बदलाव करना चाहते हैं, तो दायीं ओर ‘Edit’ सेक्शन पर क्लिक करें।
स्टेप 13: अगले पेज पर आपको 10 सेक्शन भरने होंगे। जहाँ आपको कई जानकारियां और दस्तावेज देने होंगे।
जीएसटी नंबर हासिल करने के लिए आपको निम्न दस्तावेज दिखाने होंगे -
बता दें कि एक बार दस्तावेज दिखाने के बाद आपको ‘वेरिफिकेशन’ पेज पर जाना होगा और डिक्लेरेशन चेक करना होगा। फिर इलेक्ट्रॉनिक वेरिफिकेशन कोड के जरिये अपना आवेदन सबमिट करना होगा। आपको कोड पंजीकृत मोबाइल नंबर पर हासिल होगा। फिर, आपको ई-साइन के जरिये, आधार कार्ड से जुड़े मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी मिलेगा। यदि आप रजिस्ट्रेशन कर रहे हैं, तो आपको डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (डीएससी) के जरिये आवेदन सबमिट करनी होगी। इसके बाद आपको अपने नंबर या ईमेल आईडी पर एप्लीकेशन रेफरेंस नंबर भेजा जाएगा। इसके जरिए आप अपना स्टेटस चेक कर सकते हैं।
कोई भी ऐसा शख्स जो किसी दूसरे व्यक्ति की ओर से वस्तु या सेवाओं की योग्य आपूर्ति करता है। वे इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। इसमें एजेंट, डीलर जैसे लोग भी शामिल हैं।
हाँ। यह पूरी तरह से निःशुल्क है। इसके लिए आपको बस GST Portal पर खुद से सभी प्रक्रियाओं का पालन करना होगा। यदि आप किसी दूसरे व्यक्ति से यह काम करवाते हैं, तो इसके लिए आपको उसे निर्धारित फीस चुकानी होगी।
यदि आप अपना जीएसटी रजिस्ट्रेशन रद्द करना चाहते हैं, तो इसके लिए आप जीएसटी पोर्टल पर विजिट करें और प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन रद्द करने के विकल्प पर क्लिक करें। यहाँ आपको रद्द करने का कारण पूछा जाएगा। आगे आपको सभी जरूरी जानकारी भरनी होगी और आपका पंजीकरण ऑटोमेटिकली रद्द हो जाएगा।
जीएसटी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट डाउनलोड करने के लिए निम्न चरणों का पालन करें -
स्टेप- 1: https://www.gst.gov.in/ पर विजिट करें।
स्टेप- 2: फिर, ‘Login‘ पर क्लिक करें।
स्टेप- 3: यहाँ अपना यूजर नेम और पासवर्ड दर्ज करें।
स्टेप- 4: फिर, ‘Login‘ पर क्लिक करें।
स्टेप- 5: आगे ‘Services’ पर क्लिक करें।
स्टेप- 6: फिर, ‘User Services’ पर क्लिक करें।
स्टेप- 7: View/ Download Certificates’ के विकल्प पर क्लिक करें।
स्टेप- 8: फिर अपना सर्टिफिकेट डाउनलोड करें।
GST Number को पता करने के लिए आप GST Official Website पर जाकर इस लिंक
https://services.gst.gov.in/services/searchtp से प्राप्त कर सकते है। इसके लिए आपको GST Number पता होना जरुरी है। जैसे कि यहाँ हम लूम सोलर का GST number चेक कर रहें है।
Loom Solar GST Number: 06AADCL6607J1ZG
ऊपर दिए गए GST number देने के बाद लूम सोलर की पूरी जानकरी मिल गया.
हमें यकीन है कि यह लेख आपके लिए मददगार साबित होगा। यदि आप ऐसे ही विषयों के बारे में और अधिक जानकारी हासिल करना चाहते हैं या अपने घर में सोलर सिस्टम लगाना चाहते हैं, तो अभी हमसे संपर्क करें। हमारे विशेषज्ञ आपकी मदद के लिए चौबीसों घंटे तैयार रहते हैं।
]]>लेकिन, कॉन्फिगरेशन, बजट और सुविधाओं के आधार पर, बाजार में उपलब्ध मॉडलों को चुनना काफी मुश्किल काम है। लेकिन इस लेख में हम आपको 2024 के टॉप-10 एसी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे आपकी राह काफी आसान हो जाएगी।
इस लेख में हम आपको उन तरीकों को भी बताएंगे, जिससे आप हर महीने एसी से आने वाले अपने बिजली के बिल को कम से कम कर सकते हैं। लेकिन, उससे पहले हम आपको बताने जा रहे हैं कि आप एसी का चुनाव कैसे करें?
एसी खरीदने से पहले मन में कई दुविधाएं होती हैं। लेकिन, यहाँ हम आपको कुछ वैसी मूल चीजों के बारे में बताने जा रहे है, जिससे आपकी परेशानी काफी कम हो जाएगी:
1. टाइप [Type]- यदि आप एसी खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो सबसे पहले यह तय करें कि आपको किस तरह की एसी चाहिए। बाजार में स्पिल्ट एसी, विंडो एसी और सेंट्रल एसी, जैसे तीन तरह के एसी मिलते हैं। स्पिल्ट एसी दो यूनिट के आते हैं, तो विंडो एसी सिंगल यूनिट के ही आते हैं। वहीं, स्पिल्ट एसी, विंडो एसी के मुकाबले आवाज कम करते हैं। वहीं, सेंट्रल एसी में हवा की आपूर्ती केंद्रीकृत होती है।
2. उद्देश्य [Purpose]- इसके तहत सबसे पहले यह तय करें कि आप एसी क्यों खरीदना चाहते हैं। इसे आपको घर ऑफिस, दुकान या वेयर हाउस में इस्तेमाल करना है!
3. स्टार रेटिंग [Star Rating]- एसी को स्टार रेटिंग, उसकी एनर्जी एफिशियंसी के आधार पर दी जाती है। इसलिए आप तय करें कि आपको 3 स्टार एसी चाहिए या 4 और 5 स्टार।
4. क्षमता [Capacity]- इसके तहत आप निर्धारित करें कि आपको 1 टन, 1.5 टन की एसी चाहिए, या 2 टन की।
5. पावर कंज्पशन [Power Consumption]- एसी खरीदने के दौरान उसके पावर कंज्पशन का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। क्योंकि एसी का कूलिंग आउटपुट और पावर इनपुट काफी मायने रखता है। यदि आप इन्वर्टर एसी लेंगे तो आपको बेहतर एनर्जी एफिशियंट एसी मिलेंगे।
6. टेक्नोलॉजी [Technology]- बाजार में सामान्य और इन्वर्टर, दो तरह के एसी मिलते हैं। सामान्य एसी की एक सीमित गति होती है, तो वहीं इन्वर्टर एसी रूम के टेम्प्रेचर के हिसाब से अपनी स्पीड बदलते रहते हैं।
7. फीचर्स [Special Features]- आज के दौर में IOT बेस्ड और ऑल सीजन एसी की माँग तेजी से बढ़ रही है, क्योंकि ये परंपरागत एसी के मुकाबले काफी सुविधाजनक हैं।
8. कीमत [Cost]- बाजार में अच्छी क्वालिटी की एसी 25 हजार रुपये से मिलनी शुरू हो जाती है और औसतन 45 से 50 हजार के बीच में आपको काफी अच्छी एसी मिल जाती है।
9. ब्रांड [Brands]- बाजार में एलजी, सैमसंग, गोदरेज, ब्लू स्टार जैसी कई कंपनियों ने एक से बढ़कर एक और किफायती एसी लॉन्च किए हैं। ब्रांड का चुनाव आप अपनी पसंद और सुविधा के अनुसार कर सकते हैं।
10. सर्विस एंड स्पोर्ट [Service & Support] - इसके तहत यह देखें कि यदि आप किसी कंपनी की एसी को खरीद रहे हैं, तो वे अपने ग्राहकों को संतुष्ट करने के लिए कितनी ईमानदारी से काम करते हैं, कोई समस्या आने के बाद आपकी कैसे मदद करते हैं। इसके लिए आप ऑनलाइन रिव्यूज का भी सहारा ले सकते हैं।
तो, आइये अब हम इंडिया के Top 10 Best AC Brands बारे में जानते हैं:
एलजी लंबे अर्से से भारत में एसी के लिए एक विश्वसनीय ब्रांड है। यह कंपनी क्वालिटी प्रोडक्ट और शानदार कस्टमर सर्विस के लिए जानी जाती है। कंपनी के 1.5 टन 5 स्टार इन्वर्टर स्प्लिट एसी को लोगों ने काफी पसंद किया है। इसकी कूलिंग कैपेसिटी 5100 वाट है और इसमें बिजली की खपत काफी कम होती है।
ब्लू स्टार भी शानदार फीचर्स से लैस एसी को लॉन्च करने के लिए जाती है। कंपनी की 2 टन 5 स्टार इन्वर्टर स्प्लिट एसी मॉडल की एनर्जी रेटिंग 5 स्टार है और यह एंटीबैक्टिरियल और एंटी फ्रिच सुविधाओं से लैस है।
Daikin का यह मॉडल एनर्जी एफिशिएंसी और शानदार कूलिंग सिस्टम के लिए जाना जाता है। कंपनी प्रोडक्ट पर एक साल की वारंटी देती है, तो कंप्रेशर पर पाँच साल की। इसमें आरामदायक एयरफ्लो के लिए कोंडा एयरफ्लो को अपनाया गया है।
हिताची दुनिया में अत्यधिक एनर्जी एफिशिएंट उत्पादों को बनाने के लिए जाना जाता है। कंपनी का यह मॉडल ऑटो फैन स्पीड, सॉफ्ट ड्राई, ऑटो रीस्टार्ट, फिल्टर क्लीन इंडिकेटर और ट्रॉपिकल इन्वर्टर जैसी कई सुविधाओं से लैस है और इसे चलाने के लिए ज्यादा बिजली की भी जरूरत नहीं होती है।
Whirlpool काफी पुरानी और विश्वसनीय ब्रांड है। कंपनी के इस मॉडल की क्षमता एक टन है, जिसमें ग्राहकों को फीसदी कॉपर इन्वर्टर की सुविधा मिलती है। कंपनी प्रोडक्ट पर एक साल और कंप्रेसर पर 10 साल की वारंटी देती है।
यह एसी 6th सेंस फास्ट कूलिंग टेक्नोलॉजी, इंटेलीजेंट इन्वर्टर टेक्नोलॉली, स्टेबलाइजर फ्री और आर-32 इको रेफ्रीजरेंट टेक्नोलॉजी से लैस है।
पैनासोनिक कंपनी की यह एक स्मार्ट एसी है। इसकी क्षमता 1.5 टन है और इसे एलेक्सा और गूगल असिस्टेंट के साथ काम में लाया जा सकता है। यह एसी पूरी तरह से एंटी बैक्टिरियल है और इसे चलाने के लिए ज्यादा बिजली की भी जरूरत नहीं पड़ती है।
वोल्टास कंपनी सस्ती और टिकाऊ उत्पादों के लिए जानी जाती है। कंपनी की यह एसी कई नई तकनीकों से लैस है और 1.4 टन क्षमता की यह एसी काफी ऊर्जा दक्ष है। यह एसी कॉपर कंडेनसर कॉइल के साथ आता है, जो इसके प्रदर्शन को और अधिक बेहतर बनाता है।
गोदरेज का यह एसीइन्वर्टर कंप्रेसर, एंटी बैक्टीरियल, एक्टिव कार्बन और डस्ट फिल्टर, एंटी-माइक्रोबियल सेल्फ क्लीनिंग), R32 रेफ्रिजरेंट, साइलेंट ऑपरेशन के साथ आता है। कंपनी 1.5 टन की इस एसी पर एक साल की वारंटी देती है, वहीं कंप्रेसर पर 10 साल की वारंटी मिलती है।
सैमसंग के इस एसी की एनर्जी रेटिंग 5 स्टार है। यह एसी मध्य आकार के कमरों के लिए काफी उपयुक्त है। ऑटो चेंज फीचर से लैस इस एसी में एल्यूमीनियम केंडेंसर लगा है।
Haier के इस एसी को लोगों ने काफी पसंद किया है। यह एक सेल्फ क्लीन टेक्नोलॉजी के साथ स्पिल्ट एसी है। 1.5 टन क्षमता के इस एसी की एनर्जी एफिशियंसी रेटिंग 5 स्टार है। इस एसी को बिजली की कम जरूरत होती है। साथ ही, इसे ज्यादा रखरखाव की भी जरूरत नहीं पड़ती है।
एक एसी को चलाने के लिए रोजाना करीब 20 यूनिट बिजली की जरूरत पड़ती है। इस लिहाज से देखा जाए, तो आपको एसी चलाने के लिए हर दिन करीब 150 रुपए खर्च करने पड़ेंगे। वहीं, पूरे गर्मी के मौसम में इसपर करीब 25 हजार का खर्च आता है।
एसी चलाने में लापरवाही के कारण, बिजली बिल का बढ़ना आम है। इसलिए जरूरत न हो, तो इसे बिल्कुल इस्तेमाल न करें। इसे नियंत्रित तरीके से चलाने के लिए IOT बेस्ड एसी का इस्तेमाल करें, ताकि इसे कहीं से भी मोबाइल या लैपटॉप से भी ऑन/ऑफ किया जा सके। इस तरह, आप बिजली की खपत को कम करके 14-15 यूनिट तक ला सकते हैं।
एसी खरीदने के दौरान, लोग मुख्य रूप से तीन बातों पर गौर करते हैं -
इसके अलावा, चौथी चीज जो ध्यान में रखना सबसे जरूरी है, वह यह है कि हमारा एसी आईओटी बेस्ड है या नहीं।
Note: AC खरीदने के लिए Amazon, Flipkart, Croma, Reliance Digital, AC Brand Website और Nearby Retail Shops की मदद ले सकते है।
आज सर्दियों में हीटर और ब्लोअर का इस्तेमाल लगभग हर घर में होता है। लेकिन यदि आप एसी खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो आजकल बाजार में ऐसे एसी भी आने लगे हैं, जो सर्दियों में आपके कमरे को गर्म भी रख सकता है।
इसका फायदा यह है कि, हीटर और ब्लोअर से शरीर पर काफी खतरनाक प्रभाव पड़ता है। लेकिन, एसी के साथ एसी दिक्कत नहीं होती है और इससे गर्मी, कमरे में काफी अच्छे तरीके से वितरित होती है।
एलजी ने इस तरह के मॉडलों को बाजार में लॉन्च किया है, जिसकी कीमत करीब 70,000 से 80,000 रुपए के बीच होती है। इस तरह, आप सामान्य एसी को खरीदते समय, कुछ अतिरिक्त खर्च कर आप इन मॉडलों को घर ला सकते हैं।
नॉन-इन्वर्टर एसी, एक नियमित गति और क्षमता पर चलता है। लेकिन इन्वर्टर एसी में तापमान के साथ इसमें बदलाव आते हैं, जो काफी बिजली की बचत करता है। इसलिए हमेशा इन्वर्टर एसी को प्राथमिकता दें।
इस तरह इन तरीकों को अपनाते हुए आप अपने बिजली के बिल को कम तो कर ही सकते हैं। लेकिन, और अधिक सुविधा और आसानी के लिए आप इन तरीकों को भी अपना सकते हैं -
आज देश में बिजली कटौती की समस्या आम है। बार-बार लाइट कट होने की वजह से एसी, कमरे को ठंडा करने में अधिक बिजली भी खपत करता है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए आप लूम सोलर के शक्तिशाली CAML100 Lithium Battery को अपना सकते हैं।
5000 वाट का यह बैटरी, अकेले चार बैटरी के बराबर है। इस पर एसी को 5-6 घंटे तक काफी आसानी से चलाया जा सकता है।
यदि आप बिजली जाने के बाद AC चलाना चाहते है तो आपके लिए 5 kWh की inverter battery उपयुक्त रहेगा पर आप AC का बिजली बिल कम करना चाहते है तो आपको 3kW / 5kW On Grid Solar System लगाने की जरूरत पड़ेगी।
5 किलोवाट के बैटरी को चार्ज करने के लिए 4500 वाट के सोलर पैनल को लगाया जा सकता है, जिसमें करीब 10 पैनल लगेंगे। इस सिस्टम में आप दिन भर एसी को सोलर सिस्टम पर चला सकते हैं और रात में बैटरी बैकअप पर। इस तरह, आपका बिजली बिल जीरो हो जाएगा।
Which is the best 5 star AC?
- Sanyo 1.5 Ton 5 Star Dual Inverter Wide Split AC - Voltas 1.5 Ton 5 Star Inverter Split AC - Panasonic 1.5 Ton 5 Star Wi-Fi Twin Cool Inverter Split AC - Hitachi 1.5 Ton 5 Star Inverter Split AC - LG 1.5 Ton 5 Star Inverter Split AC
Which star AC is best for home?
A 5-star air conditioner 5 will cool your room in the most efficient manner. Besides, this rating means that a 5-star AC will cool a particular room faster, while using lesser electricity than a 3-star AC.
आज के दौर में एसी के इस्तेमाल में जागरूकता काफी जरूरी है। इसलिए आप इसे जितना नियंत्रित तरीके से इस्तेमाल कर सकें, करें। इससे आपको हर महीने हजारों रुपये की बचत तो होगी है, एसी के कारण पर्यावरण को भी कम नुकसान होगा।
Also read in English: Should I buy Inverter AC or Normal AC?
]]>बता दें कि यदि आप अपने घर में पानी का मोटर, एसी जैसी भारी मशीनों को भी सोलर एनर्जी (Solar Energy) पर चलाना चाहते हैं, तो इसके लिए आप अपने यहाँ 5 किलोवाट के सोलर सिस्टम (5 KW Solar System) को लगा सकते हैं। बता दें कि Loom Solar द्वारा पेश किये गए 5 किलोवाट का सोलर सिस्टम अपनेआप में अनोखा है।
बता दें कि आप 5 किलोवाट के सोलर सिस्टम (5 KW Solar System) को बड़े साइज के घरों से लेकर ऑफिसों और किसी दुकान, आदि में भी काफी आसानी से लगा सकता हैं। यह उनके लिए सबसे बेस्ट ऑप्शन है, जिनके यहाँ पावर कट की समस्या लगातार बनी हुई रहती है। इस सोलर सिस्टम को लगाने के बाद आप बिजली के मामले में काफी हद तक आत्मनिर्भर बन सकते हैं। आइये जानते हैं 5 किलोवाट के सोलर सिस्टम (5 KW Solar System) के बारे में कुछ खास बातें -
रूफटॉप सोलर (Rooftop Solar) के मामले में ‘सोलर सिस्टम’ एक बहुत ही नया शब्द है। बता दें कि सोलर सिस्टम का अर्थ है कि सोलर पैनल, इंवर्टर, बैटरी, आदि के पूरे सेट को मिला कर जो सिस्टम बनता है, उसे ‘सोलर सिस्टम’ कहा जाता है।
1. ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम: इस सोलर सिस्टम चलाने के लिए बिजली की जरुरत नहीं होती है जिसके कारण ये ऐसे एरिया के लिए फायदेमंद है जहाँ गर्मी के समय में पॉवर कट या लो वोल्टेज का प्रॉब्लम होता है. पूरी जानकारी यहाँ पढ़े. https://www.loomsolar.com/collections/off-grid-solar-system
2. ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम: इस सोलर सिस्टम चलाने के लिए बिजली की जररूत होती है जिसके कारण ये ऐसे एरिया के फायदेमंद है जहाँ गर्मी में ac और ठंड में वाटर हीटर चलाया जाता है. पूरी जानकारी यहाँ पढ़े. https://www.loomsolar.com/collections/on-grid-solar-system
3. हाइब्रिड सोलर सिस्टम: इंडिया में 2 – 3 वर्षो में सोलर की जरुरत को देखते हुए कई इन्वर्टर कंपनी हाइब्रिड इन्वर्टर मार्किट में उपलब्ध कराया है जिससे कस्टमर ऑफ ग्रिड और ऑन ग्रिड का फयदा एक साथ उठा रहे है.
ऊपर के सेक्शन में हमने 5 किलोवाट सोलर सिस्टम के बारे में एक आसान जानकारी हासिल की। लेकिन, यदि आप इसे अपने यहाँ इंस्टाल करने की तैयारी कर रहे हैं, तो आपको ये सिस्टम्स कैसे काम करते हैं? इस विषय में भी पूरी जानकारी होनी चाहिए। साथ ही, आपको हर सोलर सिस्टम के फायदे और नुकसाने के बारे में भी जानकारी होनी जरूरी है। नीचे हम संक्षेप में उसका उल्लेख कर रहे हैं -
बता दें कि यह एक ऐसा सोलर सिस्टम होता है, जिसमें आप एनर्जी को काफी आसानी से स्टोर कर सकते हैं और जरूरत पड़ने पर उसका इस्तेमाल कर सकते हैं। यह सोलर सिस्टम ग्रिड के साथ और बिना ग्रिड के भी, दोनों ही स्थितियों में काम करता है।
Pros: यह दोनों ही स्थितियों में काम करता है। (ग्रिड के साथ या बिना ग्रिड के भी)
Cons: बैटरी बैंक होने के कारण यह अपेक्षाकृत रूप से अधिक महंगा होता है।
इसे ग्रिड कनेक्टेड सोलर सिस्टम के रूप में भी जाना जाता है। बता दें कि इस सिस्टम को आप केवल और केवल पावर ग्रिड से कनेक्ट करके ही चला सकते हैं।
Pros: यह आपके महीने के अंत में आने वाले बिजली बिल को कम कर देता और यह ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम की तुलना में सस्ता होता है।
Cons: यह बिजली कटौती या कम वोल्टेज होने पर काम करना बंद कर देता है।
यह एक स्टैंडअलोन सिस्टम यानी ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम के साथ, ग्रिड कनेक्टेड सोलर सिस्टम का एक कॉम्बिनेशन है। इसमें आपको बैटरी बैकअप और नेट मीटरिंग, दोनों की ही सुविधा मिलती है।
सामान्य रूप से, बिजली से चलने वाले किसी भी उपकरण में होने वाली बिजली की खपत को वाट और वोल्ट में मापा जाता है। बता दें कि पावर का फार्मूला current * voltage है। यहाँ 1000 वाट में 1 किलोवाट या 1 यूनिट होता है। इसका सीधा मतलब है कि यदि आप 5 किलोवाट के सोलर सिस्टम को लगाने की योजना बना रहे हैं, तो यह 5000 वाट की सोलर एनर्जी होती है। यहाँ एक बड़ा सवाल यह भी खड़ा होता है कि आप यह कैसे निश्चित करें कि 5 किलोवाट का सोलर सिस्टम आपके लिए उपयुक्त है? तो, इसके लिए कुछ सुझाव निम्नलिखित हैं -
Option 1: आप सबसे पहले अपने बिजली बिल पर Sanctioned load की जाँच करें। बता दें कि यह आपको अपने संबंधित बिजली बोर्ड द्वारा 3 या 5 किलोवाट का बिजली कनेक्शन हो सकता है।
Option 2: आप बेहतर कैलकुलेशन के लिए किसी ऑनलाइन लोड कैलकुलेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह आपको बिजली से चलने वाले हर एक उपकरण के बारे में जानकारी देनी होगी। इससे आपको यह अंदाज़ा हो जाएगा कि आपके घर या बिजनेस में कितनी बिजली खपत होती है। हालांकि, यह एक मुश्किल काम है। इसलिए हम आपको ऐसा करने के लिए रिकमेंड नहीं करते हैं।
Option 3: यदि आपके पास क्लैंप मीटर है, तो आप आसानी से अपने उपकरण की मैक्सिमम, मिनिमम और औसत बिजली खपत की जाँच कर सकते हैं।
Option 4: यदि आप बिना कोई समय बर्बाद किये इस विषय में पूरी जानकारी हासिल करना चाहते हैं, तो इसके लिए आप हमारे Site Survey की बुकिंग कर सकते हैं। इसके बाद, हमारे इंजीनियर आपकी साइट पर जाएंगे और आपको सभी तकनीकी विषयों के बारे में जानकारी देंगे। साइट सर्वे के लिए विजिट करें - https://www.loomsolar.com/products/engineer-visit
बता दें कि किसी भी कस्टमर के मन में उठने वाला यह बेहद ही सामान्य प्रश्न है कि 5 किलोवाट के सोलर सिस्टम पर कितने उपकरण चल सकते हैं।
कई लोगों को लगता है कि इस पर आप अपने घर के सभी उपकरणों को चला सकते हैं, लेकिन कई मायनों में यह संभव नहीं है। क्योंकि, किसी भी सोलर सिस्टम के काम करने का एक तरीका होता है और यह पूरी तरह से निर्भर करता है कि आप किस तरह के सोलर सिस्टम का इस्तेमाल कर रहे हैं। आइये इस विषय में नीचे समझते हैं:
Case 1: बता दें कि यदि आप ग्रिड कनेक्टेड सोलर सिस्टम का चुनाव करते हैं, तो आप 5 किलोवाट के रूफटॉप सोलर सिस्टम पर घर में सभी उपकरणों को चला सकते हैं। क्योंकि, इस सोलर सिस्टम का स्ट्रिंग इन्वर्टर सीधे बिजली के मीटर के साथ जुड़ा होता है।
Case 2: बता दें कि यदि आप बैटरी बैंक वाले सोलर सिस्टम का चुनाव करते हैं, तो आप 5 किलोवाट के सोलर इंवर्टर कैपेसिटी का लगभग 80 से 95 प्रतिशत लोड यानी 4,000 - 4,500 वॉट तक चला सकते हैं। लेकिन, हम यहाँ आपको सिस्टम अच्छे से चलता रहे, इसके लिए इंवर्टर कैपेसिटी का 80% लोड उपयोग करने की सलाह देते हैं।
बता दें कि यह आप सोलर सिस्टम को खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो हम आपको हाई रेटिंग वाले उपकरण जैसे कि 5 स्टार रेटिंग / इन्वर्टर एसी बीएलडीसी फैन, सेंसर बल्ब, पावर सेविंग रेफ्रिजरेटर, कूलर, आदि खरीदने की सलाह देते हैं।
जैसा कि सोलर पैनल, धूप से मिलने वाली एनर्जी से बिजली जेनरेट करते हैं, तो इसका मतलब यह है कि आप जहाँ भी सोलर पैनल को इंस्टाल कर रहे हैं, वह पूरी तरह से Shadow Free हो। लोगों के पास Shadow Free एरिया होती है, तो वे इसे आसानी से लगा लेते हैं। वहीं, कोई लोगों के पास अपना छत ही नहीं होता है। जैसे कि कोई बहुमंजिला घर, दुकान, आदि। इस वजह से वे सोलर नहीं लगवा पाते हैं।
बता दें कि 5 किलोवाट के सोलर सिस्टम में 9 से 19 सोलर पीवी मॉड्यूल होते हैं और एक सोलर पैनल की साइज 7.5 x 4 फीट (28 वर्ग फुट) होती है। इसका मतलब है कि 5 किलोवाट के सोलर सिस्टम को लगाने के लिए आपको 280 वर्ग फीट शेडो फ्री एरिया की जरूरत है। यहाँ आपको अपने जगह के बेहतर इस्तेमाल के लिए सही माउंटिंग स्ट्रक्चर को चुनना भी जरूरी है। क्योंकि, आज कल रेसीडेंसियल सेक्टर में काफी ऊँची इमारतें बनती हैं और घर के मालिक इसका बहुउद्देश्यीय उपयोग करते हैं।
5 किलोवाट का सोलर सिस्टम एक दिन में लगभग 25 से 30 यूनिट बिजली जेनरेट करता है और रात या कभी भी बिजली जाने की स्थिति में घर की जरूरतों को पूरा करने के लिए 15000 वाट बिजली स्टोर कर सकता है। ध्यान रखें कि किसी भी सोलर सिस्टम से बिजली उत्पादन लोकेशन, धूप, सोलर सिस्टम की एफिशियंसी, आदि पर निर्भर करता है।
बता दें कि 5 किलोवाट के सोलर सिस्टम में आपको 10 “Shark 575 Watt| N type Topcon bifacial solar panel” की जरूरत होगी। बता दें कि यह सोलर पैनल लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के साथ आता है और इसकी बिजली जेनरेट करने की एफिशियंसी रेट 22.30% है, जो सबसे अधिक है। ध्यान रखें कि सोलर पैनलों की वास्तविक संख्या इस बात पर भी निर्भर करती है कि आपके एरिया में धूप कैसी है, सोलर पैनल की एफिशियंसी कैसी है, आदि।
बता दें कि आज के समय में सोलर सिस्टम की लागत 58,000 से रु. 60,000 रुपये प्रति किलोवाट शुरू होती है। यह इस बात पर निर्भर करती है कि आप किस कैपेसिटी, टाइप और रेटिंग के सोलर पैनल, सोलर इंवर्टर, सोलर पैनल स्टैंड, आदि को खरीद रहे हैं। यहाँ जरूरत पड़ने पर आप अलग से सोलर या लिथियम ऑयन बैटरी भी शामिल कर सकते हैं, जिससे जाहिर है कि आपका खर्च बढ़ जाएगा।
बता दें कि किसी भी सोलर सिस्टम को खरीदने के दौरान उसमें आने वाली लागत एक महत्वपूर्ण पहलू होती है और हर ग्राहक की जरूरतें और सवाल भी अलग-अलग होते हैं। इसी वजह से हम आपको सबसे पहले सही सोलर के चुनाव और बजट को निर्धारित करने के लिए ‘सोलर प्रोफेशनल्स’ से सलाह करने का सुझाव देते हैं। अगर आपको बजटिंग में दिक्कत आ रही है, तो आप सोलर लोन (Solar Loan) के लिए भी आवेदन कर सकते हैं।
यदि आप किसी ऐसे जगह पर हैं, जहाँ बिजली की कटौती 8 से 10 घंटे तक होती है और आपका महीने का बिजली बिल भी अधिक आता है। बता दें कि ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम दूरदराज के क्षेत्रों के लिए बिल्कुल परफेक्ट ऑप्शन है। यहाँ आप दिन के समय में सीधे सोलर पैनल से बिजली पा सकते हैं और रात में या पावर कट के दौरान बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए बैटरी बैकअप का इस्तेमाल कर सकते हैं।
बता दें कि "5 किलोवाट के ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम" में बैटरी एक बेहद महत्वपूर्ण पार्ट होता है। आज के समय में बाजार में कई बैटरियां हैं, जैसे कि प्राइमरी बैटरी (use & throw), रिचार्जेबल बैटरियां जैसे ड्राई सेल, लीड एसिड बैटरी और लिथियम ऑयन बैटरी, आदि। आप अपनी जरूरतों को देखते हुए, सोलर बैटरी, नॉर्मल बैटरी और लिथियम ऑयन बैटरी में से किसी का भी विकल्प चुन सकते हैं। लेकिन, आज के समय में “CAML 10048 5KWH lithium battery” बाजार में सबसे बेस्ट बैटरी है, जो अत्याधुनिक तकनीकों से लैस है और 4 बैटरी के बराबर अकेले है। आप इस एक बैटरी से 5 किलोवाट के सोलर सिस्टम को काफी आसानी से चला सकते हैं। बता दें कि इस बैटरी की 5 स्टार रेटिंग है और इसे न ज्यादा रखरखाव की जरूरत होती है और न ही ज्यादा जगह की।
5 किलोवाट सोलर सिस्टम का रिटर्न ऑन इंवेस्टमेंट (आरओआई) लोकल लेवल पर बिजली की दरों और सिस्टम की एफिशियंसी जैसे कई कारकों पर निर्भर करता है। बता दें कि आम तौर पर 5 किलोवाट का आरओआई 5 से 6 वर्ष होता है। उसके बाद, आपको सालों साल के लिए फ्री में बिजली मिलती रहेगी।
उदाहरण के लिए: मान लीजिए आपको आपको सोलर सिस्टम को खरीदने में 5,25,000 रुपये का खर्च आया और 5 किलोवाट का सोलर सिस्टम आपको एक साल में 9000 (25x30x12) यूनिट बिजली बना कर देता है और 10 रुपये प्रति यूनिट की दर से यह लागत 90 हजार रुपये का बनता है। इस हिसाब से आपको आपका आरओआई 5.8 वर्षों में आसानी से मिल जाएगा।
5 किलोवाट सोलर सिस्टम का डेली आउटपुट पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि आपका लोकेशन क्या है, धूप कितनी है, मौसम कैसा है और सोलर सिस्टम की एफिशियंसी कितनी है, आदि। औसत रूप से, आपको 5 किलोवाट के सोलर सिस्टम से हर दिन 25 से 30 यूनिट बिजली मिलती है।
बता दें कि 5 किलोवाट का बैकअप पूरी तरह से सिस्टम से जुड़े लोड पर निर्भर करता है। यदि आपने इस पर फुल लोड दिया, तो यह आपको 1 घंटे का बैकअप देगा। इसलिए हम आपको हमेशा लोड से 2 से 3 गुना अधिक इंस्टालेशन का सुझाव देते हैं।
5 किलोवाट का ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम 2-3 मंजिल के घरों, रेस्टूरेंट, स्कूल, अस्पतालों के लिए उपयुक्त है, जहाँ पावर कट के बाद भारी उपकरण चलते हैं। बता दें कि आप 5 किलोवाट के सोलर सिस्टम पर 5000 वाट तक का लोड काफी आसानी से चला सकते हैं।
5 किलोवाट का ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम वैसे घरों और बिजनेस स्पेस के लिए बेहद फायदेमंद है, जहाँ बिजली की कटौती अधिक होती है और बिजली की दर भी अधिक है। इस सोलर सिस्टम से आप बिजली के मामले में काफी हद तक आत्मनिर्भर बन जाएंगे।
बता दें कि एक सोलर सिस्टम पीवी पैनल, इन्वर्टर, बैटरी, पैनल स्टैंड, तार, एमसी4 कनेक्टर, अर्थिंग किट जैसे अन्य प्रोडक्ट्स का एक पूरा सेट होता है। यदि 5 किलोवाट के सोलर सिस्टम की बात करें, तो यह मुख्य रूप से 4 प्रकार का होता है, जिसके बारे में जानकारी नीचे है -
5 किलोवाट का ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम 2-3 मंजिल के घरों, स्कूलों, मेडिकल क्लीनिकों के लिए बेहद उपयोगी है, जहाँ आप पावर कट की स्थिति में भारी उपकरणों को भी चला सकते हैं। 5 किलोवाट के सोलर सिस्टम पर आप 4000 वाट तक के लोड को आसानी से चला सकते हैं।
बता दें कि 5 किलोवाट का सोलर सिस्टम आपको एक दिन में 25 यूनिट बिजली बना कर देगा और यह आपके लिए रात के समय में या पावर कट की स्थिति में 15000 वाट बिजली को आसानी से स्टोर कर सकता है।
भारत में 5 किलोवाट के सोलर सिस्ट की कीमत औसत रूप से 4,75,000 रुपये होती है। हालांकि, यह कीमत ब्रांड और रेटिंग, आदि के आधार पर अलग-अलग हो सकती है।
नीचे लिस्ट में पाएं पूरी जानकारी -
5 किलोवाट का ग्रिड कनेक्टेड सोलर सिस्टम (ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम) वैसे जगहों के लिए सबसे बेस्ट है, जहाँ गर्मी के दिनों में हर महीने बिजली बिल 5,000 से 10,000 रुपये चला जाता है। बता दें कि आप जब भी ग्रिड कनेक्टेड सोलर सिस्टम का सेलेक्शन करते हैं, तो आपको गर्मी के दिनों में अपने एरिया में वोल्टेज के सिचुएशन के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए, क्योंकि ग्रिड कनेक्टेड सोलर सिस्टम 190V (कम वोल्टेज) से नीचे नहीं चल सकते हैं।
बता दें कि 5 किलोवाट के ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम पर आपको 3,75,000 रुपये की लागत आती है। हालाँकि, टेक्नोलॉजी और ब्रांड के आधार पर इसकी कीमतें अलग - अलग हो सकती है।नीचे जानिए इसकी अनुमानित कीमत के बारे में -
सोलर सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए क्या योग्यताएं जरूरी हैं? इसके लिए आपको किन नियमों का पालन करना होगा, इस विषय में नीचे जानें पूरी जानकारी -
नेट मीटरिंग के लिए आवेदन करने के विषय में अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें - https://www.loomsolar.com/blogs/collections/how-to-apply-for-net-metering-state-wise-procedures
5kW सोलर सिस्टम का एक अन्य प्रकार VFD Technology है। इस सोलर सिस्टम से आप दिन के समय में सोलर वाटर पंप, आटा चक्की जैसे मशीनों को सीधे धूप से चला सकते हैं। इस सोलर सिस्टम में सोलर पैनल, वीएफडी (वोल्टेज फ्रीक्वेंसी ड्राइव), मूवेबल पैनल स्टैंड, डीसीडीबी और अर्थिंग किट मेजर कंपोनेंट हैं।
Solar Panels = 1.5 Times * Water Pump Capacity
उदाहरण के लिए, यदि आपके पास 1.5 एचपी का पानी पंप है, तो आप अपने यहाँ 3 किलोवाट के सोलर पैनल और 3 एचपी वीएफडी इंस्टाल कर सकते हैं।
बता दें कि सोलर वाटर पंप और आटा चक्की के लिए 5 किलोवाट के सोलर सिस्टम की पूरी लागत लगभग 3,00,000 रुपये है। नीचे ब्रेक डाउन मूल्य सूची दी गई है:
पीवी वाट के अनुसार, 5 किलोवाट का सोलर सिस्टम आपको एक दिन में औसत रूप से 20 से 25 यूनिट बना कर देता है। इस प्रकार, आपको इससे सलाना 7,200-9,000 यूनिट बिजली मिलती है। इससे आपको एक दिन में 84 -105 रुपये और एक साल में 50,400 - 63,000 रुपये की बचत होती है। नीचे जानिए सोलर सिस्टम के इलेक्ट्रीसिटी जेनरेशन के बारे में -
आज के समय में रेजीडेंसियल और कमर्शियल सेक्टर में बिजली के लगातार बढ़ते कीमतों के कारण सोलर सिस्टम की माँग में साल दर साल 3 गुना बढ़ोत्तरी हो रही है। लेकिन, अभी 5 किलोवाट सोलर सिस्टम को इंस्टाल करना एक बहुत ही बड़ा इंवेस्टमेंट है। यही कारण है कि कई लोग सोलर सिस्टम लगाने के बजाय हर महीने बिजली बिल भरना ही पसंद करते हैं।
लेकिन, आज के समय में बैंकों और फाइनेंस कंपनियों द्वारा आपको अपने छत पर सोलर इंस्टालेशन के लिए सोलर लोन (Solar Loan) की सुविधा प्रदान की जा रही है। लोन प्रोसेस, इंटरेस्ट रेट, डॉक्यूमेंट्स, आदि के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढें - https://www.loomsolar.com/blogs/collections/how-to-buy-solar-panel-on-loan-emi-with-debit-card
यदि आप अपने यहाँ 5 किलोवाट के सोलर सिस्टम को इंस्टाल करने की तैयारी कर रहे हैं, तो हमारी सलाह है कि इसके लिए आप सबसे पहले अपने घर पर एक सोलर इंजीनियर को बुलाएं, जो आपको इंवेस्टमेंट और रिटर्न, प्रोडक्ट और इंस्टालेशन प्रोसेस, आदि के बारे में पूरी जानकारी देंगे। बता दें कि हरियाणा के फरीदाबाद स्थित लूम सोलर द्वारा आपको साइट सर्वे की सुविधा देश के हर एक जिले में दी जाती है। आप इसकी बुकिंग अभी अपने फोन से भी कर सकते हैं।
1. सोलर पैनल
सोलर पैनल Sun light को बिजली में convert करता है.
2. बैटरी
सोलर पैनल से बने बिजली को बैटरी में save होता है.
3. इन्वर्टर
बैटरी में save dc current को ac में convert करता है और घर के सभी लोड इससे कनेक्ट किया जाता है. इन्वर्टर की capacity बिजली जाने के बाद जितना वाट का लोड चलाना है उससे दुगना होना चाहिए, नहीं तो इन्वर्टर में ओवरलोड का प्रॉब्लम आयेगा.
4. पैनल स्टैंड
सोलर पैनल को फिटिंग करने के लिए पैनल स्टैंड की जरुरत होती है. इसका चयन इंस्टालेशन एरिया के अनुसार किया जाता है. 5 किलो वाट में 12 सोलर पैनल आते है जिसके लिए 4 पैनल स्टैंड की जरुरत होती है.
सोलर पैनल को इनस्टॉल करने के
इनस्टॉल करने से पूर्व सबसे पहले स्टैंड्स लगाने के लिए पर्याप्त जगह नापी जाती है. स्टैंड्स दो’ प्रकार के होते है, छोटे व बड़े !
सबसे पहले स्टैंड्स को फिक्स किआ जाता है नट्स और बोल्ट्स की’ मदद से. स्टैंड और दीवार के बीच की दूरी नापी जाती है ताकि शैडो’ पेनल्स पर ना पड़े. धयान रखे स्टैंड्स का सही एंगल 20 से 30 डिग्री के बीच में होगा.
स्टैंड्स लगाने के बाद वायरिंग का काम शुरू किया जाता है. वायर्स या तो साड़ी नीचे की तरफ लगती है या साड़ी ऊपर की तरफ. 6mm की वायर और mc4 कनेक्टर को सिस्टम में कनेक्ट करेंगे. उसके बाद हम अर्थिंग का काम शुरू’ करेंगे, जिसके लिए हम भारी पाइप्स का इस्तेमाल करेंगे, जिसका एक पाइप ACDB बॉक्स व दूसरा पाइप DCDB बॉक्स में लगेगा
5 किलोवाट का सोलर सिस्टम पुरे दिन में लगभग 20 से 25 यूनिट्स बिजली बनाता है. इसके साथ 150 Ah की 8 बैटरी लगी होती है जिसमे लगभग 10 यूनिट्स save कर सकते है.
सोलर सिस्टम में लगे पुरे कम्पोनेंट्स पर 5 साल की 100% वारंटी और 1 साल की सर्विस वारंटी होती है. सोलर सिस्टम लगाने के पहले सभी प्रोडक्ट की वारंटी और सर्विस जरुर कन्फर्म करें.
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1KW |
3KW |
5KW |
7.5KW |
Solar Panel |
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No. of Panels |
2 |
6 |
11 |
17 |
Installation Area |
60 sq.ft. |
180 sq.ft. |
350 sq.ft. |
510 sq.ft. |
Wattages |
440W |
440W |
440W |
440W |
Model |
Shark440W |
Shark440W |
Shark440W |
Shark440W |
Battery |
|
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|
No. of Batteries |
2 |
4 |
4 |
8 |
Capacity |
150Ah |
150Ah |
150Ah |
150Ah |
Inverter |
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|
Capacity |
2.0KVA |
3.75KVA |
7.5KVA |
9.5KVA |
Voltage |
24V |
48V |
48V |
96V |
Ampere |
5A |
14A |
18A |
24V |
Panel Stand |
Portable |
Portable |
Portable |
Portable |
Wire |
DC Wire |
DC Wire |
DC Wire |
DC Wire |
Earthing |
1 |
2 |
2 |
2 |
Generation |
5 Units |
15 Units |
25 Units |
35 Units |
AC |
Will Not Run |
Inverter AC 1/1.5 Ton |
Traditional 1.5/2 Ton AC |
Traditional 1.5/2 Ton AC |
Water Pump |
0.5HP Surface Pump |
0.5HP Submersible Pump |
1HP Submersible Pump |
1HP Submersible Pump |
Basic Loads |
5 Fans, 1 Cooler, 1 Refrigerator, 1 TV, 1 Computer |
5 Fans, 1 Cooler, 1 Refrigerator, 1 TV, 1 Computer |
5 Fans, 1 Cooler, 1 Refrigerator, 1 TV, 1 Computer |
5 Fans, 1 Cooler, 1 Refrigerator, 1 TV, 1 Computer |
Backup Time |
24*7 |
24*7 |
24*7 |
24*7 |
Warranty |
5 years* |
5 years* |
5 years* |
5 years* |
5 किलो वाट सोलर सिस्टम की कीमत लगभग 5,00,000 रुपये आते है. जिसमे ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम – Rs. 475,000, ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम – Rs. 4,00,000 और हाइब्रिड सोलर सिस्टम – Rs. 5,00,000 पड़ता है.
5 किलो वाट सोलर सिस्टम पर बैंक लोन मिल जाती है. बैंक लोन पूरी जानकारी यहाँ से ले:
https://www.loomsolar.com/blogs/calculator/emi-loan-calculator
5 किलोवाट सोलर सिस्टम एक बड़ा सोलर सिस्टम और लाइफ टाइम इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट है. इसके लिए लूम सोलर और अपने नजदीकी डीलर डिस्ट्रीब्यूटर से संपर्क कर सकते है.
#1. 3 AC, 2 Fridge, 4 Fans, 5 Light और 1 Submersible चलाने का कितना खर्च आएगा और कितने किलोवाट का कनेक्शन होना चाहिए?
जवाब: जब AC के सोलर पैनल लगाने की बात करते है तो सबसे पहले महीने का बिजली बिल देखना है. अप्रैल से सितम्बर तक AC का प्रयोग किया जाता है जिसका बिजली बिल लगभग 6000 – 10000 का बिजली बिल महीने का आता है तो इसके लिए कितने किलो वाट का इलेक्ट्रिसिटी मीटर है उसका 80% तक सोलर सिस्टम घर पर लगवा सकते है. यदि 3 किलोवाट का मीटर है तो 2.5 kW, 5 किलोवाट का मीटर है तो 4 किलोवाट, 7 किलोवाट का मीटर है तो 6 किलोवाट और 10 किलोवाट का मीटर है तो 8 किलोवाट का सोलर सिस्टम लगबा सकते है.
इसके बाद, अपने छत की जगह के अनुसार जैसे कि 1 किलोवाट सोलर लगाने में कम से कम 60 sq. ft. जगह की जरूरत होगी. सोलर पैनल का इंस्टालेशन छत, टिन शेड, गार्डन, दिवाल पर हो जाता है इसके लिए सोलर पैनल लगाने के पहले सोलर कंपनी को बताना होगा कि सोलर आप कहाँ लगवाना चाहते है.
उसके बाद अपने घर के लिए सोलर सिस्टम की चुनाव कर सकते है. 1 किलोवाट सोलर सिस्टम की कीमत 60000 से शुरू होकर 80000 रुपये तक जाती है जिसको महीने के मात्र 7000 रुपये के Monthly EMI पर खरीद सकते है. खरीदें
]]>आज Induction Stove की माँग में भले ही तेजी देखी जा रही हो, लेकिन लोगों को इसका सही अंदाजा अभी तक नहीं हुआ है कि वास्तव में इसे चलाने के लिए कितनी बिजली (Power Consumption) की जरूरत पड़ती है। वहीं, देश के जिन हिस्सों में अभी तक बिजली नहीं पहुँची है या नियमित रूप से बिजली नहीं रहती है, वहाँ के लिए इसे खरीदने के बारे में सोच भी नहीं सकते हैं लेकिन आज का हमारा यह लेख उनकी इन्हीं परेशानियों को दूर करने को लेकर है -
आज इंडक्शन, एसी या गीजर खरीदने के दौरान लोगों के दिमाग में सबसे पहली बात यही आती है कि यदि वे इसे लगाएंगे, तो हर महीने बिजली बिल कितना आएगा?
यदि आप खाना बनाने के लिए रोजाना इंडक्शन स्टोव का इस्तेमाल करते हैं, हर दिन करीब 10 यूनिट बिजली खपत होगा। इस लिहाज से एक महीने में 300 यूनिट बिजली की खपत होगी, जिसके लिए आपको करीब 2000 रुपये का बिजली बिल भरना होगा।
लेकिन, वहीं यदि आप इंडक्शन स्टोव को चलाने के लिए सोलर सिस्टम (Solar System) का इस्तेमाल करते हैं, तो आपका बिजली बिल (Electricity Bill ~ 0) जीरो हो जाएगा और आपको हर महीने आने वाले खर्च से काफी राहत मिलेगी।
यदि आप इंडक्शन चलाने और घर की अन्य बेसिक जरूरतों को पूरा करने के लिए सोलर सिस्टम खरीदना चाहते हैं, तो आप 5 किलोवाट के सोलर सिस्टम को खरीद सकते हैं। इससे आपकी बिजली बिल जीरो हो जाएगी।
- घर के उपकरण जैसे कि AC, Water Pump, Geyser, Iron Press, Light, Dish Wahser, Fans, इत्यादि चलेगा।
- महीने की बिजली बिल लगभग 4-5 हज़ार तक कम हो जायेगा।
5 किलोवाट के सोलर सिस्टम को खरीदने के लिए आपको करीब 5 लाख 25 हजार रुपये रुपये तक खर्च करने होंगे।
हर महीने करीब 5 हजार रुपये के बिजली बिजली को बचाने के लिए, एक ही बार में 5 लाख का निवेश करने को लेकर, लोगों के मन में कई तरह की आशंकाएं होती हैं। लेकिन यदि कोई एक बार इतना निवेश कर दें, तो यह लागत तो कुछ ही वर्षों में वसूल हो जाएगी और उन्हें आगे सालों साल तक मुफ्त और निर्बाध बिजली मिलती रहेगी।
बता दें कि आज जितने भी लोग खाना बनाने के लिए गैस कनेक्शन का इस्तेमाल करते हैं, वे इसके लिए एक वैकल्पिक साधन का इंतजाम जरूरत करते हैं। ताकि अचानक गैस खत्म हो जाने की स्थिति में उन्हें ज्यादा परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े। ऐसे में सोलर सिस्टम उनके लिए सबसे बेहतर विकल्प है।
सोलर सिस्टम मुख्य रूप से दो तरह के होते हैं -
बता दें कि ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम वैसे जगहों के लिए, जहाँ बिजली बिल्कुल है ही नहीं या इसमें भारी कटौती होती है। लेकिन इसके साथ चुनौती यह है कि इस पर आप इन्वर्टर से ज्यादा लोड दे नहीं सकते हैं। यदि आप ऐसा करते हैं, तो ओवर लोडिंग की काफी दिक्कत आती है।
वहीं, ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम के साथ यह दिक्कत है कि देश के सभी हिस्सों में बिजली की पहुंच नहीं है, इस वजह से इसका इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।
बता दें कि आप अपने ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम का चयन, हमेशा अपने बिजली बिल को ध्यान में रखते हुए करें। इससे आपको हर महीने आने वाले हजारों के बिजली बिल से काफी राहत मिलेगी।
यदि आपके मन में सोलर सिस्टम को अपनाने को लेकर कोई सवाल है या आप इसे अपने घर में लगाना चाहते हैं, तो अभी हमसे संपर्क करें। हमारे विशेषज्ञ आपकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।
]]>यह दो शब्दों से बना हुआ है: Renewable – बार – बार नया बनता रहे. Energy – उर्जा. रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) बिजली बनाने का ऐसा माध्यम है जो प्रयावरण को कोई नुकशान नहीं पहुचता है जैसे कि हवा, पानी और सूर्य की रोशनी. इस एनर्जी को हमलोग प्रतिदिन प्रयोग करते है और ये सब फिर से नया बन जाता है लेकिन Global Warming के बजह से पर्यावरण में अब सही संतुलन नहीं बना हुआ है जिसके कारण वारिश और हवा दोनों सही समय पर प्रयाप्त मात्रा मे नहीं होती है.
हमारे देश की सूर्य लगभग 300 दिन हमें प्रकाश प्रदान करता है जिसमे काफी उर्जा होती है. सूर्य से आने वाली उर्जा को सिलिकॉन सेल (Silicon Cell) की बनी उपकर पर एकत्रतित करके सूर्य की रोशनी (Sun light) को बिजली बदला जाता है, उस एनर्जी को सोलर एनर्जी (Solar Energy) कहते है. सोलर एनर्जी को कई प्रकार से उपयोग किया जा रहा है – जैसे कि सोलर पैनल (Solar Panel) से बिजली बनाना, सोलर वाटर हीटर (Solar Water Heater) से पानी गर्म करना, सोलर कुकर (Solar Cooker) से खाना बनाना, रिफ्लेक्टर (Reflector) लगा के बिजली बनाना, इत्यादी.
इंडिया में सोलर एनर्जी 2021 के अनुसार, निचे बता गया है –
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मुताबिक़, ''कार्बन उत्सर्जन के मामले में चीन सबसे ऊपर है और इसके बाद अमरीका का नंबर आता है. और तीसरे नंबर पर इंडिया मौजूद है." इंडिया में कार्बन उत्सर्जन का मुख्य सोर्स है ट्रांसपोर्टेशन, इलेक्ट्रिसिटी जनरेशन, इंडस्ट्री, कंस्ट्रक्शन, बायोमास बर्निंग फॉर कुकिंग और एग्रीकल्चर. 2015 में सभी देशो ने मिलकर कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए International Solar Alliance बनाया गया जिसमे तय हुआ कि पॉवर जनरेशन के लिए ज्यादा से ज्यादा रिन्यूएबल एनर्जी का प्रयोग किया जाएगा और इंडिया ने 2022 तक 175GW बिजली रिन्यूएबल एनर्जी से बनाने का लक्ष्य रखा जिसमे 100GW सोलर पॉवर और 75GW विंड और हाइड्रो एनर्जी है. 100GW सोलर पॉवर में 60GW Ground Mounted और 40GW Rooftop Sector में सोलर पैनल लगाया जायेगा. रूफ्तोप सेक्टर में सरकारी बिल्डिंग, रेलवे, एयरपोर्ट, पेट्रोल पंप, बैंक, कोआपरेट बिल्डिंग और घर शामिल होगें.
BBC News के अनुसार, " 1973 के बाद 2019 पहला साल था जब भारत में कोयले से बिजली के उत्पादन में कमी आई है क्योंकि बिजली की मांग संतुलित रही और मज़बूत नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों (Renewable Energy Sources) से बिजली उपलब्ध होने की वजह से कोयला जलाकर बिजली उत्पादन में कमी आई है."
इंडिया में बिजली की खपत लगभग 6 – 10% हर वर्ष बढ़ रहा है. निचे कुछ वर्षो का आकडा दिया गया है – 2019 – 1250B Units & 2020 – 1330B Units (इन दो वर्षो में बिजली 10-15% से बढ़ रहा है.)
आज के समय में रिन्यूएबल एनर्जी का 50% योगदान सोलर पॉवर (Solar Power) और 50% में हाइड्रो (Hydro) और विंड एनर्जी (Wind Energy) का है. पुरे एनर्जी का 50% आज भी कोयले से बिजली बनाई जा रही है.
ऊपर हमलोग ने सोलर एनर्जी के फायदे के बारें में जाना, लेकिन आज भी सोलर एनर्जी के कुछ खामियां है जो हम निचे जानेगे.
सोलर एनर्जी में प्रयोग होने वाले उपकरण जैसे कि सोलर पैनल आज के समय में महगा है लेकिन आने वाले समय में सोलर पैनल, 1 किलोवाट का एक ही सोलर पैनल होगा जिसका रेट 10,000 रुपये तक होगी.
आज भी सोलर पैनल पर पूरी तरह निर्भर नहीं बना जा सकता है क्योकि सोलर पैनल पूरी वर्ष में 300 दिन मात्र 10 घंटे ही काम करता है. सोलर पैनल दिन के समय में ही काम करता है लेकिन घरों की जरुरत रात के समय में बढता है. आने वाले समय में एंटी सोलर पैनल जो दिन के साथ रात में भी काम करेगा जो लगभग 20 – 25% बिजली चाँद की रोशनी से बनायेगा.
सोलर एनर्जी एक अल्टरनेटिव एनर्जी (Alternative Energy) है इसलिए इसकी जागरूकता लोगो के बिच में बहुत ही कम है. इंडियन सरकार ने सोलर को जागरूक करने के लिए घरों पर सोलर सब्सिडी, किशानो के लिए कुसुम योजना, सोलर पैनल फैक्ट्री लगाने पर सब्सिडी, वैसे एरिया आज भी बिजली नहीं पहुची है वहां जगमग योजना चलाया जा रहा है. मुख्यमंत्री सौर ऊर्जा योजना 2020
आज के समय में सभी लोगो का कहना एक ही है – Solar is Future लेकिन कैसा होगा अगले 10 वर्षो में सोलर का फ्यूचर वो निचे जानेगे-
1. Empower to Generate Electricity in Home: लोगो के पास पॉवर होगा खुद का बिजली बनाने का जैसे कि आज के समय में हर घर में Dish TV और वाटर पंप है. लोग अपने जरुरत के अनुसार बिजली बनायेगे और उसका उपयोग करेगे.
2. Changing Lifestyle: लोगो की जीने और रहने की लाइफ स्टाइल बदल जाएगी. आज के समय में जैसे कि इन्टरनेट के कारण घर बढ़े शौपिंग, न्यूज़, मूवी, पढ़ाई आसानी, रोजगार आसानी से कर सकते है.
3. Employment Growth: इन सभी बदलाब से बढेगी सोलर इंडस्ट्री में लोगो का रोजगार. आज से ही सोलर में लोग डीलर, डिस्ट्रीब्यूटर और इन्फ्लुसनेर बनकर काम शुरू कर चुके है.
हमारे घर, फैक्ट्री, स्कूल, हॉस्पिटल, ऑफिस तक बिजली पहुचाने के लिए 3 बिजली कंपनी काम करती है.
1. Power Producer: वैसा कंपनी जो सिर्फ बिजली रिन्यूएबल और नॉन रिन्यूएबल एनर्जी से बिजली बनाने का काम करती है, जैसे कि Adani Power, Tata Power, NTPC, Torrent Power, etc.
2. Power Transmission: वैसा कंपनी जो सिर्फ बिजली हर राज्यों के बिजली डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी तक पहुचाने का काम करती है, जैसे कि Adani Transmission.
3. Power Distribution: वैसा कंपनी जो सिर्फ बिजली हमारे घर, फैक्ट्री, स्कूल, हॉस्पिटल, ऑफिस तक बिजली पहुचाने की काम करती है, जैसे कि Adani Electricity, Tata Power, Torrent Power, DHVVN, UPPCL, SBPDCL, BSEDELHI, etc.
हमलोग जो बिजली प्रयोग करते है उसका कीमत लगभग 6 – 10 प्रति यूनिट्स बिजली कंपनी को जमा करते है वही पर इस बिजली को हमलोग Commercial में प्रयोग करते है तो उसका कीमत लगभग 10 – 20 प्रति यूनिट्स जमा करना पड़ता है. बिजली का रेट हर राज्य अपने अनुसार तय करती है और उसपर सब्सिडी भी दिया जाता है. जैसे कि Delhi सरकार 200 यूनिट तक का बिजली प्रयोग करने पर बिलकुल फ्री है उसके ऊपर बिजली आने पर उपभोक्ता को बिजली बिल पे करना पड़ता है.
अब आपके घर तक बिजली कैसे पहुती है और कैसे इंडिया में बिजली बनाया जा रहा है. इसलिए अपने घरो में जो भी उपकरण चला रहें है उसको जरूत के अनुसार चलाये अन्यथा आने वाले समय में नेचुरल रिसोर्स धीरे – धीरे खत्म होते चला जायेगा. आज से आप भी अपने घरों में पूरी बिजली का कम से कम 30% बिजली खुद से बनाकर प्रयोग करें. इसके लिए अपने घर 300 वाट से 1000 वाट तक का सोलर पैनल लगाके अपने घर बिजली बना सकते है.
Also Read in English: Powering Your Home with Solar Energy?
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एटीएम का फुल फॉर्म Automated Teller Machine है, जिसे हिन्दी में स्वचालित गणक मशीन कहा जाता है। इस मशीन को ऑटोमेटिक बैंकिंग मशीन, कैश प्वाइंट, बैंकोमैट जैसे नामों से भी जाना जाता है।
एटीएम (ATM) एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है, जिसका उपयोग सिर्फ बैंक ग्राहकों द्वारा किया जाता है। इसके तहत एटीएम उपयोगकर्ताओं को अपने अकाउंट से लेन देन करने के लिए एक खास प्लास्टिक का कार्ड उपलब्ध कराया जाता है। इस कार्ड में उपयोगकर्ताओं के बैंक से संबंंधित जानकारियां, उसके पिछले हिस्से में एक मैग्नेटिक स्ट्रिप पर इनकोडेड होती है।
एटीएम (ATM) का आविष्कार लूथर जॉर्ज सिमियन नाम के एक अमरिकी व्यक्ति ने 1939 में किया था। वहीं, इसके पेटेंट को हासिल करने के लिए 1960 में आवेदन दाखिल किया गया था।
भारत में एटीएम की शुरुआत साल 1987 में हुई थी। इस एटीएम को मुंबई में एचएसबीसी बैंक की शाखा में लगाया गया था।
यदि आपके पास एसबीआई का एटीएम कार्ड (SBI ATM Card) है और यह गलती से कहीं खो गया है, तो इससे आपके खाते में मौजूद रकम के लिए बड़ा खतरा है। ऐसे स्थिति में आपको अपने एटीएम कार्ड को तुरंत ब्लॉक करवाने की जरूरत है।
कार्ड खोने की स्थिति में आप सबसे पहले अपने पंजीकृत मोबाइल नंबर से 1800 112 211 या 1800 425 380 पर फोन करें और अपना कार्ड ब्लॉक करवाने के लिए 0 प्रेस करें। इसके बाद 1 दबाएं और अपने एटीएम कार्ड (ATM Card) के अंतिम 5 डिजिट को टाइप करें। इन जानकारियों को कंफर्म करने के लिए फिर से 1 प्रेस करें। इसके साथ ही आप एटीएम कार्ड तुरंत ब्लॉक हो जाएगा और आपको अपने मोबाइल पर एक मैसेज भी आएगा।
याद रखें कि आज एटीएम हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसलिए इससे संबंधित जानकारियों को हमेशा अपने पास रखें। यदि इसे ब्लॉक करने में आपको परेशानी आ रही है, तो आप सीधे कस्टमर केयर से बात कर, अपनी जानकारी साझा करें और वे आपका कार्ड तुरंत ब्लॉक कर दें। अन्य बैंकों के एटीएम कार्ड के लिए भी यही प्रक्रिया है।
एसबीआई (SBI) अपने सभी ग्राहकों को अपना एटीएम पिन (ATM Pin) खुद से सेट करने या बदलने की सुविधा प्रदान करता है। यह पिन 4 अंकों का होता है, जो लोगों को किसी भी फ्रॉड से बचाने में मदद करता है। इसलिए इसे गलती से भी किसी दूसरे से साझा न करें। इस पिन को आप एटीएम मशीन, एसएमएस या एसबीआई नेट बैंकिंग के जरिए जनरेट कर सकते हैं। बता दें कि एसबीआई ने इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए ‘ग्रीन पिन’ की सुविधा को भी शुरू किया है।
Method 1: Using SBI ATM
आइये जानते हैं पिन को एटीएम के जरिए जनरेट करने का तरीका -
आप दूसरे बैंकों के एटीएम के लिए भी यही तरीका अपना सकते हैं।
अपना पिन बदलने के लिए सबसे पहले अपने नजदीकी एसबीआई एटीएम (SBI ATM) पर जाएं और मशीन में अपना कार्ड डालें। इसके बाद आपको अपना पिन डालने का विकल्प मिलेगा और यहाँ अपना वर्तमान पिन डालें। फिर, बैंकिंग के विकल्प को चुनें। इसके बाद आपको स्क्रीन पर पिन बदलने का विकल्प भी दिखेगा। पिन चेंज (Change ATM Pin) के विकल्प को चुनने के बाद आपको फिर से मौजूदा पिन माँगा जाएगा और इसके बाद आप अपना नया पिन जनरेट (Generate ATM Pin) कर सकते हैं। नया पिन सेट होने के बाद, आपको स्क्रीन पर इसका कंफर्मेशन भी दिखेगा। आप दूसरे बैंकों के पिन को चेंज करने के लिए भी यही प्रक्रिया अपना सकते हैं।
वहीं, यदि आप घर बैठे पिन बदलना चाहते हैं, तो आप नेट बैंकिंग (Net Banking) के जरिए इसे आसानी से कर सकते हैं। इसके लिए आपको ई-सर्विस सेगमेंट में जाकर सभी प्रक्रियाओं का पालन करना होगा।
Follow the below steps Using Net Banking
Step 1: Login SBI Net Banking
Step 2: Go on Card Option
Step 3: Change Your I PIN
Step 4: Enter your current PIN or default PIN mentioned on your ATM secrete code
Step 5: Very OTP on registered mobile number
Step 6: Successfully, your SBI ATM Pin has been changed.
एटीएम से पैसा निकालना (Withdraw money from an ATM) आज भी कई लोगों के लिए परेशानी का सबब है। आइये जानते हैं इसका तरीका -
बता दें कि किसी भी एटीएम मशीन से पैसे निकालने के लिए सबसे पहला कदम उसमें कार्ड को इंसर्ट करना है। ध्यान रहे कि आप एटीएम कार्ड को मशीन में हमेशा सीधा डालें। उल्टा डालने पर आपको मशीन उसे रीड नहीं कर पाएगी और स्क्रीन पर आपको दोबारा डालने का मैसेज आएगा।
यदि आपका बैंक खाता एसबीआई में है और आप अपना एटीएम कार्ड एक्टिवेट करना चाहते हैं, तो उसके लिए इन चरणों का पालन करें -
वहीं, आप अपने पंजीकृत मोबाइल नंबर से बैंक द्वारा जारी नंबर पर एटीएम कार्ड डीटेल को मैसेज कर भी आप इसे एक्टिवेट कर सकते हैं।
किसी भी बैंक के एटीएम की फ्रेंचाइजी (How to start ATM Business) लेने के लिए आपके पास कम से कम 50 से 10 वर्ग फीट की जगह होनी चाहिए और कोई दूसरा एटीएम करीब 100 फीट दूर होना चाहिए।
इस दौरान ध्यान रखने वाली बात यह है कि यह जगह सिर्फ ग्राउंड फ्लोर पर होनी चाहिए और ऐसी जगह पर होनी चाहिए, जहाँ उसे दूर से भी देखा जा सके और करीब 1 लाख लोगों की भीड़ हो।
बता दें कि एटीएम में हर दिन लगभग 300 ट्रांजैक्शन की क्षमता होनी जरूरी है और इसकी छत पक्की होनी चाहिए। इसके लिए आपको एनओसी लेना भी अनिवार्य है।
यदि आप एटीएम लगाने के लिए आवेदन करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको Aadhaar Card , Pan Card , Voter Card, राशन कार्ड, इलेक्ट्रिसिटी बिल, बैंक अकाउंट और पासबुक, फोटोग्राफ, जीएसटी नंबर जैसे कई कागजात जमा करने होंगे।
बता दें कि आज अधिकांश बैकों के एटीएम को लगाने की जिम्मेदारी किसी एजेंसी को दी जाती है। इस श्रेणी में Tata Indicash, Muthoot ATM और India One ATM जैसी कंपनियों का नाम अग्रणी है।
एटीएम लगाने पर आपको हर ट्रांजैक्शन पर 2 रुपये से लेकर 10 रुपये तक कमाई आसानी से हो जाती है। इस तरह आप एटीएम लगा कर हर महीने 80 हजार से लेकर 1 लाख की कमाई आसानी से कर सकते हैं।
यदि आप अपने यहाँ एटीएम मशीन लगाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको चौबीसों घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी।चूंकि, आज देश के हर हिस्से में बिजली कटौती की समस्या आम है। इस वजह से आपको एटीएम के संचालन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में लोग बिजली के वैकल्पिक साधन के रूप में जनरेट का इस्तेमाल करते हैं।
लेकिन यह उनके लिए काफी महंगा साबित होता है। ऐसे में यदि आप 1 से 3 किलोवाट का सोलर सिस्टम (1kW to 3kW Power Backup Solution) ले लें, तो आप बिजली के मामले में पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो जाएंगे और आपको वर्षों तक इसके बारे में सोचने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
बता दें कि 1 से 3 किलोवाट का सोलर पैनल खरीदने में आपको करीब 1 से 3 लाख रुपये तक का खर्च आएगा। बता दें कि आज भले ही एटीएम को चलाने के लिए सोलर सिस्टम का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा हो, लेकिन आने वाले समय में यह अनिवार्यता बन जाएगी। इसमें कोई दो राय नहीं है।
यदि आप अपने पैसों के लेन-देन के लिए एटीएम जाना चाहते हैं, लेकिन आपको अपने नजदीकी एटीएम के बारे में जानकारी नहीं है, तो चिन्ता न करें। हम आपको इसके बारे में आपको पूरी जानकारी नीचे दिया गया है।
यदि आप अपने घर में एटीएम लगाने की योजना बना रहे हैं या आपको एटीएम चलाने में कोई परेशानी है, तो हमें यकीन है कि यह लेख आपके लिए काफी मददगार साबित होगा। यदि आप इस विषय में और अधिक जानकारी हासिल करना चाहते हैं, तो अभी हमसे संपर्क करें। हमारे विशेषज्ञ आपकी मदद के लिए चौबीसों घंटे तैयार रहते हैं।
]]>भारत में लिथियम बैटरी की कीमत 25 रुपये से 30 रुपये प्रति वाट ऑवर के रेट से मिलती है. यदि आप DC Solution के लिए एक बेहतर क्वॉलिटी की लिथियम बैटरी खरदीना चाहते है तो वह आपको ₹ 2,250 से शुरू हो जाती है जिसमे आपको CAML 6Ah - 75 W/h मिल जाएगी. लिथियम बैटरी की शुरुआत 75 Wh से 5 kWh कपैसिटी तक बाजार में उपलब्ध है.
Model | Cost |
CAML 6 Ah / 75 Watt hour | ₹2,250 |
CAML 12 Ah / 150 Watt hour | ₹4,500 |
CAML 20 Ah / 250 Watt hour | ₹7,500 |
CAML 30 Ah / 375 Watt hour | ₹11,515 |
CAML 40 Ah / 500 Watt hour | ₹15,000 |
CAML 20 Ah / 500 Watt hour | ₹56,000 |
CAML 40 Ah / 2000 Watt hour | ₹95,000 |
CAML 100 Ah / 5000 Watt hour | ₹150,000 |
2 times battery life, consumes 50% less space, needs no maintenance & takes 60% less recharge time
इलेक्ट्रिक स्कूटर में लिथियम बैटरी अलग - अलग एम्पेयर और वोल्टेज की ज़रूरत पड़ती है. इसमें बैटरी की कैपेसिटी 2.98 kW से 3.97 kW की होती है जो लगभग 121 km. से 181 km. तक चलती है. इसकी कीमत ₹ 89,400 से ₹ 1,19,100 रुपये की आती है.
भारत की अग्रणी सोलर टेक कंपनी, लूम सोलर ने CAML Series में लिथियम बैटरी बनायीं है जो Compact Design, Fast Charging, Light Weight, 2X Battery Life के साथ है जहाँ पर आप अपने घर, ऑफिस, शॉप, स्ट्रीट लाइट, DIY Projects, और इलेक्ट्रिक स्कूटर के लिए लिथियम बैटरी खरीद सकते है.
]]>तार का इस्तेमाल करंट को एक जगह से दूसरे जगह तक ले जाने के लिए किया जाता है। जिससे आप बिजली से चलने वाले अनगिनत मशीनों को चला सकते हैं।
तो, आज का यह लेख इसी विषय पर आधारित है कि आपको तार खरीदने के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और आपके लिए तार के विश्वसनीय ब्रांड्स क्या होंगे।
आज बाजार में कई एमएम के तार आते हैं, आपको कितनी क्षमता का तार लेना है, इसका फैसला आप अपनी जरूरत के हिसाब से ही करें।
तार मूल रूप से दो तरह के होते हैं, जो निम्न हैं -
बता दें कि आपके घरों में सरकारी ट्रांसफॉर्मर से जिस बिजली की आपूर्ति होती है, वह एसी करंट होता है। इसके अलावा जनरेटर से भी एसी करंट ही पैदा होता है। वहीं, लोगों को बैटरी से डीसी यानी डायरेक्टर करंट मिलता है।
डीसी करंट की खासियत यह होती है कि इसे हम आसानी से स्टोर कर सकते हैं और इसका बाद में अपनी जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल कर सकते हैं।
वहीं, एसी वायर में स्थिति जो भी, वोल्टेज ड्रॉप होने का चांस कभी नहीं रहता है। लेकिन डीसी वायर के साथ ऐसा नहीं है। उदाहरण के तौर पर, यदि आपने 1000 मीटर का डीसी वायर खरीदा है, तो उसमें बिजली का आउटपुट बेहद ही कम हो जाएगा।
इतने बड़े अंतर के बाद भी, आज लोगों को एसी वायर और डीसी वायर के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है और उन्हें बाजार में जो तार मिलती है, वे खरीद कर घर ले आते हैं।
कोई भी तार खरीदने के दौरान उसके एमएम को देखना जरूरी है। क्योंकि एमएम जितना ज्यादा होगा, उससे उतनी अधिक ऊर्जा का प्रवाह होगा। इसके अलावा, उसके कवर यानी इंसुलेशन, जिंक कोटिंग, UV प्रोटेक्शन आदि को भी देखना जरूरी है।
इसके अलावा, ध्यान देने वाली बात यह है कि आज बाजार में 2 एम एम से लेकर 25 एम एम तक के वायर का चलन खूब है। जिस वायर का एम एम जितना ज्यादा होगा, उसका इंसुलेटर यानी प्लास्टिक का कवर भी उतना ही मोटा और मजबूत होगा। आज बाजार में एसी वायर की माँग काफी ज्यादा है। वहीं, डीसी वायर का इस्तेमाल एक सीमित दायरे तक होने के कारण, इसका मार्केट अपेक्षाकृत छोटा है।
बाजार में आपको अमूमन तार, स्क्वायर एम एम और प्रति मीटर के हिसाब से मिलते हैं। बाजार में अच्छे तार का रेट 6 रुपये से लेकर 25-30 रुपये तक होता है। इसलिए इसका चयन हमेशा अपनी बजट और जरूरत के हिसाब से करें।
आम तौर पर, आपको तार खरीदने के बाद कोई वारंटी नहीं मिलती है। यदि यह एक बार खराब हो गया, तो फिर आपको नया तार खरीदना पड़ेगा। इसलिए तार खरीदने के दौरान हमेशा विश्वसनीय कंपनी के उत्पादों को प्राथमिकता दें।
यदि आप घर बैठे तार खरीदना चाहते हैं, तो आप इसके लिए अमेजन या फ्लिपकार्ट जैसे ई-कॉमर्स साइटों का इस्तेमाल कर सकते हैं। जहाँ आपको काफी डिस्काउंट पर अच्छे तार मिल जाते हैं। यदि नहीं तो आप अपने नजदीकी दुकान से इसे खरीद सकते हैं।
नीचे जानिए देश के कुछ चुनिंदा वायर कंपनियों के नाम -
यह देश की सबसे प्रतिष्ठित और बड़ी सोलर कंपनियों में से एक है। इस कंपनी के सोलर उत्पादों की माँग भारत के हर हिस्से के अलावा, दूसरे देशों में भी बड़े पैमाने पर है। हमारी कंपनी सोलर सिस्टम के सभी उपकरणों जैसे सोलर पैनल, लिथियम ऑयन बैटरी, इन्वर्टर, वायर, आदि को बनाने के लिए जानी जाती है। वह भी अत्याधुनिक तकनीकों के साथ। हमारी कंपनी के डीसी वायर को लोगों ने काफी पसंद किया है।
यह भी देश की एक प्रतिष्ठित इलेक्ट्रिक मैन्युफैक्चरिंग कंपनी है। इस कंपनी के तारों को लोगों ने काफी पसंद किया है।
यह भी एक भारतीय कंपनी ही है, जिसकी शुरुआत 1996 में हुई थी। इस कंपनी के वायर, केबल, फैन, लाइट, स्विच जैसी इलेक्ट्रिक सामानों को लोगों के बीच काफी लोकप्रियता मिली है।
इस इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी के हर उत्पाद की काफी माँग होती है। इस कंपनी के तार काफी मजबूत और सुरक्षित होते हैं। जिसका इस्तेमाल आप मोटर चलाने से लेकर सीसीटीवी कैमरे तक को चलाने में आसानी से कर सकते हैं।
इस कंपनी की शुरुआत करीब तीन दशक पहले दिल्ली में हुई थी। इस कंपनी ने काफी किफायती दरों पर अच्छे तार बाजार में उतारे हैं।
इस कंपनी का मुख्यालय पुणे में है, जिसकी शुरुआत साल 1958 में हुई थी। इस कंपनी ने घर हो चाहे कोई कमर्शियल प्लेस, तमाम जरूरतों के लिए कई शानदार तारों को लॉन्च किए हैं।
यह पैनासॉनिक का ब्रांड है। इस कंपनी का मुख्यालय जापान में है, जिसके उत्पादों की माँग पूरी दुनिया में है। इस कंपनी के तार भारत के हर हिस्से में काफी लोकप्रिय हैं, क्योंकि ये काफी मजबूत और सुरक्षित होते हैं।
यह भी भारत की एक मशहूर इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी है। इस कंपनी ने 3 layer insulation technology के साथ काफी दमदार वायर को बाजार में उतारा है, जिसे आप नमी वाले जगहों पर भी बिल्कुल सुरक्षित तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं।
इस कंपनी ने घर और घर के बाहर के लिए कई शानदार वायरों को लॉन्च किया है। जो पूरी तरह से डस्ट प्रूफ, वाटर प्रूफ और यूवी प्रोक्टेटेड होते हैं। यही कारण है कि लोग इसे काफी पसंद करते हैं।
यह भारत की एक अन्य अग्रणी वायर कंपनी है। इस कंपनी की शुरुआत 1981 में हुई थी। इस कंपनी के तारों को घर के साथ ही, पावर और टेलीकॉम इंडस्ट्री में भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है।
यदि आप अपने घर में सोलर सिस्टम के लिए वायर खरीदना चाहते हैं, तो आपको डीसी वायर को खरीदने की जरूरत पड़ेगी।
किसी भी तार की आउटपुट कैपेसिटी को कैलकुलेट करने का तरीका यह है कि आपके पास जितने स्क्वायर एम एम का वायर है, आप उसे 5 से गुना कर दें।
उदाहरण के तौर पर, यदि आपके पास 4 एम एम का वायर है, तो आप इसे 5 से गुना कर दें। इस तरह, आप पता लगा सकते हैं कि आपके तार से कुल 20 एम्पीयर का करंट मिलेगा।
यदि किसी तार से, उसकी क्षमता से अधिक बिजली का प्रवाह हो तो तार गर्म होने लगता है। जिससे कॉपर से बना तार तो नहीं जलता है, लेकिन उस पर लगा प्लास्टिक का इंसुलेटर यानी कवर जलने लगता है।
बता दें कि आप घरेलू इस्तेमाल में आने वाले किसी तार से अधिकतम 450 वोल्ट बिजली प्रवाह कर सकते हैं।
हमें उम्मीद है कि भारत के टॉप 10 तार कंपनियों पर आधारित यह लेख आपके लिए मददगार साबित होगा और आगे आप जब भी तार खरीदने के लिए जाएंगे, हमारे द्वारा बताए गए सुझावों का आप ध्यान रखेंगे। यदि आपके मन में तारों को खरीदने को लेकर कोई सवाल है, तो हमसे अभी संपर्क करें। हमारे विशेषज्ञ आपकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।
]]>आटा चक्की बिज़नस देश के हर शहर में देखने को मिलती है जहाँ पर चक्की को चलाने के लिए डीजल इंजन और सरकारी बिजली से चलाया जा रहा है। बढ़ते बिजली बिल के चलते कई आटा चक्की चलाने वाले सौर उर्जा (Solar Energy) को अपनाना फायदेमंद समझ रहे है।
“बिजली का बिल कम करना चाहते थे इसलिए सोचा कि सोलर पैनल लगाकर दिन के समय में आटा चक्की को सोलर से चलाया जाए।”
बिहार के बेतिया जिले में सोलर पैनल लगाकर आटा चक्की चलाई जा रहा है, जिसके फायदे नीचे दिए गया हैं:
यहाँ 10 HP और 3 HP, 3 Phase के दो AC मोटर है जिससे आटा चकी और चूरा मिल चलते हैं जो दिन के समय सुबह 10 बजे से शाम के 5 बजे तक आटा चक्की सोलर पैनल से उत्पन्न हुई बिजली से चलते हैं। रात के समय में भी अगर चक्की चलानी है तो change over की मदद से सरकारी बिजली पर बदल दिया जाता है । यहाँ पर लूम सोलर मोनो पैनल (Loom Solar Monocrystalline solar panel) लगाने के कारण ये बादल और कम रोशनी वाले। मौसम में भी चलता रहता है।
सोलर पैनल (Solar Panel) सूर्य की रोशनी से DC बिजली बनाता है और VFD की मदद से इस बिजली को AC बिजली में बदला जाता है ।सोलर पैनल को ऐसी जगह पर इनस्टॉल किया जाता है जहाँ पूरा दिन सूर्य की रोशनी आती हो। सोलर पैनल का इंस्टालेशन पैनल स्टैंड पर मजबूती के साथ कसा जाता है और सोलर वायर की मदद से MCB डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स तक लाया जाता है।
आटा चक्की चलाने के लिए सोलर वायर कनेक्शन (Solar Wiring Connection) सावधानी पूर्वक होनी चाहिए अन्यथा मोटर की पूरी स्पीड नहीं चल पाएगी जिससे गेहूँ पीसते समय आटा मोटा और पतला हो सकता है. सोलर सिस्टम खरीदते समय मोटर कितने HP और Phase का है ये आपको पता होना चाहिए. दिए हुए जानकरी के अनुसार सोलर पैनल, VFD, DCDB लगाया जाता है। नीचे 10 HP आटा चकी के लिए सोलर सिस्टम (Solar System) बनाया गया है जो पूरी तरह सफल चल रहा है.
15 किलोवाट सोलर सिस्टम (15 kW Solar Panel System) लगाने का खर्च लगभग 7,50,000 रुपये आता है जिनमें- सोलर पैनल, VFD, पैनल स्टैंड, सोलर वायर, लाइटिंग अर्रेस्टर, अर्थिंग किट, DCDB Box, MC4 Connector और Solar Installation शामिल होता है। पूरी जानकरी...https://www.loomsolar.com/pages/contact
इस प्रकार के सोलर सिस्टम लगाने के लिए सरल भाषा में समझा जाये तो जितने HP का मोटर होगा, उसके 1.5 गुना (1.5x) सोलर पैनल लगाने की जरुरत होगी। यदि 3 HP मोटर आटा चक्की है तो उसके लिए कम से कम 5 किलोवाट सोलर पैनल और 10 HP मोटर वाला आटा चकी है तो उसके लिए 15 किलोवाट सोलर पैनल पड़ेगा।
सोलर सिस्टम लगाना एक प्रकार के बड़ा निवेश है जिसका Return लगभग 4 से 5 साल में आ जाता है लेकिन इसके लिए सही सोलर पैनल का चुनाव करना जरुरी है। सोलर पैनल की लाइफ लगभग 25 वर्षो की होती है लेकिन इसके लिए समय समय पर रख रखाव पर खर्च करना पड़ता है।लूम सोलर ने इंडिया में सबसे ज्यादा बिजली बनाने वाला सोलर पैनल बनाया गया है जिसकी समुंद्र में रहने वाली शार्क मछली के लाइफ जैसी है।
आटा चक्की के सोलर पैनल लगाना काफी फायदेमंद साबित हो सकता है लेकिन इसके लिए सही जानकरी होना अति आवश्यक है । भारत की नंबर 1 सोलर कंपनी लूम सोलर जो सोलर पैनल, बैटरी, और अन्य सोलर उपकरण बनाती है जिससे आप अपने घर से और अपने शहर के रिटेल शॉप से पूरी जानकरी प्राप्त कर सकते है।
]]>आज की जरूरतों को देखते हुए, बाजार में कई शक्तिशाली Water Motor Pump आ चुके हैं। जिसका इस्तेमाल कई मंजिला इमारतों पर भी आसानी से पानी पहुंचाने के लिए किया जाता है।
एक मोटर के जरिए चंद मिनटों में ही हजारों लीटर पानी को कई मंजिला इमारतों पर आसानी से पहुंचाया जा सकता है। इससे न सिर्फ ऊर्जा और लोगों के श्रम की बचत होती है, बल्कि लागत भी कम होती है।
लेकिन आज जब आप मोटर खरीदने के लिए बाजार जाते हैं, तो आप बड़ी दुविधा में फंस जाते हैं कि कौन सा मोटर आपके लिए सबसे अच्छा होगा। लेकिन आप किसी भी मोटर को तभी चुनें, जब आप दक्षता और विश्वसनीयता से आश्वस्त हो जाएं, ताकि उर्जा और लागत की बचत हो। साथ ही, उसका वाटर फ्लो स्पीड और आईएसआई मार्का चेक करना भी अनिवार्य है।
आज बाजार में मूल रूप से दो तरह के मोटर मिलते हैं -
बता दें कि मोटर कोई भी, उसकी क्षमता हमेशा HP ही मापी जाती है। मोटर खरीदने के दौरान कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी है -
बता दें कि आज मोटर का चलन इतना बढ़ गया है कि देश में चापाकल का इस्तेमाल लगभग बंद ही हो गया है। आज बाजार में मुख्यतः तीन उद्देश्यों के लिए मोटर मिलते हैं, जो निम्न हैं -
आप जब भी मोटर खरीदने जाते हैं, तो इन बातों का ध्यान रखें कि मोटर कितने एचपी का है, उसकी वाटर फ्लो कितना है और उसकी एफिशियंसी कितनी है, आदि। साथ ही, यह जरूर सुनिश्चित करें कि उस पर आईएसआई का मार्का लगा हो।
आज बाजार में 5 हजार से 20 हजार रुपये के रेंज में काफी अच्छे मोटर्स मिल जाते हैं। इसका चयन आप हमेशा अपनी बजट के हिसाब से करें।
अधिकांश कंपनियां वाटर मोटर पर सामान्य रूप से 1 साल की वारंटी देती है। यदि इसके बाद मोटर में कोई दिक्कत आती है, तो आपको अपने पैसे खर्च करने होंगे।
आप मोटर को अपने नजदीकी दुकान से खरीद सकते हैं। यदि आप चीजों को ऑनलाइन खरीदने के शौकीन हैं, तो अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे प्लेटफॉर्म्स का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
यह भारत की सबसे प्रतिष्ठित इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों में से एक है। इस कंपनी ने घरेलू और खेती कार्यों के लिए एल्यूमीनियम प्रेशर कास्ट मोटर बॉडी, कॉपर-वाइंडिंग और हाई सक्शन कैपेसिटी के साथ कई शानदार मोटर्स लॉन्च किए हैं।
यह भी भारत की एक लोकप्रिय कंपनी है। इस कंपनी ने भी अत्याधुनिक तकनीकों से लैस कई शानदार ऊर्जा कुशल सबमर्सिबल और सरफेस मोटर लॉन्च किए हैं। यही कारण है कि बाजार में इसकी एक गहरी पैठ है। इसके मोटर्स In-built thermal overload protector के साथ आते हैं।
यह भी भारत की एक प्रतिष्ठित कंपनी है। इस कंपनी की शुरुआत 1888 में हुई थी और इसका मुख्यालय पुणे में है। इस कंपनी ने High pressure cleaning, Automatic pressure kit, Mechanical seal of carbon-ceramic, Thermal Overload Protector जैसे फीचर्स के साथ कई शानदार मोटर्स लॉन्च किए हैं। इस कंपनी का दुनिया के 70 से भी अधिक देशों में अपना कारोबार है।
यह मोटर बनाने वाली एक अग्रणी कंपनी है। इसके मोटर हाई-ग्रेड-एल्युमिनियम से बना बेस्ट सेल्फ-प्राइमिंग वॉटर पंप होते हैं। इसके मोटर कॉपर मोटर क्वॉइल और हाई रेटिंग मेटल के साथ आते हैं और इसका इस्तेमाल लोग होम स्ट्रेन-बूस्टर सिस्टम के रूप में भी कर सकते हैं।
यह एक अन्य मोटर कंपनी है, जिसके उत्पादों की काफी माँग है। इसके मोटरों की गुणवत्ता और दक्षता काफी अच्छी है और इसका बचत अपेक्षाकृत कम है। यही कारण है कि लोग इसे काफी पसंद करते हैं।
उषा देश के सबसे विश्वसनीय कंपनियों में से एक है। इस कंपनी ने हेवी ड्यूटी कॉपर वाइंडिंग मोटर, थर्मल ओवरलोड प्रोटेक्टर के साथ फिटेड, डबल लिबरेटेड प्री लुब्रिकेंट बियरिंग्स और सिंगल फेज वॉटर पंप सेगमेंट में कई शानदार मोटर लॉन्च किए हैं। इसका इस्तेमाल घरों, खेतों और इंडस्ट्रियल एरिया में आसानी से किया जा सकता है। साथ ही, इसके मोटर्स काफी एनर्जी एफिशियंट भी होते हैं।
यह कंपनी किफायती, विश्वसनीय और सुरक्षित मोटरों को बनाने के लिए जानी जाती है। इस कंपनी ने सुपर एनामेल्ड कॉपर-वाइंडिंग के साथ कई शानदार मोटर्स लॉन्च किए हैं।
यह भी भारत की एक लोकप्रिय कंपनी है। इस कंपनी की शुरुआत 1982 में हुई थी। इस कंपनी के मोटर्स आस्ट्रेलिया और तुर्की जैसे देशों में भी सप्लाई होते हैं।
यह भारत की एक अन्य कंपनी है, जिसके उत्पादों की माँग ग्रामीण इलाकों में खूब है। इसकी वजह यह है कि इस कंपनी ने कम बजट में कई हाई एंड मोटर्स लॉन्च किए हैं।
इस कंपनी की शुरुआत साल 2000 में हुई थी। इस कंपनी ने एक से बढ़ कर एक सबमर्सिबल पंप, मोनोब्लॉक, प्रेशर, सीवेज पंप, इलेक्ट्रिक मोटर, वायर और केबल, आदि को लॉन्च किए हैं। यही कारण है कि इस कंपनी ने काफी कम समय में लोगों के दिलों में एक खास जगह बना ली है।
आज देश के अधिकांश राज्यों में बिजली कटौती की समस्या आम हो गई है। इस वजह सो लोगों को कभी-कभी अपनी पानी की टंकी भरने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, खास कर ग्रामीण इलाकों में।
यदि आप अपने घर में 3 से 5 किलोवाट का एक सोलर सिस्टम लगा लें, तो आप बिजली के मामले में सालों साल के लिए पूरी तरह से आत्मनिर्भर बन जाएंगे। इससे आपको चौबीसों घंटे निर्बाध बिजली मिलती रहेगी और आपको हर महीने हजारों के बिजली बिल से राहत मिलेगी।
आपको 3 से 5 किलोवाट का सोलर सिस्टम लगाने में करीब 3 से 5 लाख का खर्च होगा। इसे आप ईएमआई पर भी ले सकते हैं। इसके अलावा, सोलर सिस्टम खरीदने के लिए आप सरकारी सब्सिडी का भी लाभ उठा सकते हैं।
आपको 3 किलोवाट से लेकर 5 किलोवाट तक के सोलर सिस्टम को खरीदने के बाद, उसमें 6 से 10 सोलर पैनल, 3 से 5 वाट का इन्वर्टर और बैटरी मिलेगा।
आप अपनी बैटरी की जरूरतों को पूरा करने के लिए लूम सोलर के CAML100 बैटरी को लें। यह लिथियम ऑयन बैटरी, 4 लीड एसिड बैटरी के बराबर अकेले है और आप इसे इंटरनेट से कनेक्ट करके, अपने मोबाइल या लैपटॉप से, कहीं से भी आसानी से कंट्रोल कर सकते हैं।
इसके अलावा, आप अपनी इन्वर्टर की जरूरतों को पूरा करने के लिए लूम सोलर के Fusion इन्वटर्र को चुनें। अत्याधुनिक तकनीकों से लैस यह इन्वर्टर, देश का एकमात्र 100 फीसदी एफिशियंट इन्वर्टर है।
हमें यकीन है कि यह लेख आपके लिए मददगार साबित होगा। यदि आप अपने घर में वाटर मोटर पंप या सोलर सिस्टम लगाने के बारे में और अधिक जानकारी चाहते हैं, तो अभी हमसे संपर्क करें। हमारे विशेषज्ञ आपकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।
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नीतियों में बदलाव (Solar Policy Changes in India) - बता दें कि पहले Residential Rooftop Solar Panel का बाजार अपने - आप में एक बड़ा बाजार था। उसके लिए सरकार द्वारा एक राष्ट्रीय पोर्टल की शुरुआत की गई और बीते कुछ समय के दौरान नीतियों में बार - बार कोई न कोई बदलाव होते रहे। जैसे कि नेट मीटर के लिए ALM की नीति बनाई गई कि जो Solar Manufacturer, एएलएम की लिस्ट में रहेंगे, वही Grid Connected Solar System लगा सकते हैं। इसके बाजार काफी अस्थाई हो गया।
कीमतों का बढ़ना - 2019 से सोलर सिस्टम की कीमतों में अब तक करीब 40 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। यानी उस समय जो सोलर सिस्टम 12 हजार रुपये में मिलता था और उसी प्रोडक्ट की कीमत करीब 20 हजार रुपये हो गई है। हालांकि, इस दौरान तकनीक और दक्षता में काफी सुधार आया है।
कोरोना महामारी - 2020 में कोरोना महामारी आने के बाद पूरी दुनिया की सप्लाई चैन बुरी तरह से बाधित हो गई है। इस वजह से आज पूरी दुनिया में महंगाई अपने चरम पर है। इन्हीं सब कारणों से 2022 में सोलर इंडस्ट्री कोई कमाल न कर सका।
भारत की सरकार ने सोलर इंडस्ट्री को लेकर जो नीतियां बनाई हैं, उससे कच्चे उत्पादों की काफी कम होगी और एक बार नीतियां स्थायी हो जाने के बाद, बाजार भी स्थायी हो जाएगा। यही कारण है कि हमें साल 2023 से काफी उम्मीदें हैं।
आज के समय में सोलर इंडस्ट्री कई भागों में बँटा हुआ है। इसका सबसे बड़ा कैटेगरी Utility है, जिसमें आज के दिन Open Access Model चल रहा है। जैसे कि - पार्क, एयरपोर्ट, सोलर फॉर्मिंग, आदि।
रूफटॉप सोलर को हमारी छतों के ऊपर लगाया जाता है। यह एक बड़ा बाजार है। लेकिन आज के समय में यह काफी धीमा हो गया।
बता दें कि इसमें Commercial और Industrial सबसे बड़ा सेक्टर है। इसकी वजह यह है कि आज नीतियों में बदलाव के कारण मैन्युफैक्चरर का ALM List में नाम होना जरूरी हो गया है और इसके बिना कोई भी DISCOM उनके नेट मीटर को स्वीकृति ही नहीं देगी।
बता दें कि आज के समय में Residential का लगभग पूरा मार्केट Off Grid Solar System पर टिका हुआ है। इनको सरकार से कोई लेना - देना नहीं है। ये सोलर पैनल के साथ, लिथियम ऑयन बैटरी और इंवर्टर खरीद कर खुद को बिजली के मामले में आत्मनिर्भर बना सकते हैं।
आज भारत के सोलर कम्यूनिटी में कई कंपनियां है, जो अलग अलग सेगमेंट में काम कर रहे हैं और उनके उत्पादों की कीमतें भी अलग अलग होती हैं। Loom Solar, Waaree, Tata, Adani, Vikram, Renewsys, Jinko, Trina जैसे कुछ ऐसे मैन्युफैक्चरर हैं, जो आज Production Capacity के हिसाब से नंबर वन की कैटेगरी में आते हैं। बता दें कि इन कंपनियों की वार्षिक सोलर बिजली उत्पादन क्षमता 1 गीगावाट के करीब है।
वहीं, इसके बाद बारी आती है कि मध्य आकार के सोलर मैन्युफैक्चरर की। ये ऐसी कंपनियां हैं, जिनकी स्थानीय बाजार पर काफी पकड़ है। जैसे कि राजस्थान में INA की, पश्चिम बंगाल में Shobha Solar की और हरियाणा में Satvik Solar की। इन कंपनियों की उत्पादन क्षमता 250 मेगा वाट से लेकर 500 मेगा वाट तक है। वहीं, इस कड़ी में अगली बारी आती है Retail Market की। बता दें कि ये एक Consumer Brand होते हैं। इसमें लूम सोलर (Loom Solar) सबसे अग्रणी कंपनी है। इसके बाद बारी आती है Luminious, Exide, UTL जैसी कंपनियों की।
रिटेल कन्ज्यूमर ब्रांड का अर्थ यह है कि ये पहले ब्रांड बनाते हैं। फिर अपने उत्पादों को अपने अंतिम ग्राहक तक सीधे पहुँचाते हैं। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस प्रक्रिया में अंतिम ग्राहक ब्रांड को सीधे जानते हैं, बजाय इसके कि उसे बनाया किसने है।
उत्पादों की अंतिम कीमत किसी भी इंडस्ट्री की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है। नीचे हम आपको भारत में सोलर पैनलों की कीमतों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।
जानिए सोलर पैनलों की कीमत के बारे में (Know about solar panel price)
सोलर पैनल एक ऐसा उपकरण है, जो सूर्य की रोशनी को विद्युत ऊर्जा में बदल देता है। बता दें कि यह एक फोटोवोल्टिक मॉड्यूल होता है और आज के समय में पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा सोलर पैनल सिलिकॉन से बनते हैं। (https://www.energy.gov/eere/solar/how-does-solar-work)
वहीं, सोलर पैनल मुख्यतः 3 प्रकार के होते हैं, जिसे पॉलीक्रिस्टलाईन सोलर पैनल (Polycrystalline solar panel), मोनोक्रिस्टलाईन सोलर पैनल (Monocrystalline solar panels) और बाईफेसियल सोलर पैनल (BiFacial Solar Panel) कहा जाता है।
पॉलीक्रिस्टलाईन सोलर पैनल (Polycrystalline solar panel) का फायदा यह है कि यह पर्याप्त धूप में आपको अच्छी बिजली बना कर देगा। लेकिन इसकी Limitation यह है कि इसे ज्यादा जगह की जरूरत पड़ती है। इसे वैसे जगहों पर लगाया जाता है, जहाँ जगह की कोई कमी नहीं है, जैसे - खेत।
इसी Limitation को दूर करने के लिए मोनोक्रिस्टलाईन सोलर पैनल (Monocrystalline solar panels) को लाया गया है, जो कम धूप में और Cloudy Weather में भी आपको पूरी बिजली बना कर देगा। बता दें इसके सेल शुद्ध और खामी रहित सिलिकॉन क्रिस्टल से बने होते हैं।
वहीं, आज के समय में Bifacial Solar Panel को सबसे अत्याधुनिक सोलर पैनल माना जाता है। यह एक ऐसा सोलर पैनल है, जो दोनों ही साइड से बिजली बनाने में सक्षम है। इसी वजह से यह कम समय में आपको ज्यादा बिजली बना कर देगा। साथ ही, इसे लगाने से आपके घर की सुंदरता भी बढ़ती है।
बता दें कि यदि आप अपने घर में सोलर पैनल लगाना चाहते हैं, तो इसका चयन आप अपनी जरूरत के हिसाब से करते हैं। जैसे यदि आप अपने घर में सोलर पैनल से सिर्फ मोबाइल चार्ज करना चाहते हैं या लाइट जलाना चाहते हैं, तो आप अपनी इन जरूरतों को 10-20 वाट के सोलर पैनल को लगा कर भी पूरा कर सकते हैं। वहीं, यदि आप 8-10 बल्ब और 3-4 पंखा वगैरह चलाना चाहते हैं, तो आप 1 किलो वाट का सोलर पैनल लगा सकते हैं। इसके अलावा यदि आप पानी का मोटर या फ्रिज चलाना चाहते हैं, तो आप 3 किलो वाट का सोलर पैनल ले सकते हैं। वहीं, यदि आप अपने घर में एसी लगाना चाहते हैं, तो आपको 5 किलो वाट का सोलर पैनल खरीदना होगा। इससे आप बिजली के मामले में लगभग पूरी तरह से आत्मनिर्भर बन जाएंगे।
बता दें कि आज के समय में, सोलर सिस्टम के 3 टाइप हैं, जिसे On Grid, Off Grid और Hybrid का कहा जाता है। जैसे यदि आप किसी कमर्शियल सेक्टर में हैं, तो आपको On Grid Solar System लेना होगा। जहाँ आपके यहाँ सोलर पैनल से हर महीने जितनी बिजली बनेगी, उसी के हिसाब से आपको सरकार द्वारा बिजली बिल में सब्सिडी भी दी जाएगी। वहीं, यदि आप Residential Sector के लिए सोलर पैनल खरीदना चाहते हैं, तो आप Off Grid Solar System की ओर रुख कर सकते हैं। यहाँ आपको इंवर्टर और बैटरी की जरूरत पड़ेगी। ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम के जरिए आप खुद को बिजली के मामले में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बना सकते हैं। दूसरी ओर, आप Hybrid Solar Panel को सरकारी बिजली और बैटरी, दोनों पर चला सकते हैं।
आज के समय में बाजार में सोलर पैनल की तलाश ग्राहकों के अलावा डीलरो, डिस्ट्रीब्यूटरों और मैन्यूफैक्चररों को भी रहता है। हालांकि आज के समय में बाजार में इसकी कीमतों को लेकर काफी अनिश्चिता बनी हुई है और ग्राहकों को काफी कन्फ्यूजन का सामना करना पड़ता है।
बता दें कि आज के समय में बाजार में 10 वाट से लेकर 550 वाट तक के सोलर पैनल आसानी से उपलब्ध हैं। आज सोलर पैनल तीन कैटेगरी में आते हैं - Small Solar Panel, 12 Volt Solar Panel, 24 Volt Solar Panel।
एक ओर Small Solar Panel का इस्तेमाल आम तौर पर सबसे ज्यादा लाइट के लिए, मोबाइल चार्जिंग, स्ट्रीट लाइट, खेती कार्यों में, DIY Project, Traffic Control, आदि जैसे कार्यों में होता है। बता दें कि बाजार में इस कैटेगरी में 10 वाट से लेकर 75 वाट तक के सोलर पैनल उपलब्ध हैं, जिसकी कीमत 1000 रुपये से लेकर 3500 रुपये तक होती है। यह साइज में एक लैपटॉप जितना और वजन में 3 किलो होता है।
वहीं, 12 Volt Solar Panel का इस्तेमाल वैसे जगहों पर होता है, जिन्हें एक 12 वोल्ट की बैटरी चार्ज करनी है। बता दें कि आज के समय में बाजार में 20 एएच से लेकर 80 एएच तक की बैटरी की काफी माँग है और इतनी क्षमता की बैटरी को चार्ज करने के लिए आपको आपको 100 वाट से लेकर 200 वाट तक का सोलर पैनल लगता है। इस सोलर पैनल की कीमत 8500 रुपये से लेकर 10500 रुपये तक होती है। वहीं, इसकी साइज 4 फीट और वजन 8 किलो होती है।
वहीं, 24 Volt Solar Panel, आज के समय में सबसे लोकप्रिय सोलर पैनल है। इस कैटेगरी में सामान्य रूप से 350 वाट से लेकर 550 वाट तक के पैनल होते हैं। चाहे Residential हो, चाहे Commercial इस सोलर पैनल का इस्तेमाल हर सेक्टर में होता है। यह एक Highly Efficient Solar Panel होता है, जिसकी Efficiency Rate 25 प्रतिशत से भी ज्यादा होती है। यह आकार में एक सिंगल बेड जितना और वजन में 25 से 28 किलो तक का होता है। इस सोलर पैनल की कीमत 22 हजार रुपये से लेकर 25 हजार रुपये तक होती है।
हालांकि, सोलर पैनलों की कीमत इस बात पर निर्भर करती है कि आप किस ब्रांड के सोलर पैनल को चुन रहे हैं। इस प्रकार अगर आज सारे सोलर पैनलों की बात की जाए, तो यह बाजार में 10 वाट से लेकर 445 वाट और 550 वाट तक के रेंज में उपलब्ध है, जिसकी कीमत 1000 रुपये से लेकर 25 हजार रुपये तक है। एक सिंगल पैनल से आप जितना चाहें, उतनी क्षमता के सोलर सिस्टम को अपने घर में इंस्टाल कर सकते हैं।
आज के समय में सोलर पैनल को लेकर बाजार में कई गलतफहमियां हैं। आज लोग सोलर पैनल को ही सोलर सिस्टम (Solar System) मान लेते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। एक सोलर सिस्टम में सोलर पैनल के अलावा बैटरी, इंवर्टर, स्टैंड, वायर, चार्ज कंट्रोलर आदि जैसी कई चीजें शामिल होती हैं और सभी के सेट को सोलर सिस्टम कहा जाता है।
यदि आप अपने घर में सोलर पैनल लगाना चाहते हैं, तो इसे आप अपनी जरूरत के हिसाब से लगा सकते हैं। जैसे कि यदि आप अपने घर में लाइट, मोबाइल चार्जिंग जैसी छोटी छोटी चीजों के लिए सोलर पैनल लगाना चाहते हैं, तो आप अपने यहाँ छोटा सोलर पैनल (Small Solar Panel) लगा सकते हैं, जिसमें 10 वाट से लेकर 75 वाट तक के सोलर पैनल आते हैं।
वहीं, यदि आप अपने घर में 12 वोल्ट में आने वाली 20 AH से लेकर 80 AH तक की बैटरी को सोलर पैनल से चार्ज करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको 100 वाट से लेकर 200 वाट तक के सोलर पैनल को खरीदना होगा। इस पैनल पर आप लाइट, मोबाइल चार्जिंग के अलावा डीसी फैन आदि भी चला सकते हैं।
वहीं, यदि आप अपने घर में 8 से10 बल्ब और 3-4 फैन आदि चलाना चाहते हैं, तो आप 1 किलो वाट का सोलर पैनल (1kW Solar Panel) खरीद सकते हैं। इसके अलावा, यदि आप अपने घर में पानी का मोटर चलाना चाहते हैं तो आपको 3 किलो वाट का और एसी चलाने के लिए 5 किलो वाट का सोलर पैनल लगाना होगा।
यदि आप अपने घर में सिर्फ महीने के अंत में आने वाले बिजली बिल को कम करना चाहते हैं, तो आपका काम On Grid Solar System से भी चल जाएगा। वहीं, यदि आप खुद को बिजली के मामले में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं, तो आपको Off Grid Solar System लगाना होगा। जिसमें आपको सोलर पैनल के साथ लिथियम ऑयन बैटरी और इंवर्टर आदि लेना होगा। वहीं, यदि आप इसे बिजली और बैटरी, दोनों पर चलाना चाहते हैं, तो आप Hybrid Solar System को अपना सकते हैं।
आज बाजार में सोलर पैनलों की रेंज 10 वाट से लेकर 550 वाट तक उपलब्ध है और यदि उदाहरण के तौर पर 1 किलो वाट का सोलर पैनल लगाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको 500 वाट के दो पैनल खरीदने होंगे। यदि 3 किलो वाट का लगाना चाहते हैं, तो 500 वाट के 6 पैनल खरीदने होंगे। ये पैनल्स ऐसे होते हैं, जिनकी Efficiency Rate 25 फीसदी से अभी अधिक होती है।
बता दें कि सोलर पैनल मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं, जो निम्न हैं -
इनमें Polycrystalline solar panel सबसे अधिक पुरानी तकनीक है। वैसे तो यह बिजली ठीक से ही बनाता है, लेकिन इसे काफी जगह और धूप की जरूरत पड़ती है। वहीं, मोनोक्रिस्टलाईन सोलर पैनल (Monocrystalline solar panels) की Efficiency Rate इससे कहीं अधिक होती है और यह कम धूम होने या आसमान में बादल छाये होने के बावजूद पूरी बिजली बनाने में सक्षम है। यही कारण है कि आज इसकी काफी लोकप्रियता है। वहीं, Bifacial Solar Panel ऐसा सोलर पैनल होता है, जो दोनों ओर से बिजली बनाने में सक्षम है। इस वजह से इसमें कम समय में भी पूरी बिजली बनती है। इस पैनल को लगाने से घर की सुंदरता भी बढ़ती है।
यदि आप अपने घर में Polycrystalline solar panel लगाते हैं, तो आपको प्रति किलो वाट करीब 70 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं। वहीं, यदि Monocrystalline solar panels लगाते हैं, तो आपको प्रति किलो वाट करीब 85 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं। वहीं, पूरे सोलर सिस्टम को लगाने में आपको करीब 1 लाख रुपये से लेकर 1.20 लाख रुपये तक का खर्च आएगा। हालांकि, यह पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि आप चुन किस ब्रांड को रहे हैं।
आज के समय में पूरे देश में Power Cut की समस्या काफी बढ़ गई है। ऐसे में इमरजेंसी लाइट, मोबाइल चार्जिंग, डीसी फैन चलाने जैसी सुविधाओं के लिए आप एक छोटी बैटरी रख सकते हैं।
बता दें कि आज बाजार में जितनी भी बैटरी होती है, सभी 12 वोल्ट की होती है। लेकिन उनका एम्पीयर अलग-अलग होता है। वहीं, 6 एएच से लेकर 80 एएच तक की बैटरी को छोटी बैटरी की कैटेगरी में गिना जाता है।
इस बैटरी से आप बल्ब, यूपीएस चार्जिंग, मोबाइल चार्जिंग, टीवी, फैन जैसी कई चीजें चला सकते हैं। अपनी बैटरी को चार्ज करने के लिए आप सरकारी बिजली का इस्तेमाल तो कर ही सकते हैं। लेकिन आज भी देश के कई हिस्सों में बिजली जाने के बाद, कई दिनों तक नहीं आती है। ऐसे में लोगों को कई मुश्किल का सामना करना पड़ता है।
तो ऐसे में अपनी बैटरी की चार्ज करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप अपने यहाँ सोलर पैनल खरीद लें। इससे आपकी छोटी छोटी जरूरतों के लिए सरकारी बिजली पर निर्भरता काफी कम हो जाएगी और यदि आप कोई दुकान, स्टोर आदि चला रहे हैं, तो आपको अपने बिजनेस में भी काफी सहूलियत मिलेगी।
यदि आप अपने घर में 12 वोल्ट का सोलर पैनल लाते हैं, तो बता दें कि यह पैनल आपको 10 वाट से लेकर 200 वाट की क्षमता तक आसानी से मिलेगा और इससे आप 80 AH तक की बैटरी को आसानी से चार्ज कर सकते हैं।
इस सोलर पैनल को आप कहीं भी आसानी से शिफ्ट कर सकते हैं। यही कारण है कि इसे मिनी सोलर पैनल (Mini Solar Panel) या पोर्टेबल सोलर पैनल (Portable Solar Panel) भी कहा जाता है।
बता दें कि 12 वोल्ट सोलर पैनल का मतलब है कि वह 12 वोल्ट के इंवर्टर को सपोर्ट करेगा। इस सिस्टम में आपको सोलर पैनल, इंवर्टर और बैटरी के अलावा Charge Controller की भी जरूरत पड़ती है, जो बैटरी और सोलर पैनल के बीच की कड़ी होती है और यह बैटरी को ओवर चार्जिंग के खतरे से बचाता है।
आज बाजार में 12 Volt Solar Panel की कीमत 1000 रुपये से लेकर 8500 रुपये के बीच है। हालांकि, यह कीमत ब्रांड के अनुसार अलग - अलग हो सकती है।
एक किलो वाट का सोलर पैनल (1 KW Solar Panel) वैसे लोगों के लिए अच्छा विकल्प है, जिनके घरों में न तो बिजली की खपत ज्यादा है और न ही उनका बजट ज्यादा है।यह सोलर पैनल वैसे लोगों के लिए सबसे अच्छा है, जिनके घरों में हर महीने 100 यूनिट से लेकर 150 यूनिट तक बिजली की खपत होती है, लेकिन वे सोलर सिस्टम (Solar System) का उपयोग कर अपने बिजली बिल को जीरो कर सकते हैं।
बता दें कि आज बाजार में 3 कैटेगरी के सोलर सिस्टम उपलब्ध हैं, जो On Grid Solar System, Off Grid Solar System और Hybrid Solar System है।
बता दें कि आज देश के अधिकांश क्षेत्रों में बिजली आसानी से उपलब्ध है। लेकिन Power Cut की समस्या निरंतर बनी रहती है। हालांकि यह परेशानी ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा है। यदि आप सिर्फ हर महीने आने वाले अपने बिजली बिल को कम करना चाहते हैं या आप सोलर सिस्टम का इस्तेमाल कर्मिशियल सेक्टर में करना चाहते हैं, तो आपके लिए On Grid Solar System अच्छा विकल्प है। इस सोलर सिस्टम को आपके घर में मौजूद सरकारी बिजली कनेक्शन से ही जोड़ दिया जाता है और महीने भर में बनने वाले सोलर बिजली के अनुसार आपकी बिल कम हो जाती है।
वहीं, यदि आप खुद को बिजली के मामले में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं, तो आपके लिए Off Grid Solar System सबसे बढ़िया विकल्प है। इस सिस्टम में आपको सोलर पैनल के साथ इन्वर्टर, बैटरी, सोलर स्टैंड, चार्ज कंट्रोलर, वायर जैसी चीजों को भी खरीदना पड़ता है।
वहीं, Hybrid Solar System ऐसा सिस्टम होता है, जिसे आप सरकारी बिजली के साथ ही, सोलर सिस्टम पर भी चला सकते हैं और अपने बिजली बिल को कम कर सकते हैं। वहीं, अगर बात सोलर पैनल के विभिन्न प्रकारों (Types of solar panel) की, की जाए तो ये Polycrystalline solar panel, Monocrystalline solar panels और Bifacial solar panels जैसे तीन प्रकार के होते हैं।
बता दें कि Polycrystalline solar panel ऐसा सोलर पैनल होता है, जिसे छोटे crystallites से बनाया जाता है। यह सोलर सेक्टर में सबसे पुरानी टेक्नोलॉजी है। अच्छी धूप होने पर यह पूरी बिजली बनाती है। लेकिन धूप कम होने पर यह ठीक से बिजली नहीं बना पाती है।
इन्हीं समस्याओं को दूर करने के लिए, Monocrystalline solar panels को बाजार में लाया गया है, जो कम धूप में भी या आसमान में बादल छाये होने के बावजूद भी पूरी बिजली बनाने में सक्षम है। इस पैनलको silicon crystallized से निर्मित single crystal से बनाया जाता है और इसकी Efficiency Rate भी ज्यादा होती है।
वहीं, Bifacial Solar Panel, दोनों अपने दोनों साइड से बिजली बनाने में सक्षम है। यह बाजार में सबसे अत्याधुनिक तकनीकों से लैस सोलर पैनल है। यह कम समय में ही आपको पूरी बिजली बना कर देती है और इसके लिए आपको ज्यादा जगह की भी जरूरत नहीं पड़ती है। साथ ही, इसे छत पर लगाने से आपके घर की सुंदरता भी बढ़ती है।
यदि आपके पास 1 BHK से लेकर 3 BHK तक का घर है और आप अपने पंखा, कूलर, टीवी, फ्रिज, बल्ब, लैपटॉप, वाशिंग मशीन, आदि को चलाने के लिए अपने घर में सोलर सिस्टम अपनाना चाहते हैं, तो आप 1 KW Solar System को अपना सकते हैं।
यदि आप 1 किलोवाट का सोलर पैनल लेना चाहते हैं, तो इसमें आपको 24 वोल्ट और 500 वाट का दो पैनल खरीदना होगा। वहीं, यदि बात पूरे सोलर सिस्टम की हो, तो इसमें 150 AH की दो बैटरी, 1100VA का सोलर इंवर्टर, डीसी वायर और सोलर स्टैंड आएगा।
यदि आप अपने यहाँ Polycrystalline solar panel लगाना चाहते हैं, तो आपको 1 किलो वाट के लिए करीब 70 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं। वहीं, यदि Monocrystalline solar panels लगाते हैं, तो आपको 1 किलो वाट के लिए करीब 85 हजार रुपया खर्च करना होगा।
इसके अलावा, यदि आप पूरा Solar System Install करना चाहते हैं, तो इसमें आपको प्रति किलो वाट करीब 1 लाख रुपये से लेकर 1.20 लाख रुपये तक का खर्च आएगा।
जैसा कि यदि आपके महीने का बिजली खपत 100 यूनिट से लेकर 150 यूनिट तक है, तो आज के समय में देश के किसी भी राज्य में आपको प्रति यूनिट 10 रुपये से लेकर 15 रुपये प्रति यूनिट का बिजली बिल आसानी से देना पड़ता है।
लेकिन अपने घर में 1 किलो वाट के सोलर सिस्टम लगा कर आप अपने महीने के बिजली बिल को जीरो कर सकते हैं।
बता दें कि आज आपको किसी भी सोलर पैनल पर 25 वर्षों की गारंटी आसानी से मिलती है। इस प्रकार, आप एक बार सोलर पैनल खरीदने पर आप वर्षों के लिए बिजली के मामले में न सिर्फ आत्मनिर्भर हो सकते हैं, बल्कि लाखों की बचत भी कर सकते हैं।
क्योंकि, आपने सोलर सिस्टम में जो पैसा लगाया है, उसका ROI आपको कुछ ही वर्षों में मिल जाएगा। वहीं, यदि आपको लग रहा है कि सोलर सिस्टम के पीछे इतना निवेश करना आपके लिए मुश्किल है, तो आप सोलर लोन (Solar Loan in India) की सुविधा का आनंद भी आसानी से ले सकते हैं, जो आज कार लोन (Car Loan) और होम लोन (Home Loan) की तरह आपके लिए आसानी से उपलब्ध है।
इस विषय में अधिक जानकारी के लिए आप https://loan.loomsolar.com/ पर विजिट कर सकते हैं।
छोटे सोलर पैनल (Small Solar Panel) का भारत में एक बहुत ही बड़ा बाजार है। इस सोलर पैनल को पोर्टेबल सोलर पैनल (Portable solar panel), मिनी सोलर पैनल (Mini Solar Panel), डीआईवाई सोलर पैनल (DIY solar panel) जैसे कई अन्य नामों से भी जाना जाता है।
यह सोलर पैनल वजन में काफी हल्का और compact होता है। यदि आप सोलर पैनल के जरिए सिर्फ मोबाइल चार्जिंग और लाइटिंग जैसी छोटी छोटी जरूरतों को पूरा करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपके लिए 10 वाट से लेकर 75 वाट तक का सोलर पैनल पर्याप्त है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह होती है कि आप इसे कहीं भी आसानी से ले जा सकते हैं।
लूम सोलर भारत की सबसे विश्वसनीय और प्रतिष्ठित सोलर manufacturer कंपनी है। हमने बाजार में 10W, 20W, 40W, 50W और 75 वाट के कई बेहतरीन small solar panel को लॉन्च किया है, जो क्वॉलिटी और परफार्मेंस में बेस्ट है।
लूम सोलर का 50W और 75W का सोलर पैनल monocrystalline solar cell technology में उपलब्ध है और 10W, 20W & 40W polycrystalline solar cell technology में उपलब्ध है।
इन सभी सोलर पैनल का प्रयोग 7Ah, 12Ah, 20Ah & 40Ah battery को चार्ज करने के लिए किया जाता है। इसके साथ - साथ इसका इस्तेमाल Home Lighting System, Street Light, Traffic Controller Device, Speed Limit Device, CCTV Camera, Water Level Checking Device, Online Monitoring System, Drone, Science Projects आदि जैसे कार्यों में भी किया जाता है।
50 वाट का सोलर पैनल बाजार में सबसे अधिक बिकने वाले सोलर पैनलों में से एक है। इस सोलर पैनल पर आप मोबाइल चार्ज करने, बल्ब जलाने से लेकर छोटा पंखा चलाने तक जैसे कई कार्यों को कर सकते हैं। हालांकि 50 वाट का सोलर मार्केट काफी असंगठित है। यदि आप इसे खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो आप एक अनूठी विश्वसनीयता के लिए लूम सोलर का ही चयन करें। इसके लिए आपको 2500 से लेकर 3000 रुपये तक खर्च होंगे।
यदि आपके पास एक छोटा सा 1 बीएचके घर है और आप अपने घर में सोलर पैनल पर सिर्फ लाइट, पंखा, टीवी जैसी चीजें चलाना चाहते हैं, तो आप इन जरूरतों को 500 वाट के सोलर पैनल से भी पूरी कर सकते हैं। यदि आप Vikram Solar Panel लेते हैं, तो आपको 250 वाट का दो पैनल लेना होगा, जिसमें आपको करीब 17 हजार रुपये खर्च होंगे। लेकिन यदि आप करीब 22 हजार रुपये खर्च कर लूम सोलर का पैनल लेते हैं, तो आपको अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस पैनल मिल जाएंगे और आपको सालोंसाल सोचने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
यदि आप अपने घर को बिजली के मामले में लगभग पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं, तो आप अपने घर में 5 किलो वाट का सोलर सिस्टम लगवा सकते हैं। यदि आप इतनी क्षमता का ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम ले रहे हैं, तो आप बिजली के मामले में पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो जाएंगे। वहीं, यदि आप ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम लेते हैं, तो आपके महीने का बिल 80 प्रतिशत तक आसानी से कम हो जाएगा। आपको 5 किलो वाट का सोलर पैनल खरीदने में करीब 1,90,000 रुपये खर्च होंगे। जिसमें 550 वाट के हॉफ कट मॉडल का 8 सोलर पैनल आएगा। बता दें कि 5 किलोवाट के सोलर सिस्टम पर आप घर में पानी के मोटर और फ्रिज से लेकर एसी तक आसानी से चला सकते हैं।
अपने घर में 100 वाट के सोलर सिस्टम को लगाने से भी आपकी जिंदगी काफी आसान हो सकती है। इससे आप अपने घर में कई एलईडी बल्ब जलाने के साथ ही, मोबाइल चार्जिंग, पंखा आदि भी चला सकते हैं। यदि आपके पास 100 वाट का सोलर पैनल है, तो आपको करीब 50 एम्पीयर की बैटरी भी खरीदनी होगी। बता दें कि यदि आप 100 वाट का सोलर सिस्टम लेते हैं, तो आप polycrystalline panel को चुनें। इसमें आपको करीब 6500 रुपये का खर्च आएगा।
आज के समय में कोई भी बैटरी 12 वोल्ट की ही होती है। लेकिन इसके एम्पीयर अलग - अलग होते हैं। आप अपने बैटरी का चुनाव कैसे करें, यह पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि आपके पास कितने वोल्ट का इन्वर्टर है और उसकी क्षमता कितनी है और आपके पास जितनी क्षमता का इन्वर्टर रहेगा, आपको उतनी ही क्षमता की बैटरी खरीदनी होगी। वहीं, यदि इन्वर्टर बैटरी से कम है, तो बैटरी चार्ज नहीं होगा और यदि ज्यादा है तो बैटरी तुरंत खराब हो जाएगा। सामान्यतः आज घरों में 6 एएच से लेकर 200 एच की बैटरी का इस्तेमाल होता। जिसे खरीदने के लिए आपको 8 हजार रुपये से लेकर 10 हजार रुपये तक खर्च करने होंगे।
वहीं, यदि आप 150 एएच की बैटरी खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो आपको करीब 6-7 बैटरी खरीदनी होगी। लेकिन इसके बजाय आप लूम सोलर के अत्याधुनिक तकनीकों से लैस लिथियम ऑयन बैटरी को खरीद सकते हैं, जो चार बैटरी के बराबर अकेले है। इस बैटरी को रखने के लिए आपको कम जगह की भी जरूरत पड़ेगी।
यदि आप अपने घर में सोलर सिस्टम से पानी का मोटर चलाना चाहते हैं, तो आप अपने यहाँ 3 किलोवाट का सोलर सिस्टम लगवा सकते हैं। यदि आप 3 किलो वाट का सोलर पैनल खरीदना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको 1.35 लाख रुपये से लेकर 1.50 लाख रुपये तक खर्च करने होंगे, जिसमें 500 वाट के 6 पैनल आएंगे।
यदि आप अपने घर में 4-5 पंखा, 8-10 बल्ब, फ्रिज और कूलर जैसी मशीनों को चलाना चाहते हैं, तो आप अपने यहाँ 2 किलो वाट के सोलर सिस्टम को लगवा सकते हैं। यदि आप 2 किलो वाट का सोलर पैनल खरीदना चाहते हैं, तो इस पर आपको 90 हजार रुपये से लेकर 1 लाख रुपये तक का खर्च आएगा। इसमें आपको 500 वाट के 4 सोलर पैनल मिलेंगे।
यदि आप अपने घर में 250 वाट का सोलर पैनल खरीदना चाहते हैं, तो इससे एक दिन में 1 यूनिट बिजली का निर्माण आसानी से किया जा सकता है। इससे आप अपने यहाँ मोबाइल चार्जिंग, लाइट, डीसी फैन जैसी कई छोटी - छोटी सुविधाओं का आनंद ले सकते हैं। यदि आप 250 वाट का सोलर पैनल खरीदते हैं, तो आपको करीब 8500 रुपये का खर्च आएगा।
यदि आप अपने घर में 200 वाट के सोलर पैनल को लाते हैं, तो आप इस पर कॉफी मेकर, लैपटॉप, एलईडी बल्ब, एलसीडी टीवी, माइक्रोबेव जैसी कई छोटी - छोटी चीजों को चला सकते हैं। बता दें कि 200 वाट के सोलर पैनल को खरीदने के लिए आपको करीब 10500 रुपये खर्च करने होंगे।
आम तौर पर 10 वाट से लेकर 50 वाट तक के सोलर पैनल को मिनी सोलर पैनल की कैटेगरी में गिना जाता है। इससे मोबाइल चार्ज करने के साथ ही, लाइट भी जलाया जा सकता है। इसका भारत में एक बड़ा बाजार है, खास कर तटीय क्षेत्रों में। इस पर आपको 750 रुपये से लेकर 3000 रुपये तक का खर्च आएगा।
आज के समय में दक्षता के मामले में mono perc solar panel को श्रेष्ठ माना गया है। यह कम धूप में भी पूरी बिजली बनाने में सक्षम है। यदि आप अपने घर में 50 वाट का mono perc solar panel लगाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको करीब 3 हजार रुपये खर्च करने होंगे। वहीं, यदि 550 वाट का खरीदना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको 25 हजार रुपये खर्च करने होंगे।
यदि आप अपने घर में सोलर सिस्टम लगाना चाहते हैं, तो इसके पैकेज में आपको सोलर पैनल के साथ, बैटरी और इंवर्टर भी दिया जाएगा। बता दें कि आज के समय में 1 किलो वाट के सोलर सिस्टम को लगाने में 70 हजार रुपये से लेकर 1 लाख रुपये तक का खर्च आसानी से आता है। इस प्रकार यदि आप अपने घर में 5 किलो वाट का सोलर सिस्टम लगाते हैं, तो इस पर आपको 3.5 लाख रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक का खर्च आएगा।
आज के समय में Bifacial solar panel बाजार में उपलब्ध सबसे उन्नत सोलर पैनल है। इसकी विशेषता यह है कि इसमें दोनों ओर से बिजली बनती है। इस कारण इसमें कम जगह में और कम समय में ही, आपको अधिकतम बिजली मिलती है। बता दें कि यदि आप विक्रम का 410 वाट का, अडाणी का 435 वाट का, Waaree का 445 वाट का या लूम सोलर के 445 वाट के Bifacial solar panel को लेते हैं, तो इस पर आपको 16.5 हजार रुपये से लेकर 21,750 रुपये तक का खर्च आएगा।
हमें उम्मीद है कि यह लेख आपके लिए मददगार साबित होगा। यदि आप अपने घर में सोलर सिस्टम लगवाना चाहते हैं और खुद को बिजली के मामले में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं, तो अभी हमसे संपर्क करें। हमारे विशेषज्ञ आपकी जरूरतों को समझते हुए, आपकी साइट पर जाएंगे और आपको आगे की राह दिखाएंगे।
]]>इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे कि सोलर सिस्टम क्या है और इसे लगाने में खर्च कितना आएगा? आज के समय में सोलर लगाने के फायदे क्या हैं? सोलर में इंंवेस्ट कर आप कैसे अधिक कमाई कर सकते हैं? सोलर सिस्टम की रेंज क्या है और 1 किलोवाट के सोलर सिस्टम को लगाने से आपको कितनी बिजली मिलेगी और इससे आपका कितना बिजली बिल बचेगा? सोलर सिस्टम लगा कर आप अपने घर में क्या - क्या उपकरण चला सकते हैं?
बता दें कि सोलर सिस्टम (Solar System) एक ऐसा सिस्टम होता है, जो धूप से एनर्जी को ऑब्जर्व कर उसे इलेक्ट्रिक एनर्जी (Electric Energy) में बदल देता है। इस बिजली का इस्तेमाल आप अपने घर के सभी कामों में ला सकते हैं, जैसे कि पानी का मोटर चलाना, एसी चलाना, पंखा चलाना, मोबाइल चार्ज करना, आदि। बता दें कि एक सोलर सिस्टम में सोलर पैनल (Solar Panel), सोलर बैटरी (Solar Battery), सोलर इंवर्टर (Solar Inverter) और पैनल स्टैंड (Panel Stand) जैसे कई पार्ट्स होते हैं। बता दें कि इसमें से हर एक कंपोनेंट Balancing Of System (BOS) के लिए जरूरी है।
बता दें कि आज के समय में लोग अपने घरों में 1 किलोवाट से लेकर 5 किलोवाट या 10 किलोवाट तक का रूफटॉप सोलर सिस्टम (Rooftop Solar System) अपनी जरूरत और जगह को देखते हुए लगाते हैं। वहीं, यदि उन्हें सोलर को किसी कमर्शियल या इंडस्ट्रियल स्पेस में लगाना है, तो यह 10 किलोवाट से लेकर 100 किलोवाट तक का काफी आराम से होता है। ये ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम (On Grid Solar System) भी हो सकते हैं और ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम (Off Grid Solar System) या हाइब्रिड सोलर सिस्टम (Hybrid Solar System) भी।
बता दें कि एनर्जी के दो सोर्स होते हैं - Conventional energy और Renewable energy। Conventional energy की बात करें, तो इसमें कोयला, नैचुरल गैस, तेल, जैसे स्त्रोत होते हैं, तो वहीं, Renewable energy में विंड पावर, सोलर एनर्जी, वाटर एनर्जी, आदि जैसे स्त्रोत होते हैं। और, आज के समय में जलवायु संकट को देखते हुए, पूरी दुनिया में Renewable energy की माँग काफी तेजी से बढ़ती जा रही है। सोलर एनर्जी (Solar Energy) ऊर्जा की एक ऐसी ही असीमित स्त्रोत है, जिसमें धूप को एक टेक्नोलॉजी की मदद से इलेक्ट्रिक एनर्जी में बदला जाता है। बता दें कि आज के समय में भारत में साल के 365 दिनों में से 300 दिनों तक काफी अच्छी धूप मिलती है। इसी वजह से भारत में सोलर एनर्जी को लेकर अक्षय ऊर्जा (Clean & Green Energy) को लेकर सबसे अधिक संभावनाएं हैं। बता दें कि आज धूप से बिजली बनाने के लिए Photovoltaic Panel, Solar Heater, Silicon आदि जैसे कई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है।
बता दें कि सोलर एनर्जी को बनाने के लिए एक स्पेशल टेक्नोलॉजी से बने सोलर पैनल (Solar Panel) को धूप में रखा जाता है। सोलर पैनल से जब धूप यानी फोटोन टकराता है, तो इससे फोटो इलेक्ट्रिक प्रभाव (Photo Electric) जेनरेट होता है और इससे इलेक्ट्रॉन फ्लो होने लगता है। बता दें कि कोई भी सोलर पैनल डीसी यानी Direct Current बनाता है और इसे एक सोलर इंवर्टर की मदद से ऑल्टरनेटिंग करेंट (Alternating Current) में बदल दिया जाता है। इसके बाद, आप इस बिजली का इस्तेमाल अपने उपकरणों को चलाने के लिए कहीं भी आराम से कर सकते हैं। आइये नीचे जानते हैं सोलर सिस्टम के अलग-अलग पार्ट्स के बारे में
बता दें कि ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम (On Grid Solar System) सीधे पावर ग्रिड से जुड़े होते हैं। यह आपको नेट मीटर की मदद से बिजली प्रदान करता है। इसे लगा कर आप अपने महीने के अंत में आने वाले बिजली बिल को कंट्रोल कर सकते हैं। वहीं, ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम (Off Grid Solar System) लगाने से आप बिजली के मामले में पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो जाएंगे। बता दें कि इसमें आपको सोलर पैनल के साथ सोलर इंवर्टर और सोलर बैटरी की भी जरूरत होती है। वहीं, हाइब्रिड सोलर सिस्टम (Hybrid Solar System) एक ऐसा सोलर सिस्टम होता है, जो बैटरी और ग्रिड दोनों से चल सकता है।
बता दें कि किसी भी सोलर सिस्टम की कीमत पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करती है कि वह किस ब्रांड, रेटिंग, एफिशिएंसी रेट, कैपेसिटी, आदि का है। आज के समय में यदि आप ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम (On Grid Solar System) खरीदते हैं, तो इस पर आपको प्रति किलोवाट 50 हजार से लेकर 60 हजार रुपये का खर्च आता है। वहीं, ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम (Off Grid Solar System) लेते हैं, तो आपको प्रति किलोवाट औसत रूप से 1 लाख रुपये का खर्च आता है।
वहीं, यदि आप बात करें सोलर पैनलों की कीमत के बारे में तो, बता दें कि आज के समय में मार्केट में 10 वाट से लेकर 550 वाट तक के सोलर पैनल्स उपलब्ध हैं, जिनकी कीमत लगभग 1000 रुपये से शुरू होती है और 25 हजार रुपये तक जाती है।सोलर सिस्टम की पूरी जानकारी यहाँ पढ़े: https://www.loomsolar.com/blogs/pricelist
बता दें कि सोलर पैनल एक ऐसी टेक्नोलॉजी है, जो धूप से मिलने वाली एनर्जी को इलेक्ट्रिक एनर्जी में बदल देते हैं। बता दें कि सोलर पैनल को फोटोवोल्टिक सेल्स (Photovoltaic Cells) से बनाया जाता है, जिसके लिए ज्यादातर सिलिकॉन के लेयर्स का इस्तेमाल किया जाता है।
यदि आप अपने घर में बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए सोलर पैनल लगाना चाहते हैं, तो इसका चयन आप अपनी जगह और जरूरतों को देखते हुए कर सकते हैं। जैसे कि यदि आप केवल मोबाइल चार्जिंग (Mobile Charging) और लाइटिंग के लिए सोलर पैनल की तलाश कर रहे हैं, तो आप आराम से 10 से 20 वाट का सोलर पैनल लगा सकते हैं। वहीं, यदि आपको अपने घर में 3-4 पंखे और करीब 10 लाइट जलाने के लिए सोलर पैनल चाहिए, तो आप अपने यहाँ 1 किलोवाट का सोलर पैनल (1kW Solar Panel) लगा सकते हैं।
वहीं, यदि आप अपने घर में पानी का मोटर चलाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको कम से कम 3 किलोवाट का सोलर लगाना होगा। वहीं, यदि आप एसी जैसी किसी भारी मशीन को चलाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको कम से कम 5 किलोवाट का सोलर लगाना होगा।
बता दें कि आप सोलर का सेलेक्शन इस प्रकार से भी कर सकते हैं कि आपके घर में हर महीने बिजली बिल कितना आता है। जैसे कि यदि आपके महीने का बिजली बिल 1 हजार रुपये है, तो ऐसे में आप 1 किलोवाट का सोलर लगा सकते हैं और यदि 3 हजार से लेकर 5 हजार रुपये है, तो आप 3 किलोवाट से लेकर 5 किलोवाट तक के सोलर को लगा सकते हैं। इससे आप बिजली के मामले में सालों साल के लिए लगभग आत्मनिर्भर हो जाएंगे।
बता दें कि आप अपने घर में एक सिंगल सोलर पैनल को सीरीज कर, अपनी जरूरत के हिसाब से कितनी भी कैपसिटी के सोलर सिस्टम को लगा सकते हैं। जैसे कि यदि आपको 1.5 किलोवाट का सोलर सिस्टम लगाना है, तो आप 550 वाट के 3 सोलर पैनल को खरीद सकते हैं। बता दें कि सोलर पैनल (Solar Panel) किसी भी सोलर सिस्टम का सबसे मुख्य पार्ट होता है। वहीं, इसकी कीमत पूरे सोलर सिस्टम के लगभग 40% के बराबर होता है।
बता दें कि भारतीय बाजार में पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल (Polycrystalline Solar Panel), मोनोक्रिस्टलाइन (Monocrystalline Solar Panel), बाय - फेसियल सोलर पैनल (By-facial Solar Panel) जैसे 3 प्रकार के सोलर पैनल्स होते हैं।
पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल (Polycrystalline Solar Panel) - बता दें कि यह एक पुरानी टेक्नोलॉजी है। यह सोलर पैनल अपेक्षाकृत रूप से थोड़ा सस्ता होता है, लेकिन बादल होने या मौसम खराब होने की स्थिति में यह ठीक से बिजली जेनरेट नहीं कर पाता है।
मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल (Monocrystalline Solar Panel) - बता दें कि यह एक लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का सोलर पैनल है और यह जल्दी खराब नहीं होता है। बता दें कि इस सोलर पैनल को लगाने के बाद, आपको आसमान में बादल छाए रखने के बावजूद पूरी बिजली मिलती रहेगी। इस सोलर पैनल को बनाने के लिए प्योर सिलिकॉन क्रिस्टल का इस्तेमाल किया जाता है। इसी वजह से इसकी एफिशिएंसी रेट काफी अधिक होती है।
बाय - फेसियल सोलर पैनल (By-facial Solar Panel) - इन दोनों के अलावा, आज के समय में बाजार में बाय - फेसियल सोलर पैनल (By-facial Solar Panel) सोलर पैनल भी उपलब्ध है, जो आपको दोनों साइड से बिजली बना कर देता है। इस वजह से आपको कम ही स्पेस में पूरी बिजली मिल जाती है।
नीचे टेबल में जानें अलग-अलग प्रकार के सोलर पैनल्स की कीमत के बारे में -
यदि बात करे 1kW सोलर पैनल (Cost of 1kW Solar Panel) की कीमत की तो इसकी कीमत लगभग 33,000 रुपये से लेकर 40,000 रुपये तक मिलता है, ये निर्भर करता है सोलर पैनल की Technology, Quantity, Quality, Brand और उसके Service पर निर्भर करता है. यदि बात करे सौर उर्जा प्लेट पर वाट की कीमत की तो आपको 35 रुपये से लेकर 105 रुपये तक मार्केट में उपलब्ध है.
सोलर पैनल्स माडल | सेल्लिंग प्राइस | प्राइस/वाट |
10W | ₹ 1,050 | ₹ 105 |
20W | ₹ 1,650 | ₹ 82.5 |
55W | ₹ 3,050 | ₹ 55.45 |
225W | ₹ 11,225 | ₹ 49.88 |
450W | ₹ 16,750 | ₹ 37.22 |
Shark 455W | ₹ 14,500 | ₹ 31.86 |
SHARK 550W | ₹ 17,500 | ₹ 31.81 |
SHARK 575W | ₹ 20,500 | ₹ 35.65 |
सोलर इंवर्टर, किसी भी सोलर सिस्टम में सोलर पैनल के बाद दूसरा सबसे बड़ा पार्ट है। जैसा कि कोई भी सोलर पैनल धूप से डीसी करंट को बनाता है और हमें घर के उपकरणों को चलाने के लिए एसी करंट की जरूरत होती है। ऐसे में, सोलर इंवर्टर सोलर पैनल से मिलने वाले डीसी करंट को एसी करंट में बदलने का काम करता है। बता दें कि आज के समय में सोलर इंवर्टर की कीमत पूरे सोलर सिस्टम पर आने वाले खर्च की लगभग 25% होती है।
सोलर इन्वर्टर माडल | सेल्लिंग प्राइस | प्राइस/वाट |
750 VA/12V | ₹ 750 | ₹ 75 |
1100 VA/12V | ₹ 1300 | ₹ 65 |
1400 VA/12V | ₹ 1900 | ₹ 47 |
1800 VA/24V | ₹ 2400 | ₹ 48 |
2.5 KVA/48V | ₹ 4000 | ₹ 53 |
3.7 KVA/48V | ₹ 6000 | ₹ 48 |
7.5 KVA/96V | ₹ 7500 | ₹ 41 |
9.5 KVA / 96V | ₹ 11500 | ₹ 34 |
12.5 KVA / 96V | ₹ 13000 | ₹ 34 |
किसी भी सोलर पैनल से जेनरेट होने वाली बिजली को स्टोर करने के लिए हमें सोलर बैटरी की जरूरत होती है। बता दें कि सोलर बैटरी लगाने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे आपको रात के समय में भी बिजली मिलती रहेगी, जब सोलर पैनल धूप न मिलने के कारण बिजली बनाना बंद कर देते हैं।
बता दें कि बैटरी का इस्तेमाल ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम (Off Grid Solar System) में होता है। आज के समय में बाजार में ग्राहकों के सामने सोलर के लिए Normal Battery का भी ऑप्शन है और Lithium Ion Battery का भी।
जैसे कि यदि आपको केवल कुछ लाइट और पंखा चलाने के लिए बैटरी खरीदना है, तो ऐसे में आप 150Ah की एक Normal Battery को भी खरीद सकते हैं। वहीं, यदि आपको अपने घर में 4 बैटरी से अधिक की जरूरत है, तो ऐसे में आप लूम सोलर के लिथियम ऑयन बैटरी (Loom Solar Lithium Ion Battery) को खरीद सकते हैं, जो 4 बैटरी के बराबर अकेले होता है।
बता दें कि Lithium Ion Battery को खरीदने के सबसे बड़े फायदे यह हैं कि इसे रखरखाव की कोई जरूरत नहीं होती है। साथ ही, इसे चार्ज होने में कम समय लगने के अलावा, जगह की भी जरूरत काफी कम होती है।
यदि आप 150AH की बैटरी ले रहे हैं, तो इसकी कीमत वारंटी और ब्रांड आदि के आधार पर अलग - अलग हो सकती है। जैसे कि यदि आप 3 वर्ष वाली वारंटी वाली किसी नॉर्मल बैटरी को खरीदते हैं, तो इस पर आपको करीब 15 हजार रुपये का खर्च आएगा। वहीं, यदि 5 साल वारंटी वाली खरीदते हैं, तो लगभग 18 हजार का।
वहीं, यदि आप अत्याधुनिक तकनीकों से लैस Lithium Ion Battery को खरीदते हैं, तो इस पर आपको प्रति किलोवाट करीब 30 हजार रुपये खर्च करने होंगे।
किसी भी सोलर पैनल को अपने छत, खेत या किसी अन्य खाली जगह में इंस्टाल करने के लिए सही सोलर स्टैंड (Solar Stand) का सेलेक्शन जरूरी है, तो तेज हवा या बारिश के दौरान सोलर पैनल आसानी से गिर कर टूट सकते हैं।
जैसा कि आज पूरी दुनिया में लोगों के जीवन को आसान बनाने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल काफी तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन, पावर स्टेशन में बिजली बनाने के लिए आज भी ट्रेडिशनल रूप से कोयले का ही इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, यह एक जगजाहिर तथ्य है कि आज धरती पर कोयले की मात्रा काफी सीमित है और इससे खनन से प्राकृतिक को काफी नुकसान हो रहा है। वहीं, कोयले के जलने से वातावरण भी काफी प्रदूषित होता है। ऐसे में इन समस्याओं से निपटने के लिए सोलर एनर्जी (Solar Energy) के इस्तेमाल को बढ़ावा देना सबसे बेहतरीन उपाय है, क्योंकि यह क्लीन एनर्जी का एक असीमित स्त्रोत है। सोलर लगाने के कई अन्य फायदे भी हैं, आइये नीचे जानते हैं -
यदि आपके पास अपनी कोई सेविंग है, तो आप हमेशा इसे किसी ऐसे जगह पर इंवेस्ट करना चाहते हैं, जहाँ आपको सबसे ज्यादा रिटर्न मिले। सोलर आपके लिए एक वैसा ही ऑप्शन है।
बता दें कि आज के समय में यदि आपको अपने पैसे को इंवेस्ट करना हो, तो अधिकांश लोग शेयर मार्केट, फिक्स्ड डिपॉजिट, इश्योरेंस, म्यूच्यूअल फंड, आदि की ओर देखते हैं। जहाँ आपको अधिकतम 5 से 10 प्रतिशत के रिटर्न मिलता है। लेकिन, सोलर में आपको प्रति वर्ष लगभग 20% रिर्टन मिलता है और आपको अपना Return on Investment 3 से 5 वर्ष में ही हासिल हो जाएगा। बता दें कि सोलर एक ऐसा एसेट है, जिसकी वैल्यू इंस्टालेशन के बाद 25 से 30 वर्षों तक काफी आसानी से बनी रहती है। आप Commercial, Residential, Agriculture या Industrial Sector में कहीं भी Solar लगा सकते हैं।
बता दें कि आपको 1 किलोवाट के सोलर सिस्टम से एक साल में कम से कम 1500 यूनिट बिजली काफी आराम से बनती है और वर्तमान बिजली बिल को देखते हुए, इस पर आपको करीब 12 हजार से 18 हजार का खर्च आएगा। ऐसे में, यदि आप अपने यहाँ सोलर सिस्टम लगा लेते हैं, तो आप प्रति किलोवाट 1000 रुपये की बचत काफी आराम से कर सकते हैं और इससे आपके बेकार पड़े छत का भी एक बेहतरीन इस्तेमाल हो जाएगा।
सोलर सिस्टम लगाने के कई फायदे हैं, जैसे कि -
सोलर सिस्टम का मुख्य फायदा है इससे हम हर महीने आने वाले बिजली के बिल से छुटकारा पा सकते हैं और उन पैसों को दूसरे कामों में ले सकते हैं| एक सामान्य घर का बिजली का बिल सालाना ₹60000 होता है और हमें मेहनत और कठिन परिश्रम से कमाए हुए रुपए से यह चुकाना होता है यदि हम सोलर सिस्टम लगा ले तो इन रुपए को हम बचा सकते हैं|
आज भी भारत में ऐसे कई स्थान है जहां पर सही तरीके से बिजली नहीं पहुंच पाई है और वहां के लोग डीजल जनरेटर का प्रयोग करते हैं जिससे काफी ज्यादा प्रदूषण होता है और उन्हें बार-बार डीजल खरीद कर लाना पड़ता है यदि उन स्थानों पर सोलर सिस्टम लगा दिया जाए तो एक ही बार में बार-बार के डीजल खरीदने से छुटकारा मिल जाएगा और प्रदूषण भी नहीं होगा| इसलिए सोलर बिजली संग्रहण के लिए भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है|
1. क्या सोलर कश्मीर और हिमाचल में काम करेगा?
बिल्कुल। सोलर सिस्टम एक ऐसी टेक्नोलॉजी है, जिसे बिजली बनाने के लिए केवल धूप की जरूरत होती है और यदि आप किसी ठंडे प्रदेश में भी इंस्टॉल करेंगे, तो आपको पूरी बिजली मिलेगी। हालांकि, हिमाचल और जम्मू कश्मीर जैसे राज्यों में भारी बर्फबारी भी पड़ती है। फिर भी, आपको इन राज्यों में साल के 200 से 250 दिनों तक सोलर से अच्छी बिजली मिलेगी।
बता दें कि सोलर सिस्टम के इस्तेमाल को देखते हुए, इसे अलग - अलग कैटेगरी में बाँटा गया है। आज के समय में सोलर को आप घर, स्कूल, कॉलेज से लेकर एयर पोर्ट तक में काफी आराम से देख सकते हैं। आइये जानते हैं, इसकी कैटेगरी के बारे में -
1 से 10 किलोवाट - 1 से 10 किलो वाट तक के सोलर सिस्टम को रेसीडेंसियल कैटेगरी में गिना जाता है और इसके लिए सरकार द्वारा आपको सोलर सब्सिडी भी मिलती है।
10 किलोवाट से ज्यादा - इस श्रेणी के सोलर सिस्टम को कमर्शियल कैटेगरी में गिना जाता है और यहाँ आपको सरकार द्वारा कोई भी सब्सिडी नहीं मिलती है।
इंडिया में ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम (On Grid Solar System) लगभग 80,000 रुपए में उपलब्ध है और ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम (Off Grid Solar System) 95,000 रुपए में उपलब्ध है| निचे दिये गये सोलर सिस्टम की कीमत में Product की Delivery आपके घर तक, सिस्टम का इंस्टालेशन करना सभी जुड़ा हुआ है.
पावर प्लांट | ऑफ ग्रिड | ऑन ग्रिड |
500 Watts | ₹ 50,000 | ₹ 28,000 |
1 kW | ₹ 95,000 | ₹ 80,000 |
2 kW | ₹ 199,000 | ₹ 160,000 |
3 kW | ₹ 285,000 | ₹ 240,000 |
5 kW | ₹ 485,000 | ₹ 400,000 |
7 kW | ₹ 665,000 | ₹ 560,000 |
10 kW | ₹ 950,000 | ₹ 800,000 |
सोलर सिस्टम की पूरी जानकारी यहाँ पढ़े: https://www.loomsolar.com/blogs/pricelist
आज के समय में सरकार द्वारा सोलर एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए रूफटॉप सोलर योजना (Rooftop Solar Scheme) को शुरू किया गया है। यहाँ आपको रेसीडेंसियल सेक्टर के लिए 1 से 10 किलोवाट के सोलर सिस्टम पर 40 प्रतिशत की सब्सिडी मिलती है।
बता दें कि यहाँ आपको 3 किलोवाट के सोलर सिस्टम के लिए आपको करीब 73 हजार रुपये, 5 किलोवाट के सिस्टम के लिए करीब 88 हजार रुपये और 10 किलोवाट के सिस्टम के लिए करीब 1.25 लाख रुपये सब्सिडी के रूप में मिलती है। इसके अलावा, आप यहाँ कई प्रकार की Loan Facility का भी लाभ उठा सकते हैं। इस प्रकार, अपने यहाँ सोलर सिस्टम लगाने से आप खुद को बिजली के मामले में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बना सकते हैं और हर महीने हजारों के बिजली बिल को बचा सकते हैं। यदि आप सोलर सब्सिडी का लाभ उठाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको सबसे पहले अपने एरिया के डिस्कॉम में आवेदन करना होगा। यहाँ आपको अपनी Feasibility Report भी सबमिट करनी पड़ती है। बता दें कि आज के समय में भारत में सोलर सब्सिडी हासिल करना काफी लंबी और कठिन प्रक्रिया है।
सोलर सब्सिडी की पूरी जानकारी यहाँ पढ़े: https://www.loomsolar.com/blogs/subsidy
आज के समय में पूरे देश में बिजली की किल्लत (Power Crisis in India) की समस्या काफी बढ़ गई है। यही कारण है कि आज लोगों ने बड़े पैमाने पर Solar System को अपनाना शुरू कर दिया है। सरकार द्वारा भी लोगों को Solar Energy के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए कई Rooftop Solar Scheme को शुरू किया गया है, जहाँ आपको 3 किलोवाट के सोलर सिस्टम के लिए आपको करीब 73 हजार रुपये, 5 किलोवाट के सिस्टम के लिए करीब 88 हजार रुपये और 10 किलोवाट के सिस्टम के लिए करीब 1.25 लाख रुपये सब्सिडी के रूप में मिलते हैं। इसके अलावा, आप यहाँ कई प्रकार की Loan Facility का भी लाभ उठा सकते हैं। इस प्रकार, अपने यहाँ सोलर सिस्टम लगाने से आप खुद को बिजली के मामले में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बना सकते हैं और हर महीने हजारों के बिजली बिल को बचा सकते हैं।
सोलर सब्सिडी की पूरी जानकारी यहाँ पढ़े: https://www.loomsolar.com/blogs/subsidy
जी हाँ। आज के समय में मार्केट में कार लोन (Car Loan) और होम लोन (Home Loan) की तरह सोलर लोन (Solar Loan) लेना भी काफी आसान हो गया है। आज इसे 20 प्रतिशत के Down Payment के साथ काफी आसानी से उठा सकते हैं। यहाँ आपको No Cost EMI का विकल्प भी मिलेगा। बता दें कि इसे ऑनलाइन अमेजन और फ्लिपकॉर्ट जैसे ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ खरीद सकते हैं।
अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें - https://loan.loomsolar.com/
राजस्थान भारत के सबसे बड़े राज्यों में से एक है। इस राज्य में पूरे देश में सबसे अधिक धूप पड़ती है। यही कारण है कि यह Solar System Installation के लिए सबसे उपयुक्त जगहों में से एक है। बता दें कि राजस्थान (Solar in Jaipur, Rajasthan) में लोगों के लिए बिजली की सुविधा हमेशा रहती है और यहाँ का तापमान भी काफी अधिक रहता है। ऐसे में, वे अपने घर और ऑफिसों में बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए Grid Connected Solar System को अपना सकते हैं और महीने के अंत में आने वाले बिजली बिल को काफी हद तक कम कर सकते हैं।
बता दें कि यदि आप 1 किलोवाट के Grid Connected Solar System को लगाते हैं, तो यहाँ आपको करीब 65 हजार रुपये का खर्च आता है। इसके लिए आपको सबसे पहले बिजली विभाग से परमिशन लेनी पड़ती है। इस परमिशन के लिए सरकार द्वारा Single Window Portal की सुविधा दी गई है। इसके लिए आप https://solarrooftop.gov.in/ पर आवेदन कर सकते हैं।
यदि आपके पास 80 AH की बैटरी है या पहले की पुरानी बैटरी है, तो आप इसके लिए 200 वाट के सोलर पैनल को खरीद सकते हैं। इससे आप लाइट, फैन, टीवी, आदि जैसी बिजली की छोटी जरूरतों को काफी आराम से पूरा कर सकते हैं। बता दें कि आज के समय में 200 वाट के सोलर पैनल की कीमत करीब 7 हजार रुपये है। वहीं, यदि आप इसे Mono Perc Technology में खरीदते हैं, तो आपको करीब 10500 रुपये का खर्च आएगा। मोनो पर्क सोलर पैनल का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह आपको कम धूप या Cloudy Weather में भी पूरी बिजली बना कर देगा।
यदि आप अपने यहाँ सोलर सिस्टम लगा कर खुद को बिजली के मामले में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं, तो अभी हमसे संपर्क करें। हमारे इंजीनियर आपकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। बता दें कि लूम सोलर इंडिया की नंबर 1 सोलर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी है, जो अत्याधुनिक तकनीकों से लैस सोलर प्रोडक्ट्स को बनाने के लिए जानी जाती है। साथ ही, हम आपको देश के हर एक हिस्से में साइट सर्वे की फैसलिटी भी देते हैं।
बता दें कि आप हमारे साथ एक डीलर या डिस्ट्रीब्यूटर के रूप में भी जुड़ सकते हैं और हर महीने के अच्छी कमाई कर सकते हैं। इस विषय में अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें - https://business.loomsolar.com/
इस विडियो में बताया गया है की सोलर सिस्टम क्या है ज्यातर उपभोक्ता सोलर पैनल को ही पूरा सोलर सिस्टम समझते है तो इन सभी बातो पर इस विडियो में चर्चा की गयी है इसी के साथ साथ केसे हम सोलर सिस्टम से रूपये कमा सकते साथ ही| 1kw सोलर सिस्टम से हम कितनी बिजली उत्पन कर सकते है|
भारत में कई सारी सोलर निर्माता कंपनी है जो काफी बढ़िया काम कर रही है लेकिन आज हम जानेंगे भारतीय सोलर कंपनियों के बारे में और वह किन किन बागों में काम करती है|
मुख्य – ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम
लूम सोलर ऑनलाइन बाजार की तेजी से बढ़ने वाली एक कंपनी है जो काफी अच्छा काम कर रही है इसका मुख्यालय फरीदाबाद हरियाणा में है| लूम सोलर अपने मोनोक्रिस्टलाइन के लिए जानी जाती है जो काफी आधुनिक तकनीक पर बना हुआ है इसी के साथ साथ यह कंपनी मात्र 3 दिन के अंदर सोलर सिस्टम को पूरे इंडिया में वितरण या डिलीवर करती है| लूम सोलर भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त कंपनी है जो आसानी से ग्राहकों को सब्सिडी प्रदान करती है और नेट मीटर भी लगा कर देती है| लूम सोलर के पास 10 वाट से लगाकर 350 वोट तक के सोलर पैनल उपलब्ध है|
कंपनी वेबसाइट: www.loomsolar.com
यदि अब आप सोलर लगाने के बारे में सोच रहे हैं या खरीदने जा रहे हैं तो सबसे पहले आपको यह पता होना चाहिए कि आपको किस तरह के सोलर सिस्टम की जरूरत है| आप सोलर सिस्टम पर किस बिजली के उत्पाद को चलाने वाले हैं और किस रेंज का सोलर सिस्टम आपको चाहिए| सोलर पैनल का आकार कैसा होगा स्ट्रक्चर का आकार कैसा होगा साथ ही सोलर पैनल की दक्षता कितनी होगी इन सारी बातों की आप गणना कर सकते हैं| और यहां पता लगा सकते हैं कि सोलर किस दिशा में होना चाहिए और यह गणना कर सकते हैं की सोलर सिस्टम से आपको कितने यूनिट बिजली प्राप्त होगी| सोलर सिस्टम लगाने से पहले यह बहुत जरूरी है की सोलर से होने वाली बिजली की गणना पहले कर ली जाए|
]]>आज के इस लेख में हम आपको इसी विषय में कुछ महत्वपूर्ण बातें बताने जा रहे हैं -
बता दें कि सरकार द्वारा Solar energy को बढ़ावा देने के लिए जो भी प्रयास किये जा रहे हैं, उसे लेकर कस्टमर के मन में हमेशा एक कंफ्यूजन रहता है कि आखिर सब्सिडी मिलेगी किसे? बता दें कि आज के समय में देश में Solar Awareness की काफी कमी है। जैसे कि अधिकांश लोगों को यह नहीं पता है कि आखिर सोलर सिस्टम (Solar System) लगाने के फायदे क्या हैं? सोलर लगाया कैसे जाए? Solar Subsidy कैसे हासिल की जाए? आदि।
बता दें कि देश के 1 करोड़ घरों में Solar System लगाने के लिए भारत सरकार जिस पहल को शुरू करने जा रही है, उसके अंतर्गत आपको Residential Sector में On Grid Solar System लगाने के बाद सब्सिडी मिलेगी। बता दें कि पहले कस्टमर को 1 किलोवाट से लेकर 10 किलोवाट तक के सोलर सिस्टम पर सब्सिडी दी जाती थी। लेकिन आने वाले समय में ग्राहकों को केवल 5 किलोवाट के ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम पर सब्सिडी मिलने की संभावना है।
सरकार के इन योजनाओं को देखते हुए, आज बिजली विभाग भी बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है। उदाहरण के तौर पर, आज कर्नाटक और गुजरात जैसे राज्यों के DISCOM’s द्वारा अपने ट्रांसफॉर्मर को बदलने की तैयारी की जा रही है। बता दें कि जिस एरिया में जितनी कैपेसिटी का ट्रांसफॉर्मर लगा हुआ है, वहाँ आपको उसका 30 प्रतिशत की Solar Approval मिलता है। इसलिए सरकार द्वारा ट्रांसफॉर्मर की कैपसिटी को बढ़ाया जा रहा है।
बता दें कि आज सरकार द्वारा बैंकों को भी भारत में Solar Energy को बढ़ावा देने के लिए यह बोला गया है कि वे जब ग्राहकों को होम लोन (Home Loan) दे रहे हैं, तो वे Home Loan के साथ Solar Loan भी प्रोवाइड करें। यदि किसी ने Home Loan के साथ Solar Loan भी ले लिया तो उसे Home Loan के इंटरेस्ट रेट पर ही Solar Loan भी मिल जाएगा। वहीं, यदि कोई ग्राहक अलग से Solar Loan लेना चाहता है, तो इसके लिए उन्हें लगभग 12 प्रतिशत तक का इंटरेस्ट रेट देना पड़ जाता है।
बता दें कि सरकार द्वारा Solar Component Manufacturer को ये इंस्ट्रक्शंस दिये गये हैं कि आप Solar Panel, Solar Inverter, Solar Battery जैसे जो भी Solar Products बना रहे हैं, वे Latest Technology के साथ, 5 स्टार रेटिंग वाले प्रोडक्ट्स हों।
बता दें जो ग्राहक अगली गर्मी के मौसम में अपने यहाँ Solar System लगाने की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें इसकी प्लानिंग आज से ही शुरू करनी होगी। क्योंकि इसके अप्रूवल वगैरह में थोड़ा समय लगता है। बता दें कि अपनी Feasibility Report अब आप खुद से ही जेनरेट कर सकते हैं। बता दें कि यदि आप किसी Commercial या Industrial Sector में मार्च महीना खत्म होने से पहले ही Solar System लगाते हैं, तो सरकार द्वारा आपको टैक्स पर 40 प्रतिशत की अतिरिक्त छूट मिल सकती है।
बता दें कि यदि आप अपने घर या बिजनेस में Solar System लगा कर खुद को बिजली के मामले में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं, तो आप हमसे संपर्क कर सकते हैं और एक साइट सर्वे की बुकिंग कर सकते हैं। बता दें कि Loom Solar द्वारा आपको साइट सर्वे की सुविधा देश के हर हिस्से में केवल 1000 रुपये की फीस पर दी जाती है। साइट सर्वे की बुकिंग के बाद, हमारे एक्सपर्ट्स आपके यहाँ जाएंगे और आपकी जरूरतों और जगह को देखते हुए Solar System Installation के हर मोड़ पर आपकी राह दिखाएंगे।
]]>तो, इस लेख में हम आपको इस बिजनेस को शुरू करने के बारे में कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं। साथ ही, यहाँ आपको यह भी बताएंगे कि आप इसमें आने वाले भारी बिजली बिल (Electricity Bill In Marble Business) को कैसे कम कर सकते हैं और अपने बिजनेस में अधिक से अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। आइये जानते हैं -
बता दें कि Tiles, Marble And Granite Business एक ऐसा कारोबार है, जिसे शुरू करने के लिए आपको अच्छी निवेश के साथ ही, काफी जगह की भी जरूरत होती है। इस बिजनेस को आप गाँव हो या शहर कहीं भी आसानी से शुरू कर सकते हैं और इसे सालों साल चला सकते हैं। बता दें कि आज के समय में Real Estate Business जैसे जैसे बढ़ रहा है, इस बिजनेस का दायरा भी उतनी ही तेजी से बढ़ता जा रहा है।
बता दें कि इस बिजनेस में आपको कोई Manufacturing का काम नहीं करना होता है। बल्कि आप कोई दुकान या शो रूम को खोल कर किसी ब्रांड के प्रोडक्ट को बेचते हैं और बदले में आपको हर सेल पर 5 से 15 प्रतिशत की बचत होती है।
बता दें कि यदि आप इस बिजनेस को शुरू करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपके पास माल को स्टोर करने से लेकर पार्किंग तक के लिए अच्छी जगह होनी चाहिए।
बता दें कि यदि आप इस बिजनेस को छोटे पैमाने पर भी शुरू करना चाहते हैं, तो इसमें आपको 5 लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक का खर्च काफी आसानी से आता है। यहाँ आप प्रोडक्ट सेलिंग से लेकर प्रोडक्ट सर्विस तक के बिजनेस को शुरू कर अपनी कमाई सुनिश्चित कर सकते हैं। यहाँ आपको नगर निगम से परमिशन, एमएसएमई रजिस्ट्रेशन, जीएसटी रजिस्ट्रेशन जैसे प्रक्रियाओं से गुजरने की जरूरत होती है।
बता दें कि इस बिजनेस में रिस्क काफी कम होता है, क्योंकि टाइल्स और मार्बल ऐसी चीजें होती हैं जो इतनी जल्दी खराब नहीं होती है। हालांकि आपको इस बात का ध्यान रखना पड़ता है कि आपकी दुकान अथवा आपके शोरूम में उपलब्ध टाइल्स और मार्बल टूटे न।
बता दें कि यदि आप इस बिजनेस को शुरू करना चाहते हैं, तो आपको अपने दुकान या शो रूम में लाइट, फैन, एसी, आदि के अलावा कटिंग और ड्रिलिंग मशीन, आदि चलाने के लिए भी काफी बिजली की जरूरत होती है। यदि आप इसे सीधे सरकारी बिजली पर चलाते हैं, तो आपको हर महीने काफी बिजली बिल आती है। वहीं, यदि आपके यहाँ बिजली कटौती की समस्या है, तो ऐसे में आपको जनरेटर रखना पड़ता है, जिसे चलाने में हर घंटे कम से कम 1 हजार रुपये का खर्च आसानी से आता है।
ऐसे में, यदि आप भारी बिजली बिल और बिजली कटौती की समस्या से राहत पाना चाहते हैं, तो आप अपने यहाँ अपनी जरूरत के हिसाब से Solar System को लगवा सकते हैं और खुद को बिजली के मामले में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बना सकते हैं। बता दें कि यदि आपके यहाँ हर महीने 5 हजार रुपये का बिजली बिल आता है, तो आपको करीब 5 किलोवाट का, यदि 10 हजार का बिल आता है, तो करीब 10 किलोवाट का और यदि 15 हजार का बिल आता है, तो करीब 15 किलोवाट का सोलर सिस्टम लगाना होगा।
बता दें कि आज के समय में 1 किलोवाट के ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम (Off Grid Solar System) को लगाने में करीब 1 लाख रुपये का खर्च आता है। हालांकि, यह पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस ब्रांड, दक्षता दर, क्षमता के सोलर सिस्टम को खरीद रहे हैं। इस हिसाब से आप यदि आप 10 किलोवाट का सोलर सिस्टम लगाते हैं, तो आपको करीब 10 लाख का और यदि 15 किलोवाट का सोलर सिस्टम लगाते हैं, तो करीब 15 लाख रुपये का खर्च आएगा।
बता दें कि यदि आपको सोलर सिस्टम खरीदने में बजट की दिक्कत आ रही है, तो परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है। आज के समय में Home Loan और Car Loan की तरह Solar Loan भी लेना काफी आसान हो गया है। यहाँ आप कुल खर्च का केवल 20 प्रतिशत Down Payment कर आप इसका ईएमआई भर सकते हैं।अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें https://loan.loomsolar.com/ पर।
हमें उम्मीद है कि यह लेख आपको पसंद आएगा। यदि आप ऐसे ही विषयों के बारे में और अधिक जानकारी हासिल करते हुए, अपना जीवन बेहद आसाना बनाना चाहते हैं, तो नियमित रूप से हमारे साथ बने रहें।
वहीं, यदि अपने घर में सोलर सिस्टम लगाते हुए, खुद को बिजली के मामले में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं, तो अभी हमसे संपर्क करें। हमारे विशेषज्ञ आपकी मदद के लिए हमेशा ही तैयार रहते हैं। आपकी जरूरतों को देखते हुए, वे आपकी साइट पर जाएंगे और आपको आगे की राह दिखाएंगे।
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